छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग ने छिंगहाई प्रांत और तिब्बत स्वायत्त प्रदेश को जोड़ा।इन दोनों क्षेत्रों में ऐतिहासिक-सांस्कृतिक रीति-रिवाज़ और पठारी संसाधन प्रचुर मात्रा में हैं । यहां के पर्यटन संसाधन विश्व में अतुल्य है।
छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग पर यातायात शुरू होने के बाद के पहले एक वर्ष में रेल मार्ग के दोनों किनारों के पर्यटन स्थलों के निर्माण में भी तेज़ी आ रही है। इस तरह विश्व का सब से श्रेष्ठ पर्यटन क्षेत्र धीरे-धीरे सामने आ रहा है ।
गोर्मू छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग का एक पर्यटन शहर होने के नाते छिंगहाई-तिब्बत पठार, विश्व की छत और खुनलुन संस्कृति से लोगों को आकृष्ट कर रहा है । पर्यटन उद्योग स्थानीय आर्थिक वृद्धि का सब से जीवंत शक्ति बन गया है ।
छिंगहाई-तिब्बत रेल लाइन के दोनों किनारों पर छिंगहाई झील, प्राकृतिक संरक्षण केंद्र, नामूत्छो और पोताला आदि नौ विश्व स्तरीय पर्यटन संसाधन तथा छह राष्ट्र स्तरीय प्राकृतिक संरक्षण केंद्र उपलब्ध हैं । यह पर्यटन संसाधन विश्व में बेमिसाल हैं, जिन से छिंगहाई-तिब्बत विश्व का सब से श्रेष्ठ पर्यटन क्षेत्र बन जाएगा ।
छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग पर यातायात शुरू होने से बर्फीले पठार और बाह्य दुनिया के बीच दूरी कम हो गयी है । आंकड़ों से पता चला है कि एक वर्ष में तिब्बत की यात्रा करने वाले पर्यटकों की संख्या 39 प्रतिशत बढ़ी है। चालू वर्ष में तिब्बत की यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या तीस लाख को पार कर जाएगी । राजधानी ल्हासा अंतरराष्ट्रीय पर्यटन शहर बन जाएगा ।
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