ललिताः पश्चिम पुरी, दिल्ली से यह पत्र भेजा है श्री भूपिंदर जुनेजा ने और ये खासे नाराज़ दिखाई पड़ते हैं। इन का कहना है कि ये लगातार हमें पत्र भेज रहे हैं किंतु इन का एक भी पत्र अभी तक कार्यक्रम में हम ने शामिल नहीं किया है और हम केवल तारीफ भरे पत्रों को ही कार्यक्रम में शामिल करते हैं। इन का यह भी कहना है कि दिल्ली के पते पर भेजे गए पत्रों को हम तक पहुंचने में चार-पांच माह का समय लग जाता है, और ये जल्द पहुंचने चाहिए। इन की और एक शिकायत है कि हमारे कार्यक्रम का प्रसारण दो-दो बार होता है जब कि ये चाहते हैं कि हर बार नया कार्यक्रम पेश किया जाए। हमारी वेबसाईट पर कोई महत्वपूर्ण सामग्री इन्हें नहीं मिल पाई।
राकेशः श्री भूपिंदर जुनेजा जी पत्र लिखने के लिए बहुत धन्यवाद। आप का पत्र कार्यक्रम में शामिल है, इसलिए आप की एक नाराज़गी तो हम ने दूर कर दी। रही बात दिल्ली से पत्रों के देरी से पहुंचने की तो ऐसा अक्सर नहीं होता, कभीकभार जब पत्रों की संख्या अधिक हो तो देरी हो सकती है। किंतु आम तौर पर समय पर पत्र यहां पहुंच जाते हैं। आप ने यह पत्र पिछले महीने दिल्ली के पते पर पोस्ट किया है और आज यह कार्यक्रम में शामिल भी हो गया है। हमारे कार्यक्रम का दुबारा प्रसारण इस लिए होता है, ताकि अन्य वे श्रोता जो एक बार कार्यक्रम न सुन पाएं हों, दूसरी बार सुन लें। हमारी वेबसाईट पर जाने और उसे देखने के लिए धन्यवाद। हमारी वेबसाईट पर बहुत सामग्री है। आप क्या ढूंढ रहे थे जो आप को नहीं मिला? आप एक बार फिर वेबसाईट देखें और वहां आप को संभव है इस बार वह सामग्री मिल जाए, जिस की आप को तलाश है।
ललिताः यह गीत था फिल्म "सुजाता" से और इसे लिखा था मजरुह सुलतान पुरी ने, संगीत दिया था एस. डी. बर्मन ने और गाया था तलत महमूद ने। और इसे सुनने की फरमाइश की थी मां दुर्गा रेडियो श्रोता संघ, ग्राम बागी जिला जालौन यू. पी. से देवेंद्र कुमार कुशवाहा, सीमा कुशवाहा, गुरुप्रसाद कुशवाहा, ब्रजकिशोर प्रजापत, उदयवीर कुशवाहा और रामू, श्यामू व दिलीप कुशवाहा। सहावर टाऊन, एटा यू. पी. से योगेंद्र नायक, रमन साहू, पवन वर्मा और मुशीर खां।
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