उत्तरी सुङ सरकार अपनी सेना और अफसरों की संख्या में लगातार वृद्धि करती रही, जिस से उसका सैनिक व प्रशासनिक व्यय बहुत बढ़ गया।
इस के अलावा उत्तरी सुङ राजवंश को हर साल ल्याओ और पश्चिमी श्या को भेंटस्वरूप बहुत सी चांदी भी देनी पड़ती थी। परिणामस्वरूप , सरकार का सालाना खर्च उस की आमदनी से ज्यादा होता गया और वित्तीय मामलों में उस का हाथ ज्यादा से ज्यादा तंग होता गया।
इसलिए वह जनता पर लगान व टैक्सों का बोझ लगातार बढ़ाती गई। किसानों का शोषण तीव्र से तीव्रतर हो गया। जब उनके लिए अपना खाना कपड़ा जुटाना भी असंभव हो गया, तो उनका असंतोष विद्रोहों के रूप में फूट पड़ा।
993 में सछ्वान के किसानों ने "सम्पत्ति के समान बंटवारे" का नारा लगाते हुए वाङ श्याओपो और ली शुन के नेतृत्व में विद्रोह कर दिया। विद्रोह ने उत्तरी सुङ राजवंश को भारी आघात पहुंचाया।
विद्रोहियों का उक्त नारा शोषक जमींदारों के प्रति व्यापक किसान समुदाय के तीव्र असंतोष और अपनी मेहनत का फल स्वयं प्राप्त करने की उनकी तीव्र इच्छा का प्रतीक था।
इस से जाहिर होता था कि चीन में किसानों का संघर्ष एक नई मंजिल में पहुंच गया था। हालांकि यह किसान विद्रोह बाद में कुचल दिया गया, फिर भी उत्तरी सुङ राजवंश का गंभीर संकट किसी भी मायने में कम नहीं हुआ।
1069 में सुङ राजवंश के सम्राट शनचुङ ने वाङ आनशि नामक एक राजनीतिज्ञ को राजनीतिक सुधार करने के लिए प्रधान मंत्री के पद पर नियुक्त किया।
उद्देश्य था देश को खुशहाल बनाना, राष्ट्रीय प्रतिरक्षा को सुदृढ करना तथा सामाजिक अन्तरविरोधों की तीव्रता को कम करना ।
सुङ शासकों को उम्मीद थी कि प्रकार के सुधारों के जरिए वे राष्ट्र को और अधिक गरीब व कमजोर बनने से रोक सकेंगे।
वाङ आनशि के सुधारों को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है। पहले प्रकार के सुधार वित्त-व्यवस्था के प्रबंध से संबंधित थे, जबकि दूसरे प्रकार के सुधारों का संबंध सशस्त्र सेनाओं के पुनर्गठन से था।
वित्त-व्यवस्था के प्रबन्ध के लिए इन नए कार्यक्रमों का ऐलान किया गया:"जमीन की पेमाइश और समान कर-व्यवस्था","मूल्य-नियंत्रण","बेगार से छूट","फसले से पहले ऋण की उपलब्धि"और "सिचाई परियोजनाओं का निर्माण"।
सेना के पुनर्गठन के लिए "पाओ च्या"(दशमांश की उगाही),उत्तम नसल के घोडों के प्रजनन व पालन पोषण और सैनिक प्रशिक्षण व अभ्यास के कार्यक्रम लागू किए गए।
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