• हिन्दी सेवा• चाइना रेडियो इंटरनेशनल
China Radio International
चीन की खबरें
विश्व समाचार
  आर्थिक समाचार
  संस्कृति
  विज्ञान व तकनीक
  खेल
  समाज

कारोबार-व्यापार

खेल और खिलाडी

चीन की अल्पसंख्यक जाति

विज्ञान, शिक्षा व स्वास्थ्य

सांस्कृतिक जीवन
(GMT+08:00) 2007-06-20 16:58:43    
अकेलेपन में फंसे हुए बच्चों को समाज में वापस खींचने की कोशिश

cri

हमारे आसपास अक्सर ऐसे बाल बच्चे दिखाई पड़ जाते हैं, जिन्हें दूसरे लोगों के साथ बातचीत करने या संपर्क रखने में दिलचस्पी नहीं है । डॉक्टर हमें बताते हैं कि ऐसे बच्चों के अधिकतर आत्मविमोह में फंसने की संभावना रहती है । ऐसे बच्चों को समाज में वापस लाने की बड़ी जरूरत है । इसी उद्देश्य में उत्तरी चीन के थिएनचिन शहर में आत्मविमोह में फंसे बच्चों का इलाज करने के लिए'बाल बच्चों का स्वप्न केंद्र'नामक एक स्वास्थ्य केंद्र खोला गया है , जहां अकेलेपन में फंसे हुए बच्चों को औपचारिक जीवन में वापिस लाने में मदद दी जा रही है।

'बाल बच्चों का स्वप्न केंद्र'स्वास्थ्य केंद्र उत्तरी चीन के बड़े शहर थिएनचिन शहर के नानकाई कस्बे में एक आम रिहाईशी इमारत में स्थित है । संवाददाता ने केंद्र की प्रधान , 35 वर्षीया मिस क्वो चैन मई के साथ बातचीत की । सुश्री क्वो न सिर्फ इस स्वास्थ्य केंद्र की नेता और संस्थापक हैं , बल्कि खुद आत्मविमोह में फंसे एक बच्चे की मां भी हैं ।

सुश्री क्वो का बेटा श्याओ-आन, मोटी-मोटी आंखें और गोरे रंग वाला एक प्यारा लड़का है । पर जब संवाददाता ने इस लड़के को नमस्ते कहा , तब इस का कोई जवाब नहीं मिला । सुश्री क्वो ने बताया , आत्मविमोह से ग्रस्त बच्चे कभी-कभी ऐसे ही होते हैं , जिन्हें दूसरों के साथ संपर्क रखने में कोई उत्साह नहीं होता ।

जब श्याओ-आन 3 साल का था , तभी डॉक्टर ने इसे आत्मविमोह की बीमारी से ग्रस्त पाया था। इसी कारण सुश्री क्वो को अपने काम से इस्तीफा देना पड़ा , और अपने सारे समय को बेटे के इलाज में लगाना पड़ा । उन्हों ने पेइचिंग के कई बड़े अस्पतालों में अपने बेटे का इलाज करवाने की अथक कोशिश की। अपने बेटे के इलाज के दौरान ही सुश्री क्वो को अपना खुद का बच्चों का स्वास्थ्य केंद्र खोलने का विचार आया ।

उन्हों ने कहा , बच्चों के ऐसे रोग का इलाज करने के लिए अनुकूल जगह तलाशना बहुत मुश्किल है । और ऐसा इलाज करने के लिए समय भी चाहिये । और स्वास्थ्य संस्था में मुझे कौशल प्राप्त है । लेकिन उस समय पेइचिंग में सिर्फ एक ही संस्था ऐसा इलाज कर रही थी , जहां देश भर के मां-बाप और उन के बच्चे आते थे। तभी मुझे विचार सूझा कि मैं खुद भी ऐसी संस्था खोल सकती हूं , इस तरह मैं अपने बेटे और दूसरे बच्चों की सहायता कर सकूंगी ।

कुछ समय बाद वर्ष 2003 के अगस्त में सुश्री क्वो ने उत्तरी चीन के थिएनचिन शहर में'बाल बच्चों का स्वप्न केंद्र'नामक एक स्वास्थ्य केंद्र खोला । अभी तक इस केंद्र में रह रहे सभी बच्चे 3 से 12 की उम्र के हैं। यहां एक बच्चा एक अध्यापक के तौर पर इन बच्चों का ईलाज किया जा रहा है । केंद्र में 9 कर्मचारी कार्यरत हैं , जिन्हों ने अभी तक 50 बच्चों की ट्रेनिंग समाप्त की है ।

केंद्र में कार्यरत सुश्री ली यान ने कहा कि'बाल बच्चों के स्वप्न केंद्र' में मुख्य तौर पर मनोवैज्ञानिक ढंग से बच्चों में दूसरों के साथ संपर्क बनाने की क्षमता उन्नत की जा रही है । आत्मविमोह से ग्रस्त बच्चों में प्रगति होना बहुत मुश्किल है , इसलिए केंद्र में कार्यरत अध्यापकों को महान धैर्य प्राप्त होना चाहिये । लेकिन आत्मविमोह से ग्रस्त बच्चों में आम तौर पर खुद पर नियंत्रण की क्षमता का अभाव रहता है , इसलिए अध्यापकों को चोट लगने की बातें भी कभी-कभी होती रहती हैं ।

सुश्री ली ने कहा , एक दिन जब हम बच्चों के साथ खेल रहे थे , तब एक बच्चे ने अचानक मुझे दांत से काट लिया । लेकिन मैं ने कुछ भी प्रतिक्रिया नहीं की । क्योंकि अगर मैं कुछ करती , तो वह बाद में दूसरे को काटता ही । सही तरीका यह है कि ऐसे बच्चे की गलत कार्यवाही को लापरवाही से देखना , इस तरह उस की ऐसा करने में रुचि खत्म हो जाएगी ।

पर आत्मविमोह में फंसने के कारण अभी तक अज्ञात हैं । प्रशिक्षण देने और दवा खिलाने से सिर्फ उन की हालत का सुधार हो सकता है , पर मूल रुप से इन का इलाज करना असंभव है । आत्मविमोह से ग्रस्त बच्चों को समाज से अधिक प्यार मिलना चाहिये । इसलिए इधर के वर्षों में अधिकाधिक लोग आत्मविमोह से ग्रस्त बच्चों की मदद करने के लिए आगे आने लगे हैं। बहुत से स्वयंसेवक'बाल बच्चों के स्वप्न केंद्र'में आकर बच्चों के साथ या तो खेलते हैं या उन की मदद के लिए कुछ काम करते हैं । श्री चांग शून शहर में एक कपड़े की दुकान में कार्यरत हैं । आत्मविमोह से ग्रस्त बच्चों की जानकारी पाने के बाद वे हर मंगलवार और शुक्रवार'बाल बच्चों के स्वप्न केंद्र'आकर बच्चों के साथ खेलते हैं । उन्हों ने कहा कि बच्चों की मदद करते समय उन्हें खुद भी खुशी प्राप्त होती है ।

उन्हों ने कहा , हर बार मैं यहां बच्चों के साथ खेलने आता हूं । बच्चों के मुस्कुराते मुंह देख कर मेरा दिल खुशी से भर जाता है । स्वयंसेवकों के आने से इन बच्चों के परिवार तथा केंद्र के कर्मचारियों को असाधारण संवेदना और समर्थन मिला है । साथ ही कुछ सामाजिक समुदायों ने भी 'बाल बच्चों के स्वप्न केंद्र'की सहायता के लिए बहुत सा साजसामान प्रदान किया है ।