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(GMT+08:00) 2007-06-18 08:44:08    
कम्बोडिया के आंगको ऐतिहासिक स्थल के जीणोर्द्धार-कार्य में चीनी सहायता

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दोस्तो,करीब 10 सालों के प्रयास से चीन सरकार द्वारा किसी विदेशी ऐतिहासिक व सांस्कृतिक स्थल के जीर्णोद्धार में सहायता दी जाने वाली प्रथम परियोजना पर कार्य संपन्न होने वाला है।यह परियोजना कम्बोडिया के आंगको ऐतिहासिक स्थल के जीर्णाद्धार की है।यूनेस्को और कम्बोडिया सरकार ने इस परियोजना पर चल रहे कार्य में हुई उपलब्धियों की भूरि-भूरि प्रशंसा की है।

आंगको कम्बोडिया का सब से प्रमुख ऐतिहासिक व सांस्कृतिक अवशेष है,जो विश्व विरासतों की सूची में शामिल है।पिछली सदी के 90 वाले दशक में यूनेस्को की मांग पर चीन सरकार ने आंगको ऐतिहासिक स्थल के जीर्णोद्धार के लिए विशेष अनुदान किया,पुरातत्वविदों का विशिष्ट दल बनाया और आंगको ऐतिहासिक स्थल में सब से गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त चोसाई टेवोडा मंदिर की मरम्मत सब से पहले करने का निर्णय लिया।

चोसाई टेवोडा मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में शुरू हुआ था।मंदिर-परिसर में 8 भवन हैं,जो कम्बोडियाई वास्तुकला के प्रतिनिधि माने गए हैं।कोई एक साल के सर्वेक्षण और तैयारी के बाद चीनी पुरातत्ववेत्ताओं ने 1999 में इस मंदिर का जीर्णोद्धार विधिवत् रूप से शुरू किया। इस काम में चीनी सांस्कृतिक अवशेष अनुसंधान प्रतिष्ठान के प्राचीन वास्तु विभाग के प्रधान श्री शनयांग भी सक्रिय रहे हैं। उन्हों ने विचार व्यक्त किया कि कंबोडिया की इस अहम आंगको ऐतिहासिक स्थल के जीर्णोद्धार संबंधी परियोजना का अमलीकरण चीन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय कर्तव्य गंभीरता से निभाए जाने की ठेठ मिसाल है,जो सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण में चीन और विदेशों के बीच तकनीकी आदान-प्रदान में भारी महत्व रखती है।उन का कहना हैः

"आंगको ऐतिहासिक स्थल में स्थित चोसाई टेवोडा मंदिर की मरम्मत के दौरान सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण के चीन के विचार,तकनीक और ठोस काम अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर खरे उतरे हैं।आंगको ऐतिहासिक स्थल के संरक्षण और जीर्णोद्धार की परियोजना ने एक वृहद अंतर्राष्ट्रीय मंच प्रदान किया है,जिस पर सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण में अग्रणी देश अपने कमाल दिखा रहे हैं। इस परियोजना के जरिए चीन और इन देशों के बीच संबद्ध अनुभवों का आदान-प्रदान हो सकता है। सब से महत्वपूर्ण बात है कि चीन इन देशों से उपयोगी अनुभव ग्रहण कर सकता है। "

श्री शनयांग ने परिचय दिया कि आंगको ऐतिहासिक स्थल कम्बो़डिया की राजधानी नोमपेन्ह से कोई 240 किलोमीटर दूर स्थित है। 9वीं से 15 वीं शताब्दी तक वह कम्बोडिया की राजधानी रहा,तब उस की आबादी कोई दर्जन लाख तक पहुंची। इतिहास में आंगको दो बार आक्रमण औऱ लूटपाट का शिकार हुआ। सन् 1431 में कम्बोडिया के सम्राट को आंगको छोडकर नामपेन्ह में राजधानी स्थानांतरित करना पड़ा।तब से आंगको धीरे-धीरे अनंत घने बियाबान जंगल में छिप गया। 500 साल बाद यानि 19वीं सदी के 60 वाले दशक में उस का पता लगाया गया। ऐतिहासिक ग्रंथों के अनुसार हंली.मुऔ नामक एक फ्रांसीसी पुरातत्ववेत्ता ने कम्बोडिया की यात्रा के दौरान उस का पता लगाया।श्री शनयांग ने यह भी बताया कि आंगको में अधिकांश वास्तु ढह चुकी है।पर खंडहर से उस के मूल आलीशान पैमाने का सौंदर्य आज भी महसूस किया जा सकता है।वास्तुकला की दृष्टि से उस का सौंदर्य देखकर लोग चाहे वे वास्तुविशेषज्ञ हों या पर्यटक दांतों तले उगली दबाए बगैर नहीं रह सकते हैं। पुरातत्ववेत्ताओं ने उसे चीन की लम्बी दीवार,मिस्र के पिरामिड और इंडोनेशिया के Borobudur के साथ पूर्व के चार आश्चर्य करार दिया है। सन् 1992 में यूनेस्को ने उसे विश्व सांस्कृतिक विरासतों की सूची में शामिल किया। श्री शनयांग के अनुसार इस ऐतिहासिक आश्चर्य के जीर्णोद्धार-कार्य में फ्रांस,भारत,जापान,जर्मनी और इटली आदि दसेक देशों के विशेषज व कर्मचारी भाग ले रहे हैं।चीनी पुरातत्ववेत्ताओं ने शुरू से ही इस कार्य को एक बहुविषयक अनुसंधान- परियोजना के रूप में बखूबी अंजाम देने की कोशिश की है और इस कार्य में समुन्नत विज्ञान व प्रौद्योगिकी के प्रयोग को प्राथमिकता देकर विशेष कमाल दिखाने का लक्ष्य बनाया है।

पुरातत्वविद् श्री च्यांग ह्वाए-ईन इस कार्य में जुटे चीनी पुरातत्वविदों के दल के नेता हैं। इधर के दस वर्षों में उन्होंने अपना ज्यादा समय आंगको ऐतिहासिक स्थल के चोसाई टेवोडा मंदिर की मरम्मत में ही लगाया है। उन्हों ने कहा कि चोसाई टेवोडा मंदिर के 8 भवन पूरे के पूरे भीमकाय चट्टानों से निर्मित हैं,जो लकड़ी से बने परंपरागत चीनी भवनों से बिल्कुल भिन्न हैं। इसलिए उन की मरम्मत करना अत्यंत कठिन है।श्री च्यांग ने कहाः"इस मंदिर की मरम्मत के दौरान चीनी पुरातत्ववेत्ताओं को जीवन में और पर्यावरण में बहुत से समस्याओं का सामना करना पड़ा है। पर सब से बड़ी समस्या तकनीक की है।

हमारे पास जो अनुभव हैं,वे लकड़ी से बने परंपरागत चीनी भवनों के जीर्णोद्धार में प्राप्त अनुभव हैं। आंगको ऐतिहासिक स्थल के सभी भवन बड़ी-बड़ी चट्टानों के ढांचे पर खड़े हुए हैं। इस तरह के ढांचे के भवनों की मरम्मत हम ने पहले कभी नहीं की है। सो यहां आने के बाद एक अवधि तक हम बड़े मनोवैज्ञानिक दबाव में रहे। लेकिन कई सालों की मेहनत से हम ने इन भवनों के निर्माण की तकनीक पर अधिकार पा लिया और इस के आधार पर परंपरागत चीनी वास्तु-निर्माण की अवधारणा की मदद से मरम्मत का तरीका तय किया। तथ्यों से साबित है कि इस तरीके से अच्छा परिणाम निकला है। कम्बोडियाई पक्ष ने कहा कि परिणाम बिल्कुल वांछित रहा है।अब पूरे मरम्मत-कार्य का अंत होने वाला है। हमें बड़ी खुशी है कि हम लुप्तप्राय चोसाई टेवोडा मंदिर को उस के मूल रूप में पुनःनिर्मित कर कम्डोबिया सरकार के हवाले कर सकते हैं। "

चीनी पुरातत्ववेत्ताओं के असाधारण काम का युनेस्को ने उच्च मूल्यांकन किया है और कम्बोडिया सरकार ने चीनी दल के नेता श्री च्यांग ह्वाय-ईन व उपनेता श्री ल्यू क्वो-च्यांग को सर्वोच्च शाही पुरस्कार से सम्मानित किया है।चीनी राजकीय सांस्कृतिक अवशेष ब्यूरो के उपप्रभारी श्री तुंग पाओ-ह्वा का विचार है कि यह चीन सरकार द्वारा विदेशों को सहायता देने के काम की बड़ी प्रशंसा है।उन का कहना हैः "जीर्णोद्धार की यह परियोजना चीन सरकार द्वारा यूनेस्को के अनुरोध पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए उठाया गया प्रथम वैदेशिक सहायता कार्य-भार है। कुछ समय पूर्व चीनी राजकीय सांस्कृतिक अवशेष ब्यूरो के 5 सदस्यीय विशेषज्ञ-दल ने चोसाई टेवोडा मंदिर के जीर्णोद्धार- कार्य का पूर्ण तकनीकी जायजा लिया। इस से पहले यूनेस्को के विशेषज्ञों ने भी इस कार्य का संजीदा निरीक्षण किया था। चाहे अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विदेशी विशेषज्ञ हों या खुद चीनी विशेषज्ञ,वे सब इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि चीन सरकार द्वारा संचालित इस जीर्णोद्धार-परियोजना में संतोषजनक प्रगति हुई है और उस की गुणवत्ता उत्तम है। "

श्री तुंग पाओ-ह्वा ने यह भी कहा कि इधर के कई वर्षों में चीनी सांस्कृतिक अवशेष जगत और विदेशों के सांस्कृतिक अवशेष जगतों के बीच आदान-प्रदान सक्रिय रुप से हो रहा है।चीन ने युनेस्को तथा अनेक देशों के साथ सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण में बहुत सा सहयोग किया है,जो बहुत प्रभावशाली और सकारात्मक सिद्ध हुआ है।

चोसाई टेवोडा मंदिर की मरम्मत की परियोजना पूरी होने के बाद चीन आंगको ऐतिहासिक स्थल में स्थित टा कियो मंदिर की मरम्मत का कार्य संभालेगा। यह मंदिर कम्बोडिया में सब से शानदार प्राचीन वास्तुओं में से एक है,जो चोसाई टेवोडा मंदिर से कहीं बड़ा है। इसलिए इस की मरम्मत कहीं ज्यादा मुश्किल हो सकती है। इस के चलते चीनी पुरातत्ववेत्ताओं को अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।