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(GMT+08:00) 2007-07-11 10:34:25    
मोटापे के साथ संघर्ष

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इस वर्ष के मार्च माह में टी वी में एक खबर देखने को मिली। यह खबर एक आठ वर्ष के एक बच्चे से जुड़ा हुआ था । माना जा रहा था की यह आठ वर्ष के बच्चे को खाने से इतना लगाव था की उसकी यह आदत उसके मौत का कारण बन गयी। चीन में माता पिता अपने जिम्मेदारियों से इतना नहीं भटकेंगे की उनके बच्चे मोटापे के शिकार इस तरह हो जायेंगे की उनका मोटापा उनके स्वास्थ्य के लिए खतरा का एक श्रोत बन जाये।

चीन में आर्थिक सुधारों के लागू होने के बाद लोगों की जीवनोनत्ती में काफी ज्यादा सुधार आया है जिसके वजह से काफी चीनियों  में

मोटापे की बीमारी आयी है। ऐसे में चीन में मोटे बच्चों की एक पीड़ि एक भारी समस्या के रुप में उभर कर आयी है। एक शिक्षा ब्यूरो के अनुसंधान रिपोर्ट के अनुसार शांगहाई के मध्य-क्रम की शिक्षा लेने वालों की शारिरीक अवस्था में काफी गिरावट आयी है। उनका मोटापा चीन की औसतम से भी ज्यादा है।

शिक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, आज, समुचय चीन के दस से बारह वर्ष के

 

उम्र वाले बच्चों में आठ प्रतिशत ओबेसिटी यानी मोटापे की बीमारी से ग्रस्थ है और पन्द्रह प्रति शत बच्चों में शारिरीक वजन ज्यादा बतायी गयी है। अगर तुलना किया जाय तो अमेरिका के स्वास्थ्य और मानव सेवाओं की 2006 की रिपोर्ट पर नजर जाती है जिसके अनुसार आज 6-11 वर्ष के अमेरिकी बच्चों में 18.8 प्रतिशत बच्चे ओ

बेसिटी के शिकार हैं। चीन में एख ऐसा समय था जब खाद्यभंडार काफी कम थे और कई बार देश में अकाल की स्थिति होती थी लेकिन अब वो समय मात्र इतिहास बन के रह गया है और आज चीन खाद्यभंडार के अवस्था को लेकर आत्म-निर्भर हो चला है। ऐसे में आज चीन के काफी घरों में खाने के समय

 

अधिक से अधिक मात्रा में खाने के लिए डाईनिंग टेबलों में रखा जाता है। इसके अलावा लोगों का जीवन स्थर में बढ़ोत्तरी होने के कारण लोग आजकल रोजमर्राह की जिंदगी में शारिरीक गतिविधियों में कम ध्यान दे रहे हैं। ऐसे में नतीजा है ओबेसिटी। चीन में एक पुरानी कहावत है की मोटा बच्चा एक स्वास्थ्य बच्चा होता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है की बच्चों को फ़ास्ट-फु़ड से दूर रखा जाय।

शांगहाई में शिक्षा

अधिकारियों ने प्रति रोज स्कूलों में एक घंटे का समय केवल शारिरीक व्यायाम के लिए अनिवार्य रखा है। अधिकारियों ने सह भई निर्णय लिया है की शारिरीक शिक्षा को गंभीरता से लेने के लिए माध्यमिक स्कूलों में भर्ती के समय शारिरीक शिक्षा में प्राप्त अंकों को भी प्राथमिकता देने का ऐलान किया है।

 

किसी भी देश के भविष्य उज्जवल के लिए उसके युवाएँ बहुमूल्य हैं और इस धन का पर्याप्त उपयोग तभई किया जा सकता है जब उनका शारिरीक औऱ मानसिक अवस्था उच्चतम स्थर का हो।