हांगकांग की मातृभूमि की गोद में वापसी से पहले बहुत से हांगकांग वासियों में हांगकांग के भविष्य पर शंका पैदा हुई थी , यहां तक उन में दूसरे देशों में जा बसने की एक लहर भी उभरी । लेकिन हांगकांग की वापसी के बाद दस साल गुजरा , वहां के निवासियों के दिल में चीन की मुख्यभूमि को अपनी मातृभूमि मानने की भावना उत्तरोत्तर प्रबल होती गयी और मातृभूमि से प्यार लगातार गहरा होता गया ।
वर्ष 1984 के अंत में चीन ब्रिटेन संयुक्त वक्तव्य पेइचिंग में औपचारिक रूप से जारी हुआ , जिस के मुताबिक चीन सरकार पहली जुलाई 1997 को हांगकांग पर अपनी प्रभुसत्ता का उपभोग बहाल करेगी । तत्काल , बहुत से हांगकांग वासियों में समाजवादी चीन के बारे में बहुत कम जानकारी थी और हांगकांग के भविष्य पर उन्हें आशंका पैदा हुई । इस मनोभाव के साथ अनेकों हांगकांग वासियों ने दूसरे देशों में जा बसने की सोच कोशिश की । सुश्री छन चिनजु इस प्रकार के उत्प्रवासियों की भीड़ में थी । उन के परिवार ने वर्ष 1985 में कनाडा में आप्रवास किया । किन्तु कनाडा में उन के परिवार का जीवन और रोजगारी अच्छा नहीं था । समय के गुजरने के साथ साथ सुश्री छन ने पाया कि हांगकांग की मातृभूमि में वापसी के बाद वहां का आर्थिक व सामाजिक विकास रूकने के बजाए लगातार बेहतर होता जा रहा है और बहुत से उत्प्रवासी फिर हांगकांग में लौटे , तो उन का परिवार भी वापस लौटा । अब उन का परिवार हांगकांग में शांति का खुशहाल जीवन बिता रहा है । उस समय के अपने विकल्प की याद करते हुए सुश्री छन ने कहाः
अब मुझे अनुभव हुआ है कि तत्कालीन हांगकांग उत्प्रवासियों के कम से कम आधे भाग का विकल्प गलत सिद्ध हुआ है ।
आंकड़ों के अनुसार वर्ष 1997 के बाद हांगकांग से दूसरे देशों में बसने जाने वालों की संख्या लगातार घटती गयी , वर्ष 1997 में करीब तीस हजार लोगों ने उत्प्रवास किया , यह संख्या 2005 में घट कर नौ हजार रह गयी । और तो और 2000 से हर साल कोई दस हजार लोग वापस हांगकांग लौटने लगे ।
तत्काल , हांगकांग में आगे रहने का विकल्प किए हांगकांग वासियों में भी हांगकांग के भविष्य पर चिंता उत्पन्न हुई थी , उन की डर थी कि कहीं हांगकांग की वापसी के बाद यहां की सामाजिक व्यवस्था और जीवन का तौर तरीका तो बदले नहीं जाए ।
परन्तु , उन की इस प्रकार की चिंता कम समय में ही बेमतलब साबित हुई । खास कर केन्द्रीय सरकार द्वारा एशियाई वित्तीय संकट और पक्षी फ्लू तथा सार्स से पिंड छुड़ाने में हांगकांग की जो सहायता की है वह असाधारण महत्व की है । हांगकांग वासियों ने समझ लिया कि चीन के विकास के साथ साथ हांगकांग का भी विकास होगा । इस पर हांगकांग के ह ह्ला ग्रुप के सी .ई .ओ. श्री यो चिन ने कहाः
हमें पक्का विश्वास हुआ कि हांगकांग सचे माइने में चीन का एक भाग बन गया है । हम मातृभूमि के साथ कदम से कदम मिला कर अग्रसर रहेंगे , हमारी हालत उत्तरोत्तर बेहतर होती जाएगी ।
हांगकांग की वापसी के दस सालों में मातृभूमि दिनोंदिन शक्तिशाली हो गयी और हांगकांग भी अधिकाधिक विकसित हुआ , जिस से अधिक से अधिक हांगकांग वासियों में चीन को अपनी मातृभूमि मानने की भावना पक्का हो गयी और उन्हें खुद एक चीनी होने पर गर्व महसूस हुआ है।
सुश्री ल्यांग छ्वी शान हांगकांग में जन्मी और पली बढ़ी , एक लम्बे समय तक वे नहीं जानती कि वे किस देश का नागरिक है , वे केवल अपने को हांगकांग वासी समझती थी । लेकिन हांगकांग की वापसी के इन दस सालों में अपने अनुभव से उन्हें साफ साफ लगा कि उन के दिल में देश की मान्यता और मातृभूम से प्यार ने गहरी जड़ पकड़ी है । उन की समान भावना रखने वाले हांगकांग वासियों की संख्या में हर साल 20 से 50 प्रतिशत की वृद्धि होती गयी ।
श्री जङ श्यान ची हांगकांग के सुप्रसिद्ध कारोबारी है । उन्हों ने कहा कि हांगकांग की वापसी के बाद यहां सामाजिक स्थिरता और आर्थिक समृद्धि बनी रही और देश को मानने की भावना ने जोर पकड़ा और जनता का समर्थन सब से महत्वपूर्ण उपलब्धि है । उन का कहना हैः
हांगकांग की वापसी के साथ हांगकांग वासियों का दिल भी मातृभूमि की गोद में वापस आया, यह सब से बड़ी विजय है । इस का यह साक्षी है कि अब बहुत से हांगकांग कारोबारियों और निवासियों ने देश के भीतरी इलाकों में पूंजी का निवेश किया , हांगकांग के करीब सभी मझोले व छोटे कारोबारों का भीतरी इलाकों में स्थानांतरण हो गया । इस से जाहिर है कि हांगकांग उद्योग जगत और जन समुदाय ने मातृभूमि के निर्माण को सफल माना है और मातृभूमि पर उन का विश्वास पक्का हो गया है।
|