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(GMT+08:00) 2007-06-12 17:12:04    
तिब्बत की परम्परागत संस्कृति के संरक्षण व विकास के लिए

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इधर के वर्षों में चीन के केन्द्रीय नेतृत्व और सरकार ने तिब्बती संस्कृति के संरक्षण व विकास को भारी महत्व दिया और सिलसिलेवार कदम भी उठाए । इस के लिए चीन ने विशेष तौर पर तिब्बती संस्कृति के संरक्षण व विकास संघ की स्थापना की । इस संघ के महासचिव श्री जू वेइ छ्वुन ने जानकारी देते हुए कहा कि जातीय संस्कृति का संरक्षण करना वर्तमान विश्व के विभिन्न देशों का समान विचार ही नहीं, साथ ही चीनी संस्कृति के संरक्षण व विकास संघ की स्थापना का लक्ष्य भी है । वर्ष 2004 के जून माह में चीनी तिब्बत संस्कृति संरक्षण व विकास संघ की स्थापना पेइचिंग में औपचारिक तौर पर हुई, संघ में तिब्बत शास्त्र के विशेषज्ञों के अलावा सांस्कृतिक, धार्मिक, आर्थिक व राजनीतिक जगतों के जाने माने व्यक्ति भी शामिल हैं । इन के अतिरिक्त, संघ में अमरीका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया और कनाडा आदि देशों तथा चीन के हांगकांग विशेष प्रशासनिक क्षेत्र के जाने माने व्यक्ति भी शामिल हैं । वे सब तिब्बती संस्कृति के संरक्षण व विकास के लिए एक महत्वपूर्ण शक्ति बन गये ।

तिब्बत की परम्परागत संस्कृति का संरक्षण करने के साथ-साथ संघ विदेशों के साथ संपर्क व आवाजाही को भी सक्रिय कर देता है, जिस ने तिब्बती संस्कृति के प्रचार के लिए भारी भूमिका अदा की है । इस की चर्चा में श्री जू वेइ छ्वुन ने कहाः

"तिब्बत की श्रेष्ठ परम्परागत संस्कृति को विश्व से अवगत कराना , ज्यादा से ज्यादा लोगों को तिब्बत को समझवाना व जानकारी हासिल कराना हमारे संघ का महत्वपूर्ण कार्य है । हमारे संघ ने क्रमशः तिब्बत के सांस्कृतिक व कलात्मक, अकादमिक, धार्मिक प्रतिनिधि मंडलों तथा तिब्बती औषधि व चिकित्सा दलों का गठन कर एशिया, यूरोप तथा अमरीका महाद्वीप के दस से ज्यादा देशों को यात्रा पर भेजा । हम तिब्बती जातीय नृत्य गान मंडलियों का नेतृत्व कर विदेशों में कला प्रदर्शन दौरा करते हैं, जिसे स्थानीय लोगों से जोशीली दाद मिली है । इन गतिविधियों से तिब्बती संस्कृति के अद्भुत सुन्दरता को प्रतिबिंबित किया गया और विश्व के विभिन्न देशों की जनता में तिब्बती संस्कृति के प्रति प्यार उजागर किया गया । इस के साथ ही संघ सक्रिय रूप से अमरीका, बेल्जियम, स्वीट्जरलैंड, भारत और मंगोलिया आदि देशों के मैत्रीपूर्ण व्यक्तियों व प्रेस जगत के प्रतिनिधियों को तिब्बत का निरीक्षण दौरा करने के लिए निमंत्रण देता है ।"

संस्कृति एक जाति की आत्मा ही नहीं ,खून भी है । इस से जातीय जीवन शक्ति, सृजन शक्ति व एकता की शक्ति जाहिर होती है । विश्व के विभिन्न देशों के विभिन्न संस्कृतियों के बीच ज्यादा आवाजाही व आपसी लाभ सहयोग किया जाना चाहिए, न कि मुठभेड़ व प्रतिरोध । विभिन्न संस्कृतियों के बीच आवाजाही से मानव जाति की सभ्यता व इतिहास के विकास और विश्व की संस्कृति की विविधता को आगे बढ़ाया जाएगा । यह दुनिया भर में विभिन्न देशों व जनता की समान अभिलाषा है ।

"रंगबिरंगी तिब्बती संस्कृति चीनी राष्ट्र की संस्कृति का एक अहम भाग ही नहीं, विश्व संस्कृति का एक मूल्यवान भाग भी है । तिब्बती बर्फीले पठार में खुलेपन के चलते विशेष कर विश्व ध्यानाकर्षक छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग के याताताय शुरू होने से तिब्बत विश्व के लिए और खुलेगा । प्राचीन तिब्बती संस्कृति अपनी विशेषता बनाए रखने के साथ-साथ आधुनिक की ओर विश्व की ओर बढ़ जाएगी । वह जरूर विश्व की विभिन्न विविधतापूर्ण संस्कृतियों के बीच आदान प्रदान व विकास को आगे बढ़ाने की मह्तवपूर्ण शक्ति बन जाएगी ।"

चीनी तिब्बती संस्कृति के संरक्षण व विकास संघ के महासचिव श्री जू वेइ छ्वुन ने जानकारी देते हुए कहा कि भविष्य के विकास में उन का संघ और कारगर कदम उठाकर तिब्बत की परम्परागत संस्कृति के संरक्षण व विकास को मज़बूत करेगा, तिब्बती संस्कृति का और अच्छी तरह प्रचार प्रसार करेगा, ताकि तिब्बती संस्कृति अंतरराष्ट्रीय समाज में और सक्रिय रूप से भाग ले सके । भविष्य में संघ तिब्बती संस्कृति के संरक्षण व विकास की संबंधित गतिविधियों का सक्रिय आयोजन करेगा, विश्व के विभिन्न देशों के लोगों को तिब्बती संस्कृति की जानकारी भरपूर देगा । उन्होंने कहा कि तिब्बती संस्कृति का संरक्षण व विकास संघ तिब्बत की श्रेष्ठ परम्परागत संस्कृति के संरक्षण के लिए और वास्तविक सेवा प्रदान करने को तैयार है ।