वर्ष 1982 के सितम्बर माह में ब्रिटिश प्रधान मंत्री श्रीमती मार्गरेट हिल्दा थचेर ने चीन की यात्रा की , जिस से चीन और ब्रिटेन के बीच हांगकांग सवाल के भविष्य पर वार्ता शुरू हुई ।
प्रथम वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने संक्षिप्त वक्तव्य जारी किया और कहा कि हांगकांग के भविष्य सवाल के समाधान के लिए राजनयिक तरीका अपनाया जाएगा । चीनी संवाद समिति शिन्ह्वा समाचार एजेंसी ने इस वक्तव्य के अतिरिक्त यह वाक्य जोड़ दिया कि पूरे हांगकांग क्षेत्र पर प्रभुसत्ता वापस लेने के लिए चीन सरकार का रूख स्पष्ट और सर्वविदित है ।
चीन और ब्रिटेन के बीच दूसरे दौर की वार्ता 12 और 13 जुलाई 1983 को चली , वार्ता पेइचिंग में हुई । चीनी प्रतिनिधि मंडल के नेता श्री याओ क्वांग थे और ब्रिटिश प्रतिनिधि मंडल के नेता , चीन स्थित तत्कालीन ब्रिटिश राजदूत थे । वार्ता के बाद प्रेस विज्ञप्ति जारी हुई , जिस में कहा गया कि वार्ता रचनात्मक और हितकारी है ।
किन्तु आरंभिक वार्ताओं में दोनों पक्षों के बीच हांगकांग की प्रभुसत्ता और शासन अधिकार पर बड़ा मतभेद हुआ , जिस से हांगकांग नागरिक चिंतित हुए । वर्ष 1983 के सितम्बर की 22 व 23 तारीख की चौथे दौर की वार्ता की खबर हांगकांग में फैलने के बाद हांगकांग निवासियों में खाद्य पदार्थ अंधाधुंध खरीदने तथा अमरीकी डालर का एक्सचेंज करने की लहर दौड़ी । 24 सितम्बर को अमरीकी डालर और हांगकांग डालर की विनिमय दर एक अमरीकी डालर पर 8.6 हांगकांग डालर की निम्न दर दर्ज हुई , स्थिति को काबू में रखने के लिए हांगकांग सरकार ने निर्देशक विनिमय दर निर्धारित की थी ।
वर्ष 1983 के 19 और 20 अक्तूबर को चीन और ब्रिटेन के बीच पांचवें दौर की वार्ता हुई । दोनों पक्षों ने वार्ता को हितकारी व रचनात्मक बताया ।
इसी साल के दिसम्बर में सातवें दौर की वार्ता हुई , वार्ता की विज्ञप्ति में वार्ता की प्रक्रिया का सिन्हावलोकन किया गया और प्राप्त प्रगति से जाहिर था कि वार्ता नए दौर में प्रवेश कर गयी ।
अप्रैल 1984 में ब्रिटिश विदेश मंत्री श्री होवी पेइचिंग की यात्रा के बाद हांगकांग पहुंचे , वहां उन्हों ने एक वक्तव्य जारी कर खुले तौर पर घोषणा की कि ब्रिटेन वर्ष 1997 के बाद हांगकांग पर अपनी प्रभुसत्ता छोड़ेगा । वक्तव्य में कहा गया कि हांगकांग पर वर्ष 1997 के बाद भी ब्रिटेन के शासन को बनाए रखने वाला समझौता संपन्न करना अव्यवहारिक सपना है ।
इसी बीच , हांगकांग के प्रशासन और विधान ब्यूरो के संदस्यों ने बार बार ब्रिटेन की यात्रा की थी और वर्ष 1984 के फरवरी माह में हांगकांग विधि ब्यूरो के गैर सरकारी सदस्यों ने पोलो प्रस्ताव पेश किया , जिस पर विभिन्न जगतों में वाद प्रतिवाद छिड़ा ।
वर्ष 1984 के जून माह में वार्ता अंतिम दौर में दाखिल हुआ । जुलाई में ब्रिटिश विदेश मंत्री होवी ने दोबारा पेइचिंग की यात्रा की । अगस्त की पहली तारीख को वे हांगकांग गए और वहां उन्हों ने संवाददाता सम्मेलन बुला कर घोषणा की कि चीन और ब्रिटेन दोनों में समझौते के मुख्य विषयों और धाराओं पर समहति प्राप्त हो चुकी है ।
26 सितम्बर 1984 को चीन और ब्रिटेन के बीच पेइचिंग में हांगकांग के भविष्य पर संयुक्त वक्तव्य संपन्न हुआ ।
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