चीनीमिट्टी का सामान सुङ काल के दस्तकारी उद्योग का एक मशहूर भट्ठियां थीं :क्वानयाओ भट्ठी, तिङयाओ भट्ठी, रूयाओ भट्ठी,च्युनयाओ भट्ठी, कयाओ भट्ठी और चिङतेचन भट्ठी ।
अन्तिम भट्ठी का नाम चिङते सुङ राजवंश के सम्राट चनचुङ के चिङते वर्षनाम(1004-1007) पर रखा गया था। इस जमाने में कपड़ा बुनने और पोतनिर्माण की तकनीक में भी बहुत तरक्की हुई।
सुङ राजवंश का वाणिज्य भी अपने पूर्ववर्ती थाङ राजवंश की तुलना में कहीं विकसिता था। प्येनचिङ, छङतू, शीचिङ, च्याङलिङ, याङचओ , क्वाङचओ, छ्वेनचओ, हाङचओ और मीचओ उस समय के महत्वपूर्ण व्यापारिक नगर थे।
प्येनचिङ उत्तरी सुङ काल में देश का सबसे बड़ा शहर था, जिसकी परिधि कोई 20 किलोमीटर थी। इस शहर में सड़कों का अच्छा खासा जाल बिछा हुआ था और बहुत सी दुकानें थीं। सुङ काल के चित्रकार चाङ चत्वान द्वारा बनाए गए" छिङमिङ त्योहार के मौके पर नदीतट का दृश्य "नामक चित्र में , जो अब भी पूरी तरह सुरक्षित है, उस जमाने के प्येनचिङ शहर की "छिङमिङ"त्योहार के मौके पर प्येनहो नदी के दोनों किनारों की व्यापारिक चहल पहल सजीव रुप से उतार दी गई है।
देहाती बाजार हाटों में भी बड़ी चहल पहल रहा करती थी। सुङ राजवंश के सम्राट श्वेनचुङ (शासन काल 1067-1085) के जमाने के में थाङ राजवंश के सम्राट श्वेनचुङ के जमाने के मुकाबले 17 गुना ज्यादा मुद्रा का प्रचलन हो गया था। सछ्वान में कागजी मुद्रा भी पहली बार जारी की गई।
सम्राट चनचुङ के शासनकाल में सछवान के सोलह धनी व्यापारियों ने संयुक्त रूप से अपनी एक कागजी मुद्रा छपवाई, जिसे च्याआच कहते थे।
1023 में सम्राट रनचुङ ने एक कागजी मुद्रा ब्यूरो कायम किया और तब से नोट छापने का काम व्यापारियों के बजाय सरकार द्वारा किया जाने लगा। इसलिए च्याओच चीन में मुद्रित सबसे पहली कागजी मुद्रा थी, जिस का प्रचलन सुङ राजवंश काल की आर्थिक समृद्धि का द्योतक था।
पांच राजवंशों और देस राज्यों के बाद के तीन सौ सालों में ल्याओ, सुङ , पश्चिमी श्या और किन राजवंशों का अस्तित्व साथ साथ कायम रहा।
उत्तरी चीन में खित्तन जाति के कुलीन लोगों ने ल्याओ राजवंश (916-1125) कायम किया। यह राज्य दो सौ साल से भी अधिक समय तक कायम रहा और उस का इलाका उत्तर में हेइलुङ नदी तक, दक्षिण में वर्तमान हपेइ प्रान्त के उत्तरी भाग तक तथा पूर्व में समुद्रतट तक फैला हुआ था।
खित्तन जाति एक पुरानी जाति थी, जो वर्तमान ल्याओनिङ प्रान्त में ल्याओहो नदी के ऊपरी भाग के शारमुरुन नदी के इलाके में लम्बे समय से रहती आ रही थी। थाङ राजवंश के जमाने में उसकी शक्ति उत्तरोत्तर बढती गई और थाङ राजवंश का अन्त होते होते वह उत्तर चीन में एक बड़ी शक्ति बन गई।
907 में खित्तन सरदार आफोछी ने अपनी जाति के तमाम छोटे छोटे कबीलों को एक किया। 916 में उसने खित्तन के नाम से एक नया राज्य कायम किया और अपने को सम्राट घोषित कर दिया।
उस ने लिनह्वाङफू (वर्तमान ल्याओनिङ प्रान्त के बाएं पाएरिन बैनर के आसपास) को अपनी राजधानी बनाया। बाद में इस राज्य ने दक्षिण की ओर अपनी सेना भेजकर वर्तमान हपेइ प्रान्त और शानशी प्रान्त के उत्तरी भाग तक अपना विस्तार कर लिया।
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