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(GMT+08:00) 2007-06-05 16:59:12    
तिब्बती संस्कृति का संरक्षण व विकास संघ

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चीन का तिब्बत एक सुन्दर व प्रचूर संसाधन वाला स्थल है । तिब्बती जाति चीनी राष्ट्र के महा परिवार का एक महत्वपूर्ण सदस्य है । हज़ारों वर्षों में विश्व की छत कहलाने वाले तिब्बती पठार पर रहने वाले तिब्बती लोगों ने रंगबिरंगी संस्कृति रची है । तिब्बती संस्कृति चीनी राष्ट्र के सांस्कृतिक खजाने में एक मूल्यवान धरोहर ही नहीं, बल्कि मानव जाति की सभ्यता के इतिहास में एक अनुठा फुल भी मानी जाती है । तिब्बत में कारो अवशेष जैसी आदिम सभ्याताएं, पोताला महल जैसे अद्भुत वास्तु निर्माण, महाकाव्य महान राजा गैसर के साथ विविधतापूर्ण लोक साहित्य, रहस्यमय तिब्बती औषधियां और अपनी विशेषता वाली तिब्बती बौद्ध धर्म, प्राचीन तिब्बती ऑपेरा और मनोहक शिल्प कलाएं इत्यादि यह दर्शाते हैं कि इस पवित्र भूमि में पैदा हुई तिब्बती संस्कृति विश्व सभ्यता में अपना अलग स्थान बनाए रखी हुई है और वह दुनिया भर के लोगों को अचंभे में डाल देती है ।

इधर के वर्षों में चीन के केन्द्रीय नेतृत्व और सरकार ने तिब्बती संस्कृति के संरक्षण व विकास को भारी महत्व दिया और सिलसिलेवार कदम भी उठाए । इस के लिए चीन ने विशेष तौर पर तिब्बती संस्कृति के संरक्षण व विकास संघ की स्थापना की । इस संघ के महासचिव श्री जू वेइ छ्वुन ने जानकारी देते हुए कहाः

"जातीय संस्कृति का संरक्षण करना वर्तमान विश्व के विभिन्न देशों का समान विचार ही नहीं, साथ ही चीनी संस्कृति के संरक्षण व विकास संघ की स्थापना का लक्ष्य भी है । वर्ष 2004 के जून माह में चीनी तिब्बत संस्कृति संरक्षण व विकास संघ की स्थापना पेइचिंग में औपचारिक तौर पर हुई, संघ में तिब्बत शास्त्र के विशेषज्ञों के अलावा सांस्कृतिक, धार्मिक, आर्थिक व राजनीतिक जगतों के जाने माने व्यक्ति भी शामिल हैं । इन के अतिरिक्त, संघ में अमरीका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया और कनाडा आदि देशों तथा चीन के हांगकांग विशेष प्रशासनिक क्षेत्र के जाने माने व्यक्ति भी शामिल हैं । वे सब तिब्बती संस्कृति के संरक्षण व विकास के लिए एक महत्वपूर्ण शक्ति बन गये ।"

चीनी तिब्बती संस्कृति संरक्षण व विकास संघ ने अपनी स्थापना के बाद से लेकर अब तक के करीब तीन वर्षों में तिब्बत के सांस्कृतिक संरक्षण व विकास के लिए अथक कोशिश की । संघ नियमित रूप से सर्वेक्षण व अध्ययन का कार्य करता है । उस ने क्रमशः पोताला महल , जोखाङ मठ, सागा मठ और कुग अवशेष आदि तिब्बत के मशहूर प्राचीन अवशेषों के संरक्षण व मरम्मत,《 महा पिटक》आदि प्राचीन ग्रंथों के संकलन व संपादन के लिए सरकार के संबंधित विभागों को सुझाव पेश किया और सरकार से धनराशि भी जुटायी । इस के साथ ही संघ ने विभिन्न क्षत्रों से पूंजी इक्ट्ठा कर तिब्बती भाषी《 महा पिटक 》,《कान्जूर》,《तान्जूर》तथा《महान राजा गैसर》आदि प्राचीन साहित्यों के बचाव व संकलन के कार्य को आगे बढ़ाया । तिब्बती संस्कृति संरक्षण व विकास संघ हर वर्ष विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले गरीब तिब्बती विद्यार्थियों को सहायता देता है और तिब्बती भाषा में पाठ्यपुस्कतों के प्रकाशन के लिए पूंजी प्रदान करता है ।

चीनी तिब्बती संस्कृति संरक्षण व विकास संघ के महासचिव श्री जू वेइ छ्वुन ने जानकारी देते हुए कहा कि तिब्बती संस्कृतिक के प्रचार-प्रसार को मज़बूत करने के लिए संघ ने विशेष तौर पर तिब्बती विषय वाली फिल्में व टी.वी.कार्यक्रम बनाये , जिन में《 प्राचीन चाय व घोड़ा मार्ग 》,《जीवित बुद्ध गदा》,《पोताला महल》,《बर्फीले पठार की सभ्यता》,《शताब्दी का स्वर्ग पथ》,《तिब्बत में 24 घंटे》तथा《तिब्बत संबंधी चित्र माला》आदि शामिल हैं । इन रचनाओं से दर्शक तिब्बत के इतिहास, संस्कृति और धर्म के बारे में ज्यादा जानकारी हासिल करते हैं और तिब्बत को और पसंद करते हैं । श्री जू वेइ छ्वुन ने कहा कि तिब्बती संस्कृति संरक्षण व विकास संघ विभिन्न संगोष्ठियां आयोजित कर पूरी शक्ति से तिब्बती संस्कृति का प्रचार प्रसार करने की कोशिश करता है । उन का कहना हैः

"हम तिब्बती संस्कृति के संदर्भ में तरह तरह की संगोष्ठियां और सांस्कृतिक अवशेष प्रदर्शनियां आयोजित करते हैं । हम ने क्रमशः ल्हासा, पेइचिंग और हांगकांग तथा अमरीका के कालिफोर्निया आदि स्थानों में नया तिब्बत, तिब्बती सांस्कृतिक सप्ताह और तिब्बती सांस्कृतिक प्रदर्शनी आदि प्रदर्शनियां लगायीं । हम ने संबंधित अकादमिक संस्थाओं के साथ संयुक्त रूप से तिब्बत के कला व पुरातत्व पर सिलसिलेवार अकादिमक संगोष्ठियां आयोजित कीं । इन गतिविधियों के जरिए तिब्बती संस्कृति के बारे में विभिन्न जगतों की समझ व जानकारी बढ़ी है और इस से तिब्बती संस्कृति के संरक्षण व विकास को और आगे बढ़ाया जा सकता है "