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(GMT+08:00) 2007-06-04 17:03:54    
छांग-यांग काऊंटी की परंपरागत संस्कृति का संरक्षण

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थू जाति के उद्गम-स्थान होने के नाते छांग-यांग काऊंटी में अभौतिक सांस्कृतिक अवशेष या लोक संस्कृति के अलावा भौतिक सांस्कृतिक अवशेषों की भी बहुतायत है। वहां पाया गया श्यांग लू-शी नामक एक प्रसिद्ध प्राचीन स्थल का अवशेष 3 या 4 हजार साल पहले की तांबे वाली संस्कृति का प्रतिनिधि है। पिछली सदी के अंत में वहां हुई खुदाई में प्रस्तर,मिट्टी,हड्डियों और तांबे के करीब 10 हजार बर्तन पाए गए थे। इस के अतिरिक्त यह काऊंटी दक्षिणी चीन में ऐसा एक स्थान भी है,जहां हुई खुदाई में प्राप्त प्राचीन चीनी शब्द अंकित कछुए के कवचों की संख्या सर्वाधिक है। इस काऊंटी के संग्रहालय के प्रधान लो च्यान-फिंग ने हमारे संवाददाता को बतायाः

"हमारे संग्रहालय में 6 हजार से अधिक सांस्कृतिक अवशेष और लगभग 30 हजार संबद्ध नमूने प्रदर्शित हैं। ये अवशेष मुख्यतः काऊंटी में एक पन बिजली-घर के निर्माण के दौरान जमीन के नीचे खुदाई करते समय पाए गए थे। वे थू जाति की संस्कृति के प्रादुर्भाव के अनुसंधान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यहां सुरक्षित प्राचीन काल के थू जातीय रहन-सहन में प्रयुक्त वस्तुएं और खेतीबाड़ी में प्रयुक्त औजारों के अवशेष भी देश के अन्य किसी भी क्षेत्र में देखने को नहीं मिलते हैं। "

जातीय परंपरा और संस्कृति के संरक्षण के क्षेत्र में छांग-यांग काऊंटी हूपे प्रांत का एक आदर्श है।हूपे प्रांत चीन की प्राचीन क्षेत्रीय संस्कृति का एक प्रतिनिधि है। ईसा पूर्व 8वीं से ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी के बीच त्सु राज्य ने जो आज का हूपे प्रांत है चीनी राष्ट्र की शानदार संस्कृति का सृजन किया। तांबे के बर्तनों का निर्माण,रोगन चढाने की पद्धति, नयी शैलियों का साहित्य व संगीत उसी राज्य के आविष्कार थे। चीनी इतिहास में पहले कवि छ्वी-य्वान त्सु राज्य के थे। उन के द्वारा आविष्कृत कविता लिखने की शैली का चीनी साहित्य के विकास पर दूरगामी प्रभाव पड़ा है। हूपे प्रांत में कुछ साल पहले हुई खुदाई में संगीत बजाने वाली तांबे से बनी बहुत सी घंटियां पाई गईं,जिन से जाहिर है कि कोई 2000 वर्ष पूर्व ही इस क्षेत्र के लोगों ने संगीत में असाधारण उपलब्धियां प्राप्त कर लीं थीं।

हूपे प्रांत के जातीय संस्कृति संरक्षण केंद्र के उपनिदेशक ऊ जी-च्यान का विचार है कि आधुनिकीकरण की तेज गति जातीय संस्कृति के अस्तित्व के वातावरण को बड़ी चुनौती दे रही है। सरकार को जातीय संस्कृति की रक्षा में अभी काफी कुछ और करने की जरूरत है।उन्हों ने कहाः

" देश में जातीय संस्कृति संरक्षण के कार्य को शुरू हुए ज्यादा समय नहीं हुआ है और संरक्षण के तरीकों को परिपूर्ण बनाने की जरूरत है। पिछले साल हम ने पूरे प्रांत के 33 अभौतिक सांस्कृतिक अवशेषों की गहरी जांच की और अब तक उन में से 20 की नामसूची राज्य परिषद को दे दी है। राज्य परिषद ने इन सभी 20 अभौतिक सांस्कृतिक अवशेषों को राजकीय दर्जा देने का निर्णय लिया है। लेकिन समाज का आधुनिकीकरण जितनी तेजी से हो रहा है,दुर्लभ जातीय संस्कृति के अस्तित्व के लिए खतरा भी उतनी ही तेजी से बढ रहा है। ऐसे में सरकार को जातीय संस्कृति संरक्षण कार्य में तेजी लानी चाहिए। "

हूपे प्रांत के दौरे के दौरान हमारे संवाददाता ल्यू खाई-नान नामक एक व्यक्ति के घर में मेहमान बने। श्री ल्यू थू जाति के हैं और एक रेस्तरां के मालिक हैं। उन के घर में हमारे संवाददाता को थू जाति की मेहमाननवाज़ी का अनुभव हुआ। श्री ल्यू ने उन के स्वागत में थू जाति का विशेष दक्षिणी राग गाया और ल्यू की पत्नी ने विविध व्यंजनों वाला भोजन परोसा।

थू जाति के इस दक्षिणी राग में थू जाति का खुला स्वभाव और खुशमिजाजी प्रतिबिंबित होती है। राग के बोल कुछ इस प्रकार हैः घर में मैं अकेला हूं,भोजन करने के बाद बाहर खेलने जाता हूं। मुझे तीन युवतियों से प्यार है। एक सुन्दर है,दूसरी खूबसूरत है औऱ तीसरी सुन्दर व खूबसूरत दोनों है। पर मुझे डर है कि मैं उन में से किसी को भी प्राप्त नहीं कर सकता हूं।

हूपे प्रांत के जातीय संस्कृति के संरक्षण-कार्य से इस क्षेत्र में पूरे चीन की एक झलक देखी जा सकती है। 2006 के शुरू में चीन सरकार ने हर साल जून माह के दूसरे शनिवार को राष्ट्रीय सांस्कृतिक अवशेष दिवस मनाना तय किया। विश्वास है कि इस दिवस को मनाने के जरिए जन-समुदाय में जातीय संस्कृति की रक्षा के प्रति जागरूकता बढेगी और विभिन्न स्तर की सरकारों को अपनी जातीय संस्कृति के संरक्षण-कार्य में तेजी लाने की प्रेरणा मिलेगी।