चाओ ख्वाङइन ने खाएफ़ङ को अपनी राजधानी बनाया और उसका नाम बदलकर प्येनचिङ रख दिया। चाओ ख्वाङइन सुङ राजवंश के प्रथम सम्राट थाएचू के नाम से प्रसिद्ध हुआ। उस ने अनेक स्थानीय राज्यों को जीतकर अधिकांश चीन को एक कर दिया।
उत्तरी सुङ राजवंश के प्रारम्भिक काल में सम्राट थाएचू ने स्थानीय पृथकतावादी राज्यों के पुनः उदित होने की रोकथाम के लिए देश में एक एकीकृत केन्द्रीय राजसत्ता कायम करने की दिशा में अनेक कदम उठाए।
उस ने बड़े-बड़े सैन्यक्षेत्रों (कमानों) के अधिकार केन्द्रीय सरकार के हाथ में दे दिए और विभिन्न स्थानों के सैनिक व प्रशासनिक मामलों की देखभाल के लिए असैनिक अफसरों को नियुक्त किया।
साथ ही उसने महत्वपूर्ण सूबों में सूबेदारों के अधिकार नियंत्रित करने के लिए निरीक्षक भी नियुक्त किए।
स्थानीय वित्तीय मामलों के प्रबंध का अधिकार परिवहन दूतों को सौंप दिया गया और स्थानीय अधिकारियों के अधिकार सीमित कर दिए गए। सेनाओं के स्थानान्तरण का अधिकार केवल केन्द्रीय सरकार की प्रिवी कौंसिल के हाथ में ही रखा गया।
उत्तरी सुङ राजवंश के काल में कृषि और दस्तकारी का और ज्यादा विकास हुआ।
मध्यवर्ती मैदान और उत्तरी चीन में सघन खेती पर जोर दिया गया और जमीन जोतने के लिए लोहे के हल , जमीन को समतल बनाने के लिए लोहे के पाटे तथा निराई के लिए कंटिया खुरपी का प्रयोग किया जाने लगा।
दक्षिणी चीन में खेतों की सिंचाई के लिए लकड़ी या बांस के रहट का व्यापक रूप से इस्तेमाल शुरु हो गया। धान की खेती का प्रसार हुआ तथा बढिया किस्म के धान के बीज काम में लाए जाने लगे। कपास की खेती दक्षिणी चीन के दूरवर्ती फूच्येन और क्वाङतुङ प्रान्तों तक की जाने लगी तथा गन्ना और चाय उगाने के काम में भी बहुत तरक्की हुई ।
चाय के बगीचे छाङच्याङ नदी और ह्वाएहो नदी के इलाकों तथा क्वाङतुङ व क्वाङशी प्रान्तों में दूर-दूर तक दिखाई देने लगे।
सुङ राजवंश के जमाने में सोने, चांदी, तांबे, लोहे, सीसे और रांगे का खनन व उत्पादन थाङ राजवंश के मुकाबले बढ़ गया।
कोयले का उत्पादन तो और भी ज्यादा बढ़ा। लोहा गलाने की वर्कशापों में ईंधन के रूप में कोयले का इस्तेमाल होने से बेहतर क्वालिटी का लोहा बनाया जाने लगा।
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