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राकेशः क्या तुम्हें शेरोशायरी का शौक है।
ललिताः क्यों? क्या आप का मन शेरोशायरी करने का हो रहा है?
राकेशः नहीं, हमारे श्रोताओं ने एक शेर लिख कर भेजा है। ये हैं कस्बा सेफनी उत्तरप्रदेश से खालिद मियां, गुलनाज बी और राशिद मियां।
ललिताः इरशाद।
राकेशः मोहब्बत ऐसी धड़कन है जो समझाई नहीं जाती, दिल की बैचेनी जुबां पर लाई नहीं जाती, चले आओ, चले आओ तकाजा है निगाहों का, किसी की आरजू ऐसे ठुकराई नहीं जाती।
ललिताः बहुत खूब, बहुत खूब। खालिद मिंया, गुलनाज़ बी, इतना शानदार शेर लिख कर भेजने के लिए शुक्रिया। हम आप की आरजू कैसे ठुकरा सकते हैं। आप की पसंद का गीत कुछ ही देर में हाजिर है।
राकेशः अगला पत्र मेरे हाथ में है कलेर बिहार से मों आसिफ, बेगम निकहत प्रवीन, सदफ आरजू, अजरफ अकेला और तहमीना मशकर का, इन्होंने फिल्म "उमराव जान" का गीत सुनने की फरमाइश की है।
ललिताः तो आइए सुनते हैं "उमराव जान" फिल्म का यह गीत जिसे गाया है तलत अजीज ने और लिखा है शहरयार ने। 
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