सिन्चांग में एक फोटोग्राफर बहुत मशहूर है , जिस का नाम श्ये ह्वेरूए है और जो अन्य फोटोग्राफरों से अलग ढंग के लगते हैं , उन्हों ने अपने फोटोग्राफी जीवन में ढेर सारे सुन्दर फोटो खींचे हैं और फोटोग्राफी पेशे से एक दिवाला होने वाले शिल्प कंबल वर्कशाप को भी दिवाले से बचाया । आखिरकार उन्हों ने किस तरह दिवाला होने वाले कंबल वर्कशाप को उद्धार दिया , चीन की अल्पसंख्यक जाति कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रस्तुत उन की यह कहानी ।
इस साल 64 वर्षीय बुजुर्ग फोटोग्राफर श्री श्ये ह्वेरूए का जन्म सिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ऊरूमुची में हुआ था , अपने फोटोग्राफी जीवन की चर्चा में उन्हों ने अपनी बालावस्था में घर के निकट एक फोटोग्राफी दुकान की याद करते हुए कहाः
पिता जी के साथ मैं कई बार घर के पास की फोटोग्राफी दुकान गया था , जब मैं ने देखा कि फोटोग्राफी मशीन पर के एक छोटे से रबर के गैंद को दबाने से ही फोटो लेने वाले की छाया फिल्म पर अंकित हो गयी , तो मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ और इस में असाधारण रूचि पैदा हुई ।
17 साल की उम्र में श्री श्ये ह्वेरूए ने अपने बचाये गए पैसे से एक सरल कैमरा सेट खरीदा और फोटो खींचने का अभ्यास शुरू किया । उसी वक्त से उन्हों ने अपने जीवन का सारा का सारा समय फोटोग्राफी पर दे दिया । एक वसंत ऋतु के दिन था , श्री श्ये ह्वेरूए किसी काम के लिए थुरूफान बेसिन गया , वहां उन्हों ने अपने इस सरल कैमरे से वसंतकालीन बुवाई के चित्र खींचे , जो जल्द ही स्थानीय अखबार में प्रकाशित किये गए। इस प्रारंभिक सफलता से उन्हें बड़ी प्रेरणा मिली । और अच्छे से अच्छे फोटो खींचने की कोशिश की । इस तरह उन के बहुत से फोटो पत्र पत्रिकाओं में छपाए गए । श्री श्ये के फोटो में प्राकृतिक सौंदर्य और मानव की तस्वीर आदि शामिल हैं , उन्हों ने अपने मनोभाव को फोटोग्राफी के जरिए दिखाने का सफल प्रयास किया , उन के फोटो में पहाड़, चट्टान , पेड़ पौधे , घास फुल सबों को मानव की प्रवृत्ति मुहैया की गयी है । आज से 40 से अधिक साल पहले जब उन्हों ने कैमरे से फोटो खींचना आरंभ किया , तब से ही वे बराबर सिन्चांग के विविध दृश्यों को अपने कैमरे में उतार देते आए हैं । उन के एक दोस्त ली न्येनतुंग ने कहाः
उन्हों ने सिन्चांग के सुन्दर प्राकृतिक सौंदर्यों को चीनी और विश्व जनता के सामने प्रदर्शित किया है । वे चीन के दस श्रेष्ठ फोटोग्राफरों में से एक माने जाते हैं । वृद्धास्था में भी वे फोटोग्राफी से नयी नयी कला कृतियों के सृजन का काम नहीं छोड़ते । मैं उन की इस प्रकार की अद्मय भावना से वशीभूत हूं । वर्ष 1997 में श्री श्ये ह्वेरूए की व्यक्तिगत फोटोग्राफी कला प्रदर्शनी दक्षिण चीन के सनजन शहर में लगी । रेशम मार्ग से प्यार शीषर्क इस फोटो प्रदर्शनी में सिन्चांग के प्राचीन रेशम मार्ग पर उपलब्ध तरह तरह के सौंदर्य दर्शाये गए , जो दक्षिण चीन के दर्शकों को एक अलग दुनिया का एहसास देते हैं । इसलिए इस फोटो प्रदर्शनी का वहां खासा जोशीला स्वागत किया गया । उन की फोटो कृति रेशम मार्ग से प्यार उसी साल वसंतकालीन कनाडा अन्तरराष्ट्रीय पुस्तक , ओडियो विडियो उत्पाद मेले और अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार कमेटी से अन्तरराष्ट्रीय स्वर्ण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था । श्री श्ये ने कहाः
रेशम मार्ग प्राचीन काल में दो थे , दोनों सिन्चांग से गुजरते थे , इस स्थल पर पूर्व और पश्चिम की संस्कृतियों का संगम हुआ , इसलिए वहां बसी विभिन्न जातियों के अलग अलग ढंग के रीति रिवाज और जीवन प्रथाएं और वस्त्र आभूषण फोटोग्राफी के लिए बहुत काबिले हैं । मुझे अनुभव हुआ कि सिन्चांग की भूमि सांस्कृतिक व कलात्मक खजानों से भरपूर हुई है । मैं हर मौके से लाभ उठा कर सिन्चांग के प्राकृतिक सौंदर्य और अल्प संख्यक जातियों के रीति रिवाजों को अपने कैमरे में उतार देता हूं ।
श्री श्ये ह्वेरूए एक चिंतनशील व्यक्ति हैं और वे सिन्चांग के विकास की हर बातों और फोटोग्राफी की हर चीजों पर मंथन करते हैं । उन के इस प्रकार के चिंतन का अच्छा रंग भी आया । उन्हों ने सिन्चांग के एक कंबल मिल को दिवाला होने से बचाया ।
दीवार पर लगाने वाले कलात्मक कंबल सिन्चांग की परम्परागत शिल्प कृति है । लेकिन इस परम्परागत शैली के कंबल पर अंकित चित्र परिवर्तनशील नहीं थे और मात्र ज्यामिति की सीधी सरल रेखाएं थी । इसलिए लोगों को इस प्रकार के कंबल पसंद नहीं है । इस समस्या को ध्यान में रख कर वर्ष 2000 में श्री श्ये ह्वेरूए ने एक साहसिक उपाय सोचा , यानी सिन्चांग के परम्परागत शैली के कंबल पर फोटोग्राफी की कृति कसीदा की जाएगी । अपनी इस सोच पर उन्हों ने कहाः
कला की कुंजी जीवन है , उस का मूल्य सृजन में है । फोटोग्राफी की कृतियों को कम्प्यूटर के प्रोग्रामिंग से अन्य चीजों पर अंकित किए जाने से एक अलग ढंग का ओडियो प्रभाव पैदा हो सकता है । सिन्चांग के परम्परागत कंबल वर्षों से विदेशों को निर्यात किए जाने वाली चीजें हैं लेकिन उस के चित्र सरल और पुराने पड़ गए और शिल्प तकनीक भी पिछड़ी हुई , इसलिए इस परम्परागत वस्तु की मंदी आयी । मुझे अनुभव हुआ कि बेहतर होगा कि फोटोग्राफी के चित्रों पर कंबल कसीदा किया जाए , जिस से वे विविध रंगों व सुन्दर चित्रों में और अधिक आकर्षक लग सकते हैं ।
परम्परागत शैली के कंबल की कसीदे में केवल दस रंगों के धागे इस्तेमाल होते थे , अब फोटो के चित्र दिखाने के लिए सौ से अधिक रंगों की जरूरत है । इस के लिए श्री श्ये ह्वे रूए ने अपने पुराने साथी , ऊरूमुची कंबल मिल के पूर्व उप मेनेजर शिन मोत्ये से मदद मांगी । श्री शिन मोत्ये और टेकस्टाइल मजदूरिनों के अथक परिश्रम के बाद सौं रंगों की कसीदाकारी की तकनीक पर महारत हासिल हुई , उन की इस सफलता से सिन्चांग के कंबल कसीदा उद्योग के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ा
है ।
फोटो पर कसीदा किया गया पहला कंबल दो मीटर लम्बा और एक मीटर चोड़ा है , जिस में रेगिस्तान में उगने वाले सूखा सह सकने वाले पेड़ों की जंगल दिखाई देती है । इस रंगबिरंगे कलात्मक कंबल के आगे फोटोग्राफर श्ये ह्वेरूए की आंखों में आंसू भर आयी । उन्हों ने भावविभोर हो कर कहाः
इस कंबल की कसीदे के समय मैं रोज उसे देखने जाता था , जब यह वह तैयार हो कर ऊरूमुची ललितकला भवन में प्रदर्शित किया गया , तो मैं तहेदिल से प्रभावित हुआ । दीवार पर लगाने वाले इस कंबल पर फोटोग्राफी का चित्र कसीदा किया गया है , जो सजीव रूप से कसीदे के रूप में दिखाई देता है । इस से हमारा पहले का तमन्ना साकार हो गया है ।
वर्ष 2005 के मार्च माह में सिन्चांग की कलात्मक कंबल प्रदर्शनी ऊरूमुची शहर के ललित कला भवन में लगी , उसे देख कर दर्शकों ने इस प्रकार के नए ढंग के कंबल की भूरि भूरि प्रशंसा की । सिन्चांग कला कालेज के नेता , कला टिपण्णीकार श्री रै मोक्वे ने कहा कि इस कला कृति में सिन्चांग के प्राकृतिक सौंदर्य , कंबल शिल्प कला तथा फोटोग्राफी तीनों का जीता जागता मिश्रण हो गया । उन का कहना हैः
यह एक अद्भुत कला सृजन है , श्री श्ये ने फोटोग्राफी को कंबल के साथ बेमिसाल से जोड़ दिया है , फोटोग्राफी की कृति अब कंबल के रूप में दीवार पर लगायी जा सकती है , इस से फोटोग्राफी की कृति त्रिआयामी कृति बन गयी , जो सजीव और ठोस का एहसास देता है । फोटोग्राफ कंबल प्रदर्शनी के बाद देश के विभिन्न स्थानों से बड़ी संख्या में व्यापारी और ग्राहक सौदे के लिए आये , परिणामस्वरूप पहले दिवाला होने वाला कंबल कारखाने का अब पुनर्रूत्थान हुआ । सिन्चांग के फोटोग्राफर श्ये ह्वेरूए ने न केवल फोटोग्राफी का नया विकास किया , साथ ही फोटोग्राफ कंबल बनाने का नया आयाम भी खोला , जिस से सिन्चांग के कंबल शिल्प उद्योग इतिहास का एक नया अध्याय खुल गया है ।
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