छिंगहाई प्रांत उत्त पश्चिमी चीन के छिंगहाई-तिब्बत पठार पर स्थित है, जहां प्रचूर प्राकृतिक संसाधन उपलब्ध है । लेकिन कम आबादी और असुविधापूर्ण यातायात के कारण देश के पूर्वी भाग में स्थित समुद्रतटीय क्षेत्रों की तुलना में इस प्रांत का अर्थतंत्र अविकसित रहा है , यहां गरीब लोगों की संख्या भी ज्यादा है । पिछले कुछ सालों की अथक कोशिशों के बाद अब छिंगहाई प्रांत ने अपने अर्थतंत्र के विकास के लिए एक नया रास्ता खोज निकाला है , यानी कृषि उत्पादन के औद्योगिकीकरण से किसानों को गरीबी से छुटकारा दिलाया जाए । आज के इस कार्यक्रम में आप सुनिए इस संदर्भ में एक रिपोर्ट
गत शताब्दी के सत्तर वाले देशक के अंत में चीन में सुधार व खुले द्वार की नीति लागू की जाने के बाद छिंगहाई प्रांत के कृषि व ग्रामीण अर्थतंत्र का बड़ा विकास हुआ, किसानों व चरवाहों का जीवन स्तर भी उल्लेखनीय उन्नत हो गया और गरीबी की स्थिति बड़ी हद तक सुधर गई । लेकिन गंभीर प्राकृतिक स्थिति, कमज़ोर बुनियादी संस्थापन तथा सरल औद्योगिकी ढांचे आदि कारणों से किसानों व चरवाहों में गरीबी का सवाल इस प्रांत के कुछ क्षेत्रों में गंभीर रूप से बना रहा है । आंकड़ों के अनुसार अब तक छिंगहाई प्रांत में कुल 2400 से ज्यादा गरीब गांव हैं और गरीबों की संख्या 11 लाख 90 हज़ार से अधिक।
छिंगहाई प्रांत के गरीबी उन्मुलन विकास कार्यालय के उपनिदेशक श्री सोंग वेइजङ ने इस प्रांत के गरीबी सवाल का परिचय देते हुए कहा
"हमारे प्रांत के गरीब क्षेत्र आम तौर पर दूर दराज के पिछड़े हुए स्थानों में स्थित हैं और गरीब गांवों की संख्या ज्यादा तथा बहुत से स्थानों में मिलते हैं । अधिकांश गरीब जन संख्या अल्पसंख्यक जातियों से है । इस तरह हमारे सामने गरीबी उन्मुलन का कर्तव्य बहुत कठोर है ।"
छिंगहाई प्रांत के गरीब गांव आम तौर पर दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में स्थित हैं, जहां की यातायात असुविधापूर्ण है । लम्बे अर्से से गांव वासी परम्परागत खेतीबाड़ी पर निर्भर रहते हैं ।
कुछ समय पूर्व हमारे संवाददाता ने छिंगहाई प्रांत की राजधानी शीनिंग शहर से नज़दीक फ़ानशन गांव का दौरा किया । स्थानीय किसानों ने हमारे संवाददाता को जानकारी देते हुए कहा कि इस गांव की प्रमुख फसल सरसों, जौ और आलू आदि हैं । किसानों का जीवन इन कृषि उपजों की बिक्री पर निर्भर रहता है । अगर किसी साल प्राकृतिक प्रकोप के कारण अच्छी पैदावार नहीं हुई, तो किसानों की आय बहुत कम हो जाती है । अपनी आय को बढ़ाने और जीवन स्तर को उन्नत करने की कोशिश में गांव के युवा श्रमिक बाहर नौकरी के लिए जाते हैं और गांव में सिर्फ़ बुढ़े व बच्चे रह जाते हैं ।
इस गांव के ऊपरी स्तर के प्रशासनिक निकाय फिंगआन कांउटी के गरीबी उन्मुलन कार्यालय के निदेशक श्री च्या योंगछुन ने संवाददाता से कहा
"हमारी कांउटी में कुल 111 प्रशासनिक गांव हैं, जिन में से 73 गांव गरीब हैं । इन गरीब गांवों में से साठ कम आय वाले गांव हैं और अन्य 13 अति गरीब गांव हैं।"
सूत्रों के अनुसार फानशन गांव के वासियों की औसत वार्षिक आय 625 चीनी य्वान से कम होती है , जो अति गरीब गांव की सूची में आया है । वर्तमान में छिंगहाई प्रांत में कोई 1400 गांव फ़ानशन गांव जैसे अति गरीब गांव की सूची में गिने गए हैं ।
इधर के वर्षों में छिंगहाई प्रांत ने गरीबी उन्मुलन के लिए पहले के मात्र राहत सहायता देने के तरीके को बदल कर वहां की श्रेष्ठता रखने वाले कृषि उत्पादन का औद्योगिकीकरण करने पर प्राथमिकता दी , जिस से गरीब लोगों को रोज़गार के ज्यादा मौके व आय के ज्यादा स्रोत प्रदान किया जा सकता है । वर्तमान में कृषि उत्पादों के प्रोसेसिंग उद्योग में काम करना छिंगहाई प्रांत के किसानों के लिए पैसे कमाने का प्रमुख तरीका बन गया है । ऐसे कृषि उत्पादों के प्रोसेसिंग उद्योग विशेष तौर पर किसानों को गरीबी से छुटकारा दिलाने के लिए स्थापित किए गए हैं । किसान खेती से अवकाश समय में इन उद्योगों में काम करने के जरिए अतिरिक्त पैसे कमाते हैं ।
फ़ानशन गांव के नज़दीक एक वानज़ी नामक गांव बसा हुआ है , जहां तिब्बती शैली वाला कंबल का एक प्रोसेसिंग केंद्र है । इस केंद्र के निदेशक श्री वेई जानयुन ने कहा कि यहां काम करने वाले बुनकर आम तौर पर गांव की महीलाएं हैं । श्री वेई का कहना है
"अब हमारे यहां कुल 40 मज़दूर हैं, उन के औसत वार्षिक वेतन तीन हज़ार य्वान से चार हज़ार के बीच होते हैं ।"
यह कंबल प्रोसेसिंग केंद्र कंबल कारोबार द्वारा वानज़ी गांव में स्थापित एक उत्पादन अड्डा है । छिंगहाई प्रांत में इस प्राकर के अनेक प्रोसेसिंग केंद्र हैं, जो टेक्सटाइल और दूध के प्रोसेसिंग आदि कारोबारों से जुड़े हुए हैं । छिंगहाई प्रांत की विभिन्न स्तरीय सरकारें कृषि उत्पादों से जुड़े कारोबारों को गरीब क्षेत्रों में अपने प्रोसेसिंग केंद्र की स्थापना के लिए प्रोत्साहन देती हैं, इन केंद्रों में गरीब किसानों की भागीदारी से उन की आय बढ़ गयी । वर्तमान में गरीब किसानों की सहायता करने वाले इन प्रोसेसिंग केंद्रों के उत्पाद देश भर ही नहीं, विदेशों में भी बेचे जाते हैं । विशेष तिब्बती शैली वाले कंबल भी निर्यात वस्तुओं में से एक है । आंकड़ों से पता चला है कि हर साल दस लाख अमरीकी डालर वाले तिब्बती शैली के कंबल के निर्यात के चलते वहां के 1600 किसानों के रोज़गार के सवाल का समाधान किया गया है ।
उत्पादन क्षमता को उन्नत करने के लिए कृषि उत्पादों से जुड़े कारोबार प्रोसेसिंग केंद्र में कार्यरत किसानों को प्रशिक्षित भी करते हैं । 18 वर्षीय थ्ये य्वीछुन मिडिल स्कूल से स्नातक होने के बाद कंबल प्रोसेसिंग केंद्र आकर काम करने लगा । अपने काम के प्रति वह संतुष्ट है । सुश्री थ्ये य्वी छुन ने कहा
"तीन महीनों का प्रशिक्षण पाने के बाद हमें अलग-अलग तौर पर 16 प्रोसेसिंग केंद्रों में भेजा गया । वहां हम कंबल बनाने वाले तकनीकी मज़दूर बन गईं।"
छिंगहाई प्रांत के गरीबी उन्मुलन कार्य में कृषि उत्पादों से जुड़े कारोबारों की भूमिका दिन ब दिन महत्वपूर्ण होती जा रही है, जिसे किसान और बाज़ार के बीच का पुल माना जाता है । छिंगहाई प्रांत के सामाजिक वैज्ञान अकादमी के उप निदेशक श्री सुन फ़ा फिंग ने विश्लेषण करते हुए कहा
"कृषि व पशुपालन के औद्योगिकीकरण का लक्ष्य आधुनिक उत्पादन की विचारधारा व प्रबंधन अवधारणा से परम्परागत कृषि व पशुपालन उत्पादन का सुधार करना है । जिस से बाज़ार प्रतिस्पर्द्धा में कृषि व पशुपालन उत्पादन को श्रेष्ठता हासिल करायी जाती है ।"
श्री सुन फ़ा फिंग ने कहा कि छिंगहाई प्रांत में मानव शक्ति व विशेष संसाधनों की कमी नहीं हैं, कमी यह है कि बाज़ार के साथ जुड़ने का पुल। इधर के वर्षों में योजनाबद्ध गरीबी उन्मुलन कार्य के विकास के चलते इस प्रांत के आर्थिक विकास का भारी परिवर्तन आया ।
सूत्रों के अनुसार वर्तमान में कृषि के औद्योगिकीकरण के विकास ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर छिंगहाई प्रांत के तीन लाख गरीब किसानों व चरवाहों की आय बढ़ा दी है । हर किसान व चरवाह परिवार की आय में औसतन् नौ सो चीनी य्वान की वृद्धि हुई है ।
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