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(GMT+08:00) 2007-05-23 16:27:52    
क्वे चाओ प्रांत की फींग थांग कांऊटी की चांग पू घाटी में दुर्लभ अक्षरों वाली चट्टान

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प्रिय दोस्तों को हमारा प्यार भरा नमस्कार । दक्षिण पश्चिम चीन स्थित क्वे चाओ प्रांत की फींग थांग कांऊटी में स्थित चांग पू घाटी में दुर्लभ पत्थर , गहरे कुंभ और अनौखे पेड़ बड़ी तादाद में देशी विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर खिंच लेते हैं । आज के चीन के भ्रमण कार्यक्रम में हम आप के साथ वहां देखने जायेंगे ।

चांग पू घाटी क्वे चाओ प्रांत की फींग थांग कांऊटी के दक्षिणी भाग में अवस्थित है और उस की लम्बाई आठ वर्ग किलोमीटर है । घाटी में प्रवेश करते ही पर्यटक मनोहर प्राकृतिक सौंदर्य पर एकदम मोहित हो उठते हैं । स्वच्छ चांग पू नदी बड़े शांत से चट्टानों के बीच कल कल करते हुए आगे बह जाती है , हरे भरे गगनचुम्बी आदिम वृक्ष घने रूप से उगे हुए हैं और घाटी के दोनों तरफ सीधी खड़ी चट्टानें दिखाई देती हैं ।

चांग पू घाटी में उपलब्ध विविधतापूर्ण अनौखा चट्टानें बहुत उल्लेखनीय हैं , जिन में अक्षरों वाली चट्टानें सब से दुर्लभ हैं । पर्यटक चांग पू घाटी के प्रवेश गेट से आगे करीब दो हजार मीटर जाकर एक खड़ी चट्टान के पास पहुंच सकते हैं , फिर इसी सीधी खड़ी चट्टान के बगल में दो दसेक मीटर ऊंचे पेड़ उगे हुए नजर आते हैं , जबकि दुर्लभ अक्षरों वाली दो भीमकाय चट्टानें इन ही दोनों छायादार पेड़ों के बीच छिपी हुई हैं । इन अक्षरों वाली चट्टानों का पता लगाने वाले स्थानीय किसान वांग क्वो फू ने याद करते हुए कहा कि जून 2002 में जब मैं यहां से होकर जा रहा था , तो मेरी नजर अचानक पेड़ों के नीचे दो भीमकाय चट्टानों पर पड़ी और मुझे इन दोनों चट्टानों पर कुछ अक्षर अकित हुए दीख रहे थे ,फिर मैं ने इन अक्षरों को देखते देखते कई चीनी शब्दों को पहचान लिया ।

हमारे संवाददाता ने भी साफ साफ देख लिया है कि इन दोनों भीमकाय चट्टानों पर सचमुच कुछ चीनी शब्द स्पष्टतः अंकित हुए हैं और कुछ शब्दों को जोड़कर पूरा वाक्य भी पढ़ा जा सकता है । इतना ही नहीं , कुछ अंग्रेजी व अरबी भाषाओं के अक्षरों जैसे हैं । इतनी अनौखा चट्टान आखिरकार कैसे पैदा हुई है । दसेक चीनी भूतत्व शास्त्रियों से गठित एक सर्वेक्षण दल ने इन दोनों अक्षरों वाली चट्टानों की विशेषता पर अनुसंधान कर यह सारांश निकाला कि चांग पू घाटी में उपलब्ध ये दोनों दुर्लभ चट्टानें आज से कोई 20 करोड़ साल से पहले प्राकृतिक रूप से बनी हुई है । इस विशेषज्ञ सर्वेक्षण दल के नेता प्रोफेसर श्री ली थिंग तुंग ने कहा कि चट्टानों पर जो अक्षर दिखाई देते हैं , वे आज से कोई 27 करोड़ साल से पहले ही उत्पन्न हो गये हैं । शुरू में बहुत से मृत प्राचीन जीव जंतुएं वर्षा व हवा के थपेड़ों के मारे टुकड़े टुकड़े होकर इन चट्टानों पर पड़ीं , फिर ये सख्त टुकड़े धीरे धीरे चट्टानों से चिपक कर अक्षरों के रेखा चित्रों के रूप में बदल गये , और तो और अभी तक इन चट्टानों पर मानवकृत नक्काशी करने का कोई आसार उपलब्ध नहीं है ।

प्रोफेसर श्री ली थिंग तुंग का मानना है कि चांग पू घाटी में उपलब्ध अक्षरों वाली चट्टानें सचमुच ही दसेक खरबों में से हैं । इसलिये ये दुर्लभ चट्टानें विश्व में एक करिश्मा कहने लायक है ।

अक्षरों वाली चट्टानों ने इधर सालों में अंगिनत देशी विदेशी पर्यटकों को आकर्षित कर दिया है । पर्यटक श्री पी भी विशेष तौर पर इन दोनों चमत्कृत चट्टानों को देखने के लिये यहां आये हैं । उन्हों ने हमारे संवाददाता के साथ बातचीत में कहा कि जान पड़ता है कि इन दोनों चट्टानों पर दीखने वाले अक्षर प्राकृतिक नहीं हों , मुझे लगता है कि ये अक्षर मानो देवताओं ने किये हों ।

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