इधर के वर्षों में मौसम में गरमी का बढ़ना भी विश्व में एक ज्वलंत विषय बन गया है । इसी सवाल के समाधान के लिए चीन सरकार भी बहुत से कदम उठा रही है । इसी संदर्भ में विश्व के दूसरे देशों के साथ सहयोग के अनेक मुद्दे भी चल रहे हैं ।
तथाकथित ग्रीन हाउस गैस में कार्बन डाईऑक्साईड (carbon dioxide)तथा मैथन(methane) गैस आदि शामिल हैं । ऐसी गैसों के बढ़ते जा रहे निष्कासन के कारण पृथ्वी की सतह पर तापमान निरंतर बढ़ गया है । चीन में भी अनेक बार गर्म शीतकाल का मौसम नज़र आने लगा है । इस वर्ष के शीतकाल में चीनी राजधानी पेइचिंग में तापमान 16 सेल्सिस डिग्री (celsius) तक जा पहुंचा , जो पिछले 160 से अधिक सालों में सब से गर्म साबित हुआ है। चीनी इंजीनिरिंग एकेडमिशियन , चीनी राज्य मौसम ब्यूरो के प्रधान श्री छीन डा ह ने कहा कि गर्म शीतकाल से खेती में हानिकर कीड़ों के प्रजनन को बढ़ावा मिलेगा और सूखे की स्थिति भी गंभीर बनेगी । और ग्रीन हाउस गैस के निष्कासन से अत्यंत गंभीर कुप्रभाव पड़ेगा ।
उन्हों ने कहा , अनुसंधान के परिणाम से यह जाहिर है कि तापमान के गरम होने से अत्यंत बुरे मौसम जन्म ले सकते हैं । मौसम में आ रहे परिवर्तन से सूखे और तूफान आने की आवृति में भी बदलाव आया है , और वे अधिक अनियमित हुए हैं । गत वर्ष चीन में अनेक बार तूफान आए , जिनसे काफी जान-माल का नुकसान हुआ। प्राकृतिक विपत्ति का मौसम में आ रहे परिवर्तन से सीधा संबंध है ।
इसमें यह भी चर्चित है कि पृथ्वी पर अधिकांश पानी बर्फ के रूप में उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों पर जमा हुआ है । मौसम के गर्म होने से इस बर्फ के पिघलने का बहुत बड़ा खतरा मौजूद है । तब समुद्री सतह के बढ़ने से बहुत से समुद्रतटीय शहरों के पानी के नीचे डूबने के खतरों का सामना करना पड़ेगा । साथ ही समुद्री पानी के उलटे बहने के कारण समुद्रतटीय इमारतों, कृषि उत्पादन , और परिवहन आदि पर भी अत्यंत बुरा प्रभाव पड़ेगा । इसीलिए विश्व के विभिन्न देश इधर के वर्षों में ग्रीन हाउस गैस के कम निष्कासन के लिए प्रयास कर रहे हैं । चीन सरकार हमेशा ग्रीन हाउस गैस के कम निष्कासन पर महत्व देती आ रही है । वर्ष 2002 में चीन सरकार ने क्योटो प्रोटोकोल की पुष्टि की , और इस दस्तावेज़ के मुताबिक विदेशों से पूंजी व उन्नतिशील तकनीकों का आयात कर साफ अर्थतंत्र का विकास करने की कोशिश की है । इस वर्ष की जनवरी तक चीन सरकार ने बिजली , कोयला और रसायनिक उद्योग के साफ विकास से संबंधित तीन सौ परियोजनाएं लागू की हैं ।
बिजली के उत्पादन में सर्वप्रथम ऊर्जा की प्रयोग दर को उन्नत करने तथा साफ ऊर्जा का विकास करने के जरिये ग्रीन हाउस गैस का कम निष्कासन साकार किया जाता है । उत्तरी चीन के भीतरी मंगोलिया में एक लाख किलोवाट वाले पन बिजली घर के निर्माण से प्रति वर्ष 2 लाख 50 हजार टन कार्बन डाईऑक्साईड कम निष्कासित किया जाएगा ।
कोयले के उत्पादन में भी कोयले में मौजूद मैथन गैस के जरिये बिजली का उत्पादन किया जा सकता है । मध्य चीन के आनह्वेई प्रांत की कुछ कोयला खानों में मैथन का पुनः प्रयोग करने वाली परियोजनाएं चलायी जा रही हैं , उन का निर्माण समाप्त होने के बाद प्रति वर्ष तीन लाख टन कार्बन डाईऑक्साईड कम निष्कासित की जाएगी ।
फ्लूरोफार्म( fluoroform ) के प्रति शायद आप की कम जानकारी है । यह द्रव हमारे घर के फ्रिज़ की मोटर मशीन में प्रयोग होता है। फ्लूरोफार्म सब से खतरनाक गैस है , जो कार्बन डाईऑक्साईड से भी दस हजार गुणा अधिक खतरनाक है । वर्तमान में दक्षिणी चीन के च-च्यांग प्रांत में फ्लूरोफार्म को जलाकर इसे विभाजित करने वाले कारखाने का निर्माण किया जा रहा है । उच्च तापमान के जरिये इसे ऐसे तत्व के रूप में बदला जाएगा , जो ग्रीन हाउस गैस का निष्कासन न कर सकेगा ।
चीन के दूसरे क्षेत्रों में भी मिलती जुलती परियोजनाएं चलायी जा रही हैं। चीन सरकार ने संयुक्त राष्ट्र संघ की विकास व योजना ब्यूरो के साथ सहयोग कर चीन के 12 प्रांतों में साफ विकास व्यवस्था तकनीक केंद्र बनाए हैं, जो ग्रीन हाउस गैस का कम निष्कासन करने का परामर्श देते हैं । चीनी विज्ञान व तकनीक मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी श्री ली के अनुसार चीनी विज्ञान व तकनीक मंत्रालय इन तकनीक केंद्रों का मार्गदर्शन करेगा , और उन की कार्य क्षमता को बढ़ाने का प्रयास करेगा ।
उन्होंने कहा , ठोस मुद्दों को कायम करने के दौरान हमारी 12 प्रांतीय तकनीक सेवा संस्थाओं का जोरों पर निर्माण किया जाएगा । साथ ही सौ से एक सौ बीस विशेषज्ञ ग्रीन हाउस गैस विरोधी मुद्दों में भी शरीक होंगे । हम इसी बीच साफ विकास व्यवस्था से संबंधित सिलसिलेवार गतिविधियों का आयोजन करेंगे । योजनानुसार कुल 1500 व्यक्तियों का प्रशिक्षण किया जाएगा , जो साफ विकास व्यवस्था के निर्माण तथा मौसम परिवर्तन के अनुसंधान में कार्यरत होंगे ।
संयुक्त राष्ट्र संघ के विकास व योजना ब्यूरो के चीन स्थित प्रतिनिधि श्री मलिक ने ग्रीन हाउस गैस के कम निष्कासन के संदर्भ में की गयी कोशिशों के लिए चीन की प्रशंसा की । उन का मानना है कि 12 प्रांतीय तकनीक सेवा संस्थाओं के निर्माण से चीन में ग्रीन हाउस गैस विरोधी कार्य और सुव्यवस्थित और व्यवसायिक बनेंगे । श्री मलिक ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र विकास व योजना ब्यूरो ग्रीन हाउस गैस विरोधी कार्यों में चीन का समर्थन करना जारी रखेगा ।
उन्हों ने कहा , जैसा कि संयुक्त राष्ट्र संघ की सरकार व्यापी मौसम परिवर्तन विशेष कमेटी ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में यह बताया है कि मौसम परिवर्तन विश्व के सामने मौजूद सब से फोरी बात है । मौसम परिवर्तन का सामना करने तथा ग्रीन हाउस गैस के कम निष्कासन के आधार पर आर्थिक विकास साकार करने में चीन की मदद करना, संयुक्त राष्ट्र विकास व योजना ब्यूरो का महत्वपूर्ण काम होगा ।
वर्ष 2006 से शुरू चीन की 11वीं पंचवर्षीय योजना के तहत वर्ष 2010 तक चीन में प्रति इकाई जी डी पी के प्रति ऊर्जा खपत वर्ष 2005 से बीस प्रतिशत कम होगी । साथ ही चीन के ऊर्जा प्रयोग में पुनःरुत्पादित ऊर्जा का अनुपात 10 प्रतिशत तक रहेगा । चीन के विज्ञान व तकनीक उप मंत्री श्री ल्यू यान ह्वा ने कहा कि इसी लक्ष्य को साकार करते समय चीन को दूसरे देशों का सहयोग चाहिये , ताकि चीन में ऊर्जा व पर्यावरण संरक्षण के बुनियादी उपकरणों के निर्माण को बढ़ाया जा सके ।
उन्हों ने कहा , चीन की 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान चीनी विज्ञान व तकनीक मंत्रालय देश के दूसरे मंत्रालयों के साथ सहयोग कर चीन और दूसरे देशों तथा अंतर्राष्ट्रीय संगठन के बीच सहयोग को बढ़ाएगा । हम अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सहयोग से सामान्य विश्व मौसम की रक्षा में अपना योगदान पेश करेंगे ।
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