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(GMT+08:00) 2007-05-22 08:34:37    
तिब्बती कलाकार सोलांग त्सेरन और उन का हास्य संवाद कला

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श्री सोलांग त्सेरन आधुनिक काल में तिबब्ती भाषा में ऑपेरा व वाचन कलाकृति रचने वाले प्रथम तिब्बती कलाकार हैं । इस के साथ ही वे तिब्बती वाचन कला के क्षेत्र में विशेषज्ञ भी हैं । उन्होंने《तिब्बती जातीय हास्यसंवाद व वाचन कला》नामक पुस्तक प्रकाशित की, जिस में तिब्बत के समृद्ध वाचन हास्य संवाद संस्कृति का सारांश किया गया।

अपने प्रथम ऑपेरा《सिचि पिचि》की सफलता से सोलांग त्सेरन को भारी प्रेरणा मिली । इस के बाद, वे अकसर साधारण तिब्बती लोगों के बीच जा-जा कर तिब्बती जाति की सुन्दर अर्थपूर्ण भाषाएं व दिलकश कहानियां इक्ट्ठा करते रहे हैं । उन्होंने तिब्बती जाति की विशेषता वाली अनेक रचनाएं रचीं, जिन में से तिब्बती भाषी हास्य संवाद की रचना《गरीबी उन्मूलन》को भारी सफलता हासिल हुई । इस हास्य संवाद रचना में सुधार और खुले द्वार की नीति लागू होने के बाद तिब्बती किसानों में गरीबी से छुटकारा पाने की यथार्थ स्थिति अभिव्यक्त की गई, जो तिब्बती जनता के वास्तविक जीवन के बहुत नज़दीक है । बहुत से दर्शक विशेष तौर पर दूसरे स्थानों से इस प्रोग्राम देखने के लिए ल्हासा आते हैं ।

उन्होंने कहा कि इस हास्य संवाद रचना ने उन के दिल की बातें कही हैं । इस प्रोग्राम को प्रदर्शित करने वाले तिब्बती मशहूर हास्य संवाद कलाकार श्री थू तङ ने कहा

"हम ने अनगिनत बार इस हास्य संवाद रचना को प्रस्तुत किया है । आज भी वह तिब्बत में बहुत ही लोकप्रिय बनी रही है , दर्शक उसे बार-बार वाहवाही देते हैं । सोलांग त्सेरन की रचनाओं की सब से विशेषता है कि वे साधाराण नागरिकों के जीन से घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं । उन की रचनाओं को पेश करने के दौरान हम भी बहुत कुछ सीख सकते हैं ।"

बीस से ज्यादा वर्षों में सोलांग त्सेरन ने पचास से ज्यादा तिब्बती ऑपेरा व हास्य संवाद रचनाएं रचीं, जिन में नब्बे प्रतिशत रचनाओं को प्रदर्शित किया गया । इस के साथ ही उन्होंने अनेक तिब्बती गीतों के बोल भी लिखे, जिन के अधिकांश आज तक भी लोगों की जुबान पर हैं ।

गत शताब्दी के नब्बे वाले दशक के शुरू में तिब्बत की प्राचीन जातीय कला के संरक्षण के लिए तिब्बत के संबंधित विभागों ने बड़े पैमाने पर तिब्बती जातीय व लोक कला कृतियों के संकलन व प्रकाशन का काम शुरू किया । सोलांग त्सेरन ने तिब्बती वाचन व हास्य संवाद कला ग्रंथ के प्रधान संपादक का कार्य संभाला , जिस में तिब्बती नृत्य, वाद्ययंत्र, वाचन और तिब्बती ऑपेरा आदि सामिल हैं ।

तिब्बत की प्राचीन वाचन कला का अध्ययन करने के लिए सोलांग त्सेरन ने 15 सालों में तिब्बत के विभिन्न स्थान जाकर संबद्ध लोक कला कृतियों को इक्ट्ठा किया । अंत में उन्होंने वाचन कला की ऐसी बेशुमार सामग्री जुटाएं, जो नष्ट लिप्त होने को है। सोलांग त्सेरन ने तिब्बती वाचन कला को अच्छी तरह वर्गीकृत व सुव्यवस्थित किया ।

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के जातीय कला अनुसंधान केंद्र के निदेशक श्री गाल्सांग गोइग्याइ ने कहा कि सोलांग त्सेरन के अध्ययन से तिब्बत की वाचन कला प्रथम बार संपूर्ण व व्यवस्थित रूप में सामने आया। उन का कहना है

"तिब्बत की वाचन कला का कई हज़ार साल पुराना इतिहास रहा है । लेकिन उस की कोई लिखित सामग्री कभी नहीं बनायी गई । सोलांग त्सेरन द्वारा संकलित व प्रकाशित तिब्बती वाचन कला से संबंधित पुस्तक इतिहास में इस किस्म का पहला काम है। तिब्बती वाचन कला के अध्ययन के लिए उन्होंने अथक कोशिश की थी । उन्होंने तिब्बती जातीय कला के लिए भारी योगदान किया और वाचन कला के बचाव व प्रसार-प्रचार कार्य के लिए अतूल्य भूमिका निभायी ।"

श्री सोलांग त्सेरन ने कहा कि आंकड़ों से पता चला कि तिब्बत की महाकाव्य《महाराजा गेसर》में करीब एक करोड़ पचास लाख शब्द हैं । यह आज तक विश्व भर में सब से लम्बा वाचन कला वाला महाकाव्य माना जाता है । यह महाकाव्य प्राचीन तिब्बत के समाज, इतिहास, राजनीति, अर्थतंत्र, जातीय रीति रिवाज़, संस्कृति व कला आदि क्षेत्रों के अनुसंधान के लिए लाभदायक है । उन्हें आशा है कि《महाराजा गैसर》जैसी तिब्बती मूल्यावान चीज़ों को विश्व अभौतिक सांस्कृतिक अवशेष की नामसूची में शामिल कर और अच्छी तरह संरक्षित किया जा सकता है । तिब्बती बंधु सोलांग त्सेरन ने कहा

"वर्तमान में तिब्बत आने वाले पर्यटकों की संख्या दिन ब दिन बढ़ती जा रही है । तिब्बत उन्हें अपने पर्याप्त भौतिक सांस्कृतिक अवशेष ही नहीं, अपनी रंगबिरंगी अभौतिक संस्कृति दिखाता है । इस तरह तिब्बत आने वाले पर्यटक तिब्बत के पुराना इतिहास व संस्कृति को महसूस कर सकते हैं । मेरा विचार है कि किसी भी जाति के लिए अपनी जातीय भाषा, संस्कृति व रीति रिवाज़ का प्रसार-प्रचार करना भारी महत्वपूर्ण है । तिब्बती वाचन कला की विविध शैलियां हैं । हमें इस कला का गहरा अध्ययन करना चाहिए, ताकि इस का प्रसार प्रचार कर आगे बढ़ाया जाए।"

तिब्बती बंधु सोलांग त्सेरन ने आशा जतायी कि अपनी कोशिशों के जरिए तिब्बत की हास्य संवाद कला का निरंतर विकास होगा और आधुनिक समाज में अपनी चमकदार रोशनी दिखायी जाएगी ।