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(GMT+08:00) 2007-05-21 14:25:45    
लम्बी दीवार के रक्षक विशेषज्ञ तुंग याओ-ह्वई

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पहली दिसम्बर 2006 को चीन में लम्बी दीवार का संरक्षण संबंधी अधिनियम विधिवत् तौर पर लागू होना शुरू हुआ। इस तरह लम्बी दीवार पर से मिट्टी या ईंटें हटाना,उस के निकट फसल उगाना और उस पर वाहन चलाना आदि कार्यवाहियों की मनाही कर दी गई है। इस अधिनियम के क्रियान्वयन से तुंग याओ-ह्वेई नामक एक विशेषज्ञ ने राहत की सांस ली,जो पिछले बीसेक सालों से लम्बी दीवार की रक्षा में लगे हुए हैं।

50 वर्षीय तुंग याओ-ह्वई चीनी लम्बी दीवार सोसाइटी के उपाध्यक्ष हैं। उन की जन्मभूमि लम्बी दीवार की तलहटी में ही स्थित हपे प्रांत की फ़ू-निंग काऊंटी है।

लम्बी दीवार को मानव जाति द्वारा निर्मित एक बड़ा आश्चर्य माना गया है। ईसा पूर्व की दूसरी शताब्दी में चीन के प्रथम सम्राट छिंग शी-ह्वांग ने चीन के एकीकरण से पहले के अनेक राज्यों द्वारा अपनी-अपनी सीमा पर रक्षा के लिए निर्मित दीवारों को एक दूसरे से जोड़ा था। इस के बाद के कोई 1000 वर्षों में चीन के विभिन्न राजवंश भी लगातार लम्बी दीवार को पुनःनिर्मित करते रहे। फलस्वरूप उस की लम्बाई कई हजार किलोमीटर तक जा पहुंची। इस का जो भाग आज भी पूर्णतया संरक्षित है,वह 600 साल पहले के मिंग राजवंशकाल में बनाया गया है।

तुंग याओ-ह्वई को पर्वतारोहण औऱ लेखन का शौक है। पहले वह एक बिजली पॉवर कंपनी में कार्यरत थे। पिछली सदी के आठवें दशक में उन्हों ने लम्बी दीवार के अन्वेषण के लिए उस की पैदल यात्रा करने का फैसला लिया। इस के बारे में उन्हों ने कहाः

"लम्बी दीवार की तलहटी में पला-बड़ा होने के कारण मुझे बचपन से ही लम्बी दीवार की ज्यादा जानकारी पाने में बड़ी रूचि रही है। लेकिन बीसेक साल पहले लम्बी दीवार के बारे में पुस्तकें बहुत कम मिलती थीं। मैं जितना ज्यादा जानना चाहता था, उतनी ही निराशा होती थी,पर रूचि बनी रही। इस तरह मैं ने सोचा कि अगर मैं ने पूरी लम्बी दीवार पर अपने पदचिन्ह छोडे,तो वह वाकई एक कमाल होगा।"

तुन याओ-ह्वई ने कहा कि उन्हें साहित्य से बड़ा लगाव है और उन्हों ने अपने अवकाश का अधिकतर समय लेखन में लगाया है। उन की लिखी कहानियां,साहित्यिक रिपोर्टें और निबंध पाठकों में लोकप्रिय हैं। लेकिन लम्बी दीवार पर पैदल यात्रा करने का फैसला करने के बाद उन्हों ने अपना ज्यादा समय और शक्ति लम्बी दीवार संबंधी सामग्री इकठ्ठी करने में लगाना शुरू किया।

चार मई 1984 को तुंग याओ-ह्वई ने अपने दो साथियों के साथ लम्बी दीवार का पैदल अन्वेषण शुरू किया। उस समय वह 28 साल का था। लम्बी अवधि तक निर्जीव गहरे पहाड़ों का चक्कर काटने के दौरान जो कठिनाइयां सामने आईं ,वे कल्पना से परे हैं। खासकर आध्यात्मिक अकेलापन अधिक असहनीय है। तुंग याओ-ह्वई ने कहाः

"उस समय हमारी सब से बड़ी कठिनाई समाज से या रिश्तेदारों व दोस्तों से कटे-कटे पहाडों में रहना और आध्यात्मिक अकेलापन थी। अनेक मौकों पर हमारे आध्यात्मिक सब्र का बांध टूटने को हो गया और कई दिनों तक तीनों मूक बनकर बातचीत भी न कर पाए।"

तुंग याओ-ह्वई और उन के साथियों ने 508 दिनों में 100 से अधिक शहरों व कस्बों से पैदल गुज़रकर लम्बी दीवार का अन्वेषण करने की अपनी योजना पूरी कर ली। उन की कार्यवाही का मीडिया द्वारा काफी प्रचार-प्रसार किया गया। इस से लम्बी दीवार से उन का भाग्य घनिष्ठ रूप से जुड़ गया।

वर्ष 1985 में तुंग याओ-ह्वई पेइचिंग विश्वविद्यालय में दाखिल होकर प्रसिद्ध इतिहासकार व भू-शास्त्री प्रोफेसर हो रन-जी के छात्र बने। अध्ययन करने के साथ-साथ उन्हों ने बहुत सी संबंधित गतिविधियों में भी भाग लिया और लम्बी दीवार के निर्माण की पृष्ठभूमि,

वास्तु-विशेषताओं व संरक्षण की वर्तमान स्थिति के बारे में भारी महत्व वाले अनेक निबंध लिखे। उन की लिखी पुस्तकें `लम्बी दीवार की यात्रा`, `लम्बी दीवार संबंधी लेखों का संग्रह` और `लम्बी दीवार-विद्या के बुनियादी सैद्धांतिक सवाल`देश औऱ विदेशों में काफी लोकप्रिय हैं।

1995 के बाद से वह क्रमशःचीनी लम्बी दीवार सोसाइटी के महासचिव व उपाध्यक्ष के पद पर रहे। लम्बी दीवार की रक्षा के लिए उन्हों ने तरह-तरह के अकादमिक व सामाजिक आयोजनों का प्रवर्तन किया और विशेष कानून बनवाने की अथक कोशिश की। उन के अपने और समाज के विभिन्न तबकों के समर्थन से वर्ष 2003 के उतरार्द्ध में लम्बी दीवार का रक्षा संबंधी कानून स्वरूप अधिनियम बनाने का काम औपचारिक रूप से शुरू हुआ। 3 सालों की बहस के बाद यह अधिनियम बनकर तैयार हुआ और उस का औपचारिक क्रियान्वयन भी शुरू हुआ। इस पर तुंग याओ-ह्वई की खुशी का ठिकाना न रहा। उन्हों ने कहाः

"लम्बी दीवार एक विशेष सांस्कृतिक अवशेष होने के कारण अनेक क्षेत्रों से संबंध रखती है। इसलिए उसे संरक्षित करने के लिए विशेष कानून जैसा अधिनियम जरूरी था। मुझे विश्वास है कि संबंधित अधिनियम जारी होने से पूरे देश में लम्बी दीवार की रक्षा के काम को प्रेरक शक्ति मिलेगी।"

तुंग याओ-ह्वई के अनुसार इस समय चीन में लम्बी दीवार का एक तिहाई भाग पूरी तरह अक्षुण्ण है,अन्य एक तिहाई भाग गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त है और बाकी एक तिहाई भाग पूरी तरह तबाह होकर गायब हो गया है। इसलिए लम्बी दीवार की रक्षा में तेजी लाना भारी महत्व का काम है। लम्बी दीवार चीन की ही नहीं,बल्कि पूरी मानव-जाति की धरोहर है।

मानव-जाति की सभ्यता के प्रतीक के रूप में इस की रक्षा मानव-जाति के लिए एक योगदान है।तुंग याओ-ह्वई ने कहा कि वह अपनी जिन्दगी के शेष वर्षों को लम्बी दीवार की रक्षा के काम में अर्पित करने को तैयार हैं।