चीन के सिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में प्राकृतिक स्थिति खराब होती है और अर्थतंत्र पिछड़ा हुआ है । वहां बसने वाले बहुत से निवासियों को बीमारी का इलाज कराने के लिए बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है । अल्पसंख्यक जाति कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रस्तुत है सिन्चांग में अल्पसंख्यक जातियों की निस्वार्थ सेवा करने वाले हान जातीय डाक्टर श्री मिन लीक्वी की कहानी
वर्ष 1967 में सिन्चांग मेडिकल कालेज से स्नातक हुए डाक्टर मिन लीक्वी ने सिन्चांग की सब से गरीब काऊंटी---काश्गर प्रिफेक्चर की यिंगजीशा काऊंटी के ऊछा कस्बे के अस्पताल में सेवा अर्पित करने का निश्चय किया । तीस हजार जन संख्या वाले वेवूर लोग बहुल इस देहाती इलाके में चिकित्सा की सुविधा बहुत सरल और पिछड़ी थी और दवा औषधि की कमी होती थी । इसलिए बहुत से मरीजों को समय रहते इलाज नहीं मिल सकता था। इस स्थिति को ध्यान में रख कर हान जाति के डाक्टर मिन लीक्वी ने वहां की पिछड़ी चिकित्सा स्थिति को बदलने का संकल्प किया । इस बात की चर्चा में उन्हों ने कहाः
कस्बे के अस्पताल का चिकित्सा स्तर उन्नत करने के लिए मैं ने अस्पताल के सभी वेवूर युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए कक्षा खोली और मैं खुद वेवूर भाषा में उन्हें प्रशिक्षण देता था । उस जमाने में पूंजी की सख्त कमी थी , तो हम ने अपने हाथों में मिट्टी और लकड़ी से मकान खड़े करना शुरू किया , इस तरह कुछ सालों में कुल सौ से ज्यादा मकान खड़े किए गए और टाउनशिप का अस्पताल कायम किया , जिस में सौ पलंग होते थे , इस के अलावा अस्पताल में लेबॉरट्री , एक्स रे और आपरेशन वार्ड भी स्थापित किए गए , नदीजातः हमारे अस्पताल में बेहतरीन चिकित्सा सुविधाएं कायम हुईं ।
जब शुरू शुरू में डाक्टर मिन ली क्वी ऊछा अस्पताल में काम करने लगा , तो अस्पताल में गंभीर लारिन्जिटिस अर्थात स्वरयंत्र शोथ से पीड़ित एक बच्ची भरती की गयी , अस्पताल की चिकित्सा सुविधा बहुत सीमित थी , इसलिए वहां इस तरह की बीमारी का इलाज नहीं किया जा सकता था , बच्ची की हालत बहुत नाजुक थी । बच्चे की जान बचाने के लिए डाक्टर मिन तुरंत बच्ची और उस की मां को अपने साइकिल पर लाद कर बीस किलोमीटर दूर जिला अस्पताल में ले आये , जिला अस्पताल में एक मिनट का वक्त भी बेकार खर्च किए बिना उन्हों ने फाटाफट बच्ची का आपरेशन किया , जब बच्ची की जान खतरे से मुक्त हुई , तभी उन्हों ने राहत की सांस ले ली । स्थानीय लोग स्नेह के साथ कहते हैं कि डाक्टर मिन लीक्वी वेवूर जाति के सगे परिवार जन हैं । वे दिन रात और दूर नजदीक हर जगह जा जा कर लोगों की बीमारियों का इलाज करते थे, जहां जरूरत पड़े , वे तुरंत वहां जा पहुंचते थे। कभी कभी आधी रात भी वे गधे पर सवार किसानों के घर जा कर बीमारी का इलाज करते थे।
ऊछा अस्पताल में कार्यरत होने के 14 सालों में डाक्टर मिन लीक्वी ने नाना किस्मों के हजार आपरेशन किए थे और सैकड़ों घातक बीमारी से पीड़ित लोगों की जान बचायी । डाक्टर मिन की अथक कोशिशों से सरल साजो सामान से लैस ऊछा अस्पताल काश्गर प्रिफैक्चर के प्रगतिशील अस्पताल के रूप में उभरा और वे खुद भी अनेकों बार काश्गर प्रिफेक्चर व यिंगजिशा काऊंटी के आदर्श कार्यकर्ता के पुरस्कार से सम्मानित किये गए ।
पिछली शताब्दी के अस्सी वाले दशक में डाक्टर मिन ली क्वी सिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश के जन अस्पताल में नियुक्त किए गए । यहां वे जहां तन मन से बीमारियों का इलाज करते हैं , वहां हर मौके से फायदा उठा कर अल्पसंख्यक जातियों के डाक्टरों को प्रशिक्षित भी करते हैं । जन अस्पताल के वेवूर जाति के प्रधान डाक्टर श्री अब्दुर्रहमान पाटार ने कहाः
डाक्टर मिन हमेशा वेवूर मरीजों को अपने परिवार जन की तरह समझते हैं , उन्हों ने अनेक बार आर्थिक कठिनाइयों से ग्रस्त मरीजों को धन राशि की सहायता दी । जब कोई भी मरीज बाद में उन्हें पैसा लौटाना चाहता , तो भी वे लेने से इंकार करते हैं । मैं वेवूर डाक्टर हूं , डाक्टर मिन मुझे भी बहुत मदद देते हैं , आपरेशन के दौरान वे खुद मेरा निर्देशन करते हैं , उन की मदद से पांच सालों के अल्प समय में मैं अस्पताल का एक प्रधान डाक्टर बन गया है , मैं उन का बहुत आभारी हूं ।
पिछले साल की गर्मियों में दक्षिण सिन्चांग के चरगाह से एक वेवूर मरीज आया , उस के मूत्र तंत्र में तंगी होने के कारण सामान्य रूप से पेशाब नहीं कर सकता था , आपरेशन के लिए उस के पास पैसा भी नहीं था । उस की हालत बिगड़ने के बाद घर वालों ने उसे जन अस्पताल में पहुंचाया । इस युवा मरीज की नाजुक स्थिति को देख कर डाक्टर मिन लिक्वी ने तुरंत बैंक में जा कर अपना तीन हजार य्वान निकाल कर आपरेशन फीस की कमी की भरपाई कर दी और चिकित्सा विभाग के अन्य डाक्टरों से मरीज को चंदा देने का आह्वान भी किया । डाक्टर मिन और चिकित्सा विभाग के अन्य सभी सदस्यों ने निस्वार्थ भावना से मरीज का आपरेशन किया । सेहतमंद होने के बाद वह युवा घर लौट गया । इस पर डाक्टर मिन ने कहाः
अस्पताल आने के समय वह मरीज बेहद दुख महसूस करता था और घर भी बहुत गरीब था । अस्पताल में भर्ती किये जाने के बाद मैं ने उस का आपरेशन किया , लेकिन वह आपरेशन का खर्च देने में असमर्थ था , मैं ने अपने पैसे से उस की बीमारी की चिकित्सा जारी रखी। आपरेशन के बाद आगे के इलाज के लिए पैसा भी मैं ने दिया था । इसलिए सेहतमंद होने के बाद वह हमारा बहुत बहुत आभारी है ।
इन सालों में डाक्टर मिन लीक्वी ने गरीब मरीजों को चंदा स्वरूप जो पैसा दिया है , उस की कुल रकम 80 हजार य्वान से भी अधिक है । यह रकम मिन लीक्वी के लिए कोई साधारण रकम नहीं है , यह धनराशि डाक्टर मिन लीक्वी की बचत का तमाम पैसा है , जो सब का सब गरीब मरीजों को सहायता के रूप में प्रदान की गयी है । शुरू में ऊछा अस्पताल में हो , या बाद में जन अस्पताल जैसे बड़े अस्पताल में हो , डाक्टर मिन ली क्वी हमेशा निस्वार्थ डाक्टर के उत्तम व उदात चरित्र का पालन करते रहते हैं और चिकित्सकों और मरीजों के बीच बिरादराना भावना कायम करते हैं । खास कर ऊछा अस्पताल में काम करने के 14 सालों में उन्हों ने जो श्रेष्ठ चिकित्साल तकनीक और उदात भावना दिखायी थी , जिस से स्थानीय लोग इतने प्रभावित हुए हैं कि जब वर्षों बाद वे ऊछा टाउनशिप लौटे , तो स्थानीय निवासी एक दूसरे को खबर देते हुए उन से मिलने आते हैं और वे हर समय उन की बीमारी का इलाज करने तथा उन की जान बचाने वाले इस भूतपूर्व अस्पताल प्रधान के एहसान को कृत्ज्ञता देते हैं । सिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश के जन अस्पताल के मूत्र रोग विभाग के पुरूष रोग उपभाग के उप प्रधान डाक्टर क्वो चीमिंग वर्षों से डाक्टर मिन लीक्वी के साथ एक विभाग में काम करते आए हैं , उन्हों ने डाक्टर मिन लीक्वी की चर्चा करते हुए कहाः
दो साल पहले, वे किसी काम के लिए यिंगजीशा काऊंटी गए, इस काऊंटी के बुजुर्ग निवासी सभी उन की याद करते हैं । अब तक भी कभी कभार दक्षिण सिन्चांग से मरीज ऊरूमुची आ कर उन से बीमारी का इलाज कराते है । वे दक्षिण सिन्चांग में 14 सालों तक चिकित्सा का काम कर चुके हैं , उन्हें वेवूर भाषा भी आती है , इसलिए उन के और वेवूर लोगों के बीच संपर्क भी अन्य हान जातीय डाक्टरों से आसान है , और उन के और वेवूर मरीजों में आसानी से स्नेह व आत्मीयता की भावना कायम हो सकती है ।
वर्षों के चिकित्सा अनुभवों के आधार पर डाक्टर मिन लीक्वी ने पुरूष के प्रॉस्टेट ग्रंथी के रोग का इलाज करने की अनेक उपचार तकनीकों का आविष्कार किया और चिकित्सा के इस क्षेत्र में उल्लेखनीय वैज्ञानिक अनुसंधा की उपलब्धियां हासिल की है । उन का चिकित्सा स्तर देखते हुए देश के बहुत से बड़े अस्पतालों ने उन्हें अपने अस्पात में काम करने आने के लिए आमंत्रित किया और उन्हें मोटा वेतन और जीवन की अच्छी सुविधा देने तथा वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए बड़ी पूंजी प्रदान करने का वायदा किया । लेकिन डाक्टर मिन लीक्वी का मन ऐसी अच्छी पेशकश से नहीं अविचल हुआ , उन का मन सिन्चांग से घनिष्ठ रूप से जुड़ा हुआ है , जहां उन्हों ने दसियों सालों तक काम किया है और उन के और वहां के वेवूर भाइ बहनों के बीच गहरी भाइचारी कायम हुई है।
|