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(GMT+08:00) 2007-05-14 16:14:17    
चीनी युवा फिल्म-निर्देशक ल्यू-चे

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कई महीने पहले चीनी फिल्म Courthouse on the Horseback को 63 वें वेनिस फिल्मोत्सव में फीचर फिल्म श्रेणी के सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस फिल्म के निर्देशक श्री ल्यू-चे को सपने में भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि उन की फिल्म यह पुरस्कार जीतेगी।क्योंकि यह उन की पहली फिल्म है।आखिरकार दुनिया में ऐसे व्यक्तियों की संख्या साफ़ तौर पर उंगलियों पर गिनी जा सकती है,जो अपनी पहली कृति से ही किसी अंतर्राष्ट्रीय सम्मान से नवाजे गए हों।

ल्यू-चो 38 साल के हैं ।उन्हों ने Courthouse on the Horseback नामक फिल्म के सफल निर्देशन के लिए फिल्मी जगत में अपनी पहचान कायम की है। पर फिल्मी जगत में कदम रखने से पूर्व उन की मंशा चित्रकार बनने की थी। मीडिल स्कूल में पढते समय एक बार उन्हों ने एक मशहूर चीनी फिल्म-निर्देशक द्वारा निर्मित एक फिल्म देखी,जिस में दिखाए गए सुन्दर दृश्यों ने उन्हें बहुत प्रभावित किया। इस तरह वह मीडिल स्कूल की पढाई पूरी करने के बाद चित्रकार बनने की मंशा छोड़कर पेइचिंग फिल्म प्रतिष्ठान के फोटोग्राफी विभाग में एक छात्र बन गए।

पिछली सदी के नौवें दशक के मध्य से पहले तक चीन में सरकार द्वारा एकीकृत रूप से स्नातकों औऱ स्नातकोत्तरों को नौकरियां दिलायी जाने की व्यवस्था लागू रही है। ल्यू-चे फिल्म प्रतिष्ठान से स्नातक होने के बाद किसी सरकारी फिल्म-निर्माता कंपनी में काम करना चाहते थे। पर सरकार के प्रबंधन के कारण उन की इच्छा पूरी नहीं हो पाई। फिल्म बनाने के अपने आदर्श पर डटे रहते हुए उन्हों ने दूसरे कई व्यक्तियों के साथ स्वतंत्रता से फिल्म बनाने का फैसला किया, जिसे एक बहुत साहसी कदम माना गया। क्योंकि उस युग में किसी सरकारी संस्था से अलग रहकर स्वतंत्रता से कोई काम करने का मतलब था गुजारे तक की किसी गारंटी का न होना। लेकिन ल्यू-चे को अपने फैसले के लिए जरा भी पछतावा नहीं हुआ। उन का मानना है कि स्वतंत्रता से फिल्म बनाने के दौरान उन्हें बहुत कुछ सीखने का मौका मिला ।उन का कहना हैः

"मैं ने फिल्म प्रतिष्ठान में फोटोग्राफी की पूरी जानकारी ली, इसलिए फोटोग्राफी को कैरियर बनाना चाहा। लेकिन फिल्म निर्माता कंपनी में मुझे जगह नहीं दी गई। इस से मैं बहुत दुखी था। फिल्म बनाना मेरा एक सपना रहा है। सो मैं ने स्वंतत्रता से फिल्म बनाने का रास्ता अपनाया। सौभाग्य की बात है कि उस समय मैं फिल्म-निर्देशक वांग श्याओ-श्वाई से मिला,जब वह भी किसी कारण से सरकार की एक फिल्म-निर्माता कंपनी से अलग हो गए थे। हम दोनों ने दूसरे कई व्यक्तियों के साथ स्वतंत्रता से फिल्म बनाने का काम शुरू किया। फोटाग्राफर के रूप में मैं ने फिल्म-निर्देशक वांग श्याओ-श्वाई के साथ दसेक सालों तक सहयोग किया। "

वांग श्याओ-श्वाई चीनी फिल्मी जगत में काफी प्रसिद्ध हैं। उन के द्वारा निर्देशित अधिकांश फिल्मों में समाज के पिछड़े वर्गों के लोगों के जीवन और और आशा को पर्दे पर उतारा गया है। और इस की वजह से उन की कम से कम 3 फिल्में राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों से सम्मानित भी की गयी हैं। ल्यू-चे उन से बहुत प्रभावित हैं।

वर्ष 2003 में ल्यू-चे ने खुद फिल्म बनाने का निर्णय लिया। इस का कारण है कि उस साल जुलाई माह में वह दक्षिण पश्चिमी चीन के युन्नान प्रांत की निंग-लांग काउंटी गए,जो एक गरीब पहा़ड़ी क्षेत्र है। वहां करीब एक महीने के प्रवास के दौरान उन्हों ने पाया कि बहुत से कानून-कार्यकर्ता स्थानीय किसानों में कानून संबंधी ज्ञान प्रसारित करने या उन के लिए मुकदमा चलाने के खर्चे को कम करने के उद्देश्य से अक्सर घोड़ों पर सवार होकर ढेरों दस्तावेजों के साथ गांव-गांव जाते हैं। अपना कर्तव्य निभाने के दौरान वे खाने-सोने तक की बात भी भूल जाते हैं। किसानों की सेवा के प्रति उन की ईमानदारी ने ल्यू-चे को झटका सा दिया। उन्हों ने इस बात को फिल्माने की ठान ली,ताकि कानून-कार्यकर्ताओं की इस भावना को सम्मानित किया जा सके और लोगों के सामने लाया जा सके ।उन्हों ने कहाः

"मैं समझता हूं कि देश में एक नहीं, बल्कि अनेक पिछड़े क्षेत्र ऐसे हैं,जहां कानून-

कार्यकर्ताओं को कर्तव्य निभाने के दौरान बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। मैं ने इस के बारे में एक फिल्म बनानी चाही,ताकि उन की कठिनाइयों को दूर करने में कुछ मदद मिल सके। "

करीब 2 सालों की मेहनत के बाद ल्यू-चे ने Courthouse on the Horseback नामक अपनी पहली फिल्म बनाई। उस के प्रदर्शन से गरीब क्षेत्रों में कार्यरत कानून-कार्यकर्ताओं की कठिनाइयों की ओर सरकार और आम लोगों का ध्यान गया। वर्ष 2006 के 63वें वेनिस फिल्मोत्सव में उस ने फीचर फ़िल्म श्रेणी का सर्वोच्च पुरस्कार प्राप्त किया। ल्यू-चे ने इस का श्रेय फिल्म में अभिव्यक्त यथार्थ को दिया है। उन का कहना हैः

"अब चीन में सामाजिक यथार्थ को दर्शाने वाली फिल्में ज्यादा नहीं बन रही हैं। दूरस्थ व गरीब पहाड़ी क्षेत्रों की वर्तमान स्थिति कैसी है? इस का पता बहुत कम लोगों को है। मैं अपनी फिल्मों के जरिए दर्शकों को देश के विभिन्न क्षेत्रों के यथार्थ की जानकारी देना चाहता हूं। "