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(GMT+08:00) 2007-05-09 19:20:33    
चीन में सूर्य निर्माण के कार्य में नयी प्रगति हासिल

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सूर्य मानव के अस्तित्व के लिए प्रमुख ऊर्जा का स्रोत है । वैज्ञानिक अनुसंधान से यह पता चला है कि सूर्य का ताप इस में मौजूद हाइड्रोजन गैस के बीच होने वाले नाभिकीय फ्यूज़न के परिणाम स्वरुप पैदा होता है । इसलिए विश्व के विभिन्न देशों के वैज्ञानिक हमेशा से यह कोशिश कर रहे हैं कि एक दिन वे सूर्य के रूप में ऊर्जा पैदा कर सकेंगे । इस तरह मानव के सामने मौजूद ऊर्जा का अभाव आसानी से खत्म हो सकेगा । इसलिए ये वैज्ञानिक कृत्रिम सूर्य बनाने वाले कहलाते हैं ।

चीन भी ऐसी तकनीक प्राप्त उन्नतिशील देशों की पंक्ति में खड़े कुछेक देशों में से एक है । नवीनतम खबर के अनुसार चीन में निर्मित नये चरण वाले नाभिकीय फ्यूज़न उपकरण में काम शुरू हो गया है , जिसे विश्व में औपचारिक तौर पर काम चलने वाला प्रथम ऐसा उपकरण बताया गया है । इस उपकरण के निर्माण से विश्व के नागरिक उपयोगी नाभिकीय ऊर्जा के प्रयोग में लाभदायक योगदान मिल सकेगा । कृत्रिम सूर्य की कल्पना शायद कुछ समय ही बाद संपन्न हो सके ।

पिछले सौ वर्षों में मानव के उपयोगी ऊर्जा में भारी परिवर्तन आया है । सर्वप्रथम मानव केवल लकड़ी जलाते रहे , इस के बाद कोयला और तेल । आज मानव रसायनिक ईंधन का प्रयोग करने के अतिरिक्त नाभिकीय ऊर्जा , सौर ऊर्जा और जलीय ऊर्जा आदि सब का इस्तेमाल कर रहा है । पर विभिन्न देशों में निर्मित नाभिकीय बिजली घरों में सब नाभिकीय फिशन (fission) का रिऐक्टर काम कर रहा है । नाभिकीय फ्यूशन से चलाये जाने वाले बिजली घर का निर्माण अभी तक नहीं संपन्न है ।

दीर्घकाल तक चीन , अमेरिका , जापान , फ्रांस और रूस आदि सब ने नाभिकीय फ्यूशन से चलाये जाने वाले बिजली घर का अनुसंधान शुरू किया है । चीन ने वर्ष 1998 से नयी शैली वाले नाभिकीय फ्यूशन रिएक्टर का अनुसंधान शुरू किया था, जिस का खर्च 20 करोड़ यवान तक रहा । परियोजना के प्रमुख जिम्मेदार , चीनी राजकीय विज्ञान अकादमी के प्रोफेसर वान ने कहा कि नाभिकीय फ्यूशन की ऊर्जा अतुल्य है । क्योंकि नाभिकीय फिशन का ईंधन यूरेनियम है , जिसका पृथ्वी पर बहुत कम भंडार है । पर नाभिकीय फ्यूशन हाइड्रोजन (hydrogen) से पैदा होता है , जिसका भंडार पृथ्वी पर अनगिनत है ।

नाभिकीय फ्यूशन की क्षमता अतुल्य है । क्योंकि नाभिकीय फ्यूशन हाइड्रोजन से पैदा होता है , जबकि हाइड्रोजन तत्व का अनगिनत भंडार है । अभी तक भारी हाइड्रोजन यानी ड्यूटरियम (deuterium) से नाभिकीय फ्यूशन पैदा होता है ।

अभी तक मानव भारी हाइड्रोजन (Heavy Hydrogen) के जरिये नाभिकीय फ्यूज़न पैदा करने में समर्थ है । ऐसा फ्यूज़न करने के लिए उपयोगी सामग्री का समुद्री जल में काफी भंडार है । अनुमान है कि समुद्र के पानी में भारी हाइड्रोजन का भंडार 450 खरब टन तक है , जो मानव के नाभिकीय फ्यूज़न के लिए काफी है ।

लेकिन नाभिकीय फ्यूज़न पैदा करने में अन्य कठिनाइयों को दूर करना बाकी है। क्योंकि नाभिकीय फ्यूज़न पैदा करने के लिए 40-50 करोड़ डिग्री ऊंचा तापमान चाहिये। पृथ्वी पर कोई भी सामग्री ऐसे उच्च तापमान को झेलने में समर्थ नहीं है,इस तापमान में हर चीज तुरंत गैस बन जाएगी । इसलिए नाभिकीय फ्यूज़न करने के लिए कैसे किस्म वाले बिजली घर का निर्माण किया जाए ? यह कठिन सवाल है ।

प्रोफेसर वान के अनुसार चीनी विशेषज्ञ इस संदर्भ में लाभदायक कोशिश कर रहे हैं । वास्तव में दस करोड़ उच्च तापमान को सहन करने वाली सामग्री भी नहीं है। पर चुंबकीय शक्ति यह काम कर सकती है । इसलिए हम चुंबकीय क्षेत्र( magnetic field) के जरिये एक विशेष कन्टेनर (container) बनाते हैं , और इस कन्टेनर के केंद्र में अपना फ्यूज़न तत्व रखते हैं । इस के अन्दर नाभिकीय फ्यूज़न पैदा किया जा सकता है ।

लेकिन नाभिकीय फ्यूज़न पैदा करने के लिए अन्य कई कठिनाइयों को दूर करना पड़ेगा । इसमें न सिर्फ तकनीक , बल्कि काफी धनराशि भी चाहिये । कोई भी एक देश अकेले से यह काम नहीं कर सकेगा । इसलिए चीन , भारत , रूस , जापान , कोरिया गणराज्य , अमेरिका और यूरोपीय संघ ने वर्ष 1985 में अंतर्राष्ट्रीय नाभिकीय फ्यूज़न रिएक्टर योजना पेश की । चीनी विज्ञान अकादमी के उप प्रधान श्री पाई के अनुसार चीन की नयी शैली वाले नाभिकीय फ्यूज़न संयंत्र की सफलता से इस अंतर्राष्ट्रीय योजना के लागू होने के लिए जबरदस्त तकनीकी समर्थन तैयार किया गया है ।

विश्व में ऐसे किस्म के संयंत्र की तुलना में चीन का यह संयंत्र प्रथम परिपक्व संयंत्र है । इस के निर्माण से चीन के अंतर्राष्ट्रीय नाभिकीय फ्यूज़न योजना में भाग लेने के लिए महत्वपूर्ण मंच तैयार हो गया है । पता चला है कि चीन का नाभिकीय फ्यूज़न संयंत्र अंतर्राष्ट्रीय संयुक्त अनुसंधान योजना में दाखिल कर लिया गया है । दूसरे देशों के विशेषज्ञ भी नेटवर्क से इस संयंत्र के जरिये ऑपरेशन कर सकेंगे । इस परियोजना के जिम्मेदार श्री वू के अनुसार चीन की नयी शैली वाले नाभिकीय फ्यूज़न संयंत्र को दूर से भी नियंत्रित किया जा सकता है । विदेशी विशेषज्ञ भी संयुक्त रूप से इस के जरिये भौतिक प्रयोग कर सकेंगे । श्री वू ने कहा कि भावी दर्जन सालों में नाभिकीय फ्यूज़न का वाणिज्य संचालन किया जा सकेगा , तब तक मानव नाभिकीय फ्यूज़न से पैदा बिजली का इस्तेमाल कर सकेगा ।

अनुमान है कि पचास साल बाद आम परिवार में नाभिकीय फ्यूज़न से पैदा बिजली का प्रयोग किया जा सकेगा । पर तब भी इस का अनुपात उपयोग की जाने वाली कुल ऊर्जा के अनुपात में कम ही होगा । पर मेरा ख्याल है कि 50 या 100 सालों के भीतर नाभिकीय फ्यूज़न बिजली घर का अनुपात बढ़ेगा , और अन्ततः वह मौजूदा सभी नाभिकीय फ्यूज़न वाले बिजली घरों का स्थान ले लेगा ।