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आज के इस कार्यक्रम में कोआथ बिहार के सुनील केशरी, डी डी साहिबा, संजय केशरी, सीताराम केशरी, खुशबू केशरी बवीता केशरी, प्रियंका केशरी, एस के जिंदादिल, बलीदपुर मऊ उत्तर प्रदेश से डॉक्टर एस ए फारूकी, सीतामढ़ी और बिहार के मोहम्मद जहांगीर
के पत्र शामिल हैं।
कोआथ बिहार के सुनील केशरी, डी डी साहिबा, संजय केशरी, सीताराम केशरी, खुशबू केशरी बवीता केशरी, प्रियंका केशरी, एस के जिंदादिल पूछते हैं कि चीन के प्रथम विदेश मंत्री कौन थे?
चीन के प्रथम विदेश मंत्री दिवंगत चो अन-लाई थे.उन का जन्म 5 मार्च 1898 को हुआ था.
अक्तूबर 1949 में जब चीन लोक गणराज्य की स्थापना हुई ,तो वे प्रथम प्रधान मंत्री और प्रथम विदेश मंत्री नियुक्त किए गए.वे विदेश मंत्री के पद पर 9 सालों तक रहे और प्रधान मंत्री के पद पर आजीवन 8 जनवरी 1976 तक कैंसर से निधन हो जाने तक बने रहे.
जनवरी, फरवरी 1950 में श्री चो अन-लाई सोवियत नेताओं के साथ वार्ता के लिए चीनी नेता माओ त्जेतुंग के साथ मास्को गए.इस दौर में चीन-सोवियत संघ मैत्री संधि और आपसी सहायता संधि संपन्न हुई थी.इस वर्ष के अक्तूबर माह में अमरीका द्वारा कोरिया पर आक्रमण करके युद्ध छेड़ने से चीन की सुरक्षा खतरे में पड़ गई.श्री चो अन-लाई ने कोरिया की सहायता के लिए अमरीकी आक्रमणविरोधी युद्ध चलाने में राष्ट्राध्यक्ष माओ त्जे-तुंग के सहयोगी का काम संभाला था.1951 में श्री चो अन-लाई की अध्यक्षता में चीन की प्रथम पंचवर्षीय योजना बनाई गई.जनवरी 1953 में उन के नेतृत्व में संविधान और चुनाव कानून बनाने का काम पूरा हुआ.जून 1954 में उन्हों ने भारत और म्यांमार का दौरा कर इन दोनों देशों के नेताओं के साथ मिलकर शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के पांच सिद्धांत पेश किये.अप्रैल 1955 में श्री चो अन-लाई चीनी शिष्टमंडल के साथ इंडोनेशिया में आयोजित बानडुंग सम्मेलन में उपस्थित रहे,जहां उन्हों ने भारतीय प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू के साथ द्विपक्षीय,क्षेत्रीय व अंतरराष्ट्रीय परिस्थिति पर व्यापक विचार-विमर्श कर चीन-भारत मैत्री को एक नयी बुलंदी पर पहुंचाया.
बलीदपुर मऊ उत्तर प्रदेश से डॉक्टर एस ए फारूकी, सीतामढ़ी और बिहार के मोहम्मद जहांगीर ने अलग-अलग तौर पर पूछा है कि चीन का वीजा कानून क्या है तथा पर्यटकों के लिए क्या वीजा कानून है ? क्या चीन में भारत की तरह जगह-जगह पर्यटकों को घूमने की इजाजत है?
दोस्तो,जैसा कि आप जानते हैं कि वीज़ा किसी एक देश की संप्रभुता की ठोस अभिव्यक्ति होता है और विभिन्न देशों में विदेशियों के प्रवेश के प्रबंध के लिए व्यापक रूप से लागू एक कानूनी व्यवस्था है.वीज़ा किसी विदेशी के लिए दूसरे देश में प्रवेश करने का प्रभावी लाइसेंस है और किसी एक देश के कस्टम विभाग के लिए अपने देश में दाखिल होने वाले विदेशी की हैसियत,यात्रा का उद्देश्य और प्रवास की समय-सीमा से वाकिफ कराने योग्य प्रभावी प्रमाण-पत्र भी है.वीज़ा की किस्मों के विभाजन से वीज़ाधारी के अधिकार व कर्तव्य तय होते हैं और उस की हैसियत व यात्रा के उद्देश्य की सटीक जान-पहचान भी होती है.किसी भी एक व्यक्ति को दूसरे देश में अपने वीज़ा की किस्म के अनुसार तदनुरूप काम करने की अनुमति है.विभिन्न देशों में वीज़ा बनने में लगने वाला समय अलग-अलग होता है.चीन में यह समय आम तौर पर लगभग एक हफ्ते का है.
चीन में राजनयिक आवाज़ाही,शिष्टाचार गतिविधियों,सरकारी मामलों और साधारण मामलों से जुड़े 4 किस्मों के वीज़ा जारी किए जाते हैं.साधारण मामलों से जुड़े वीज़ा में 9 उपकिस्मों के वीज़ा भी शामिल है.पर्यटन-वीज़ा उन में से एक है.
चीनी नागरिक अगर किसी विदेश की यात्रा करना चाहता है,तो उसे देश में किसी एक पर्यटन-एजेंसी में नामदर्ज कर उस के जरिए पर्यटन-वीज़ा बनवाने की जरूरत है.बेशक इस के लिए निर्धारित कानूनी फीस देनी होती है.इस प्रथा का चीनी लोग स्वागत करते हैं.इस का कारण है कि अधिकत्तर चीनी लोग आम दिनों में अपने-अपने व्यवसायों में व्यस्त रहते हैं.उन्हें वीज़ा बनवाने के लिए जरूरी औपचारिकताओं की जानकारी हासिल करने के लिए बहुत कम फुर्सत मिल पाती है. औपचारिकताएं जाने बगैर वीजा बनवाने में जरूर दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा.इस से न केवल समय की बरबादी होगी,बल्कि पैसे की भी फिजूल खर्ची होगी. भारत की तरह चीन में भी 3 महीनों की अवधि वाला पर्यटन-वीजा जारी किया जाता है.
हां,चीन की लगभग सभी पर्यटन जगहों में पर्यटकों को घूमने की इजाजत है.पर इने-गिने स्थलों में जहां सुरक्षा की व्यवस्था कमजोर है या मौसम खराब है,पर्यटकों को घूमने की अस्थाई रुप से मनाही है.

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