• हिन्दी सेवा• चाइना रेडियो इंटरनेशनल
China Radio International
चीन की खबरें
विश्व समाचार
  आर्थिक समाचार
  संस्कृति
  विज्ञान व तकनीक
  खेल
  समाज

कारोबार-व्यापार

खेल और खिलाडी

चीन की अल्पसंख्यक जाति

विज्ञान, शिक्षा व स्वास्थ्य

सांस्कृतिक जीवन
(GMT+08:00) 2007-04-20 15:20:53    
भेड़िया की कहानी

cri

प्राचीन काल में तुंगक्वो नाम का एक श्रीमान रहता था , वह किताब का किड़ा माना जाता था , जो केवल किताब पढ़ना जानता था और लोक व्यवहार से पूरी तरह अज्ञात था ।

एक दिन , श्रीमान तुंगक्वो अपना गधा हांकते हुए चुंगशान नाम के एक राज्य में नौकरी ढूंढ़ने जा रहा था , गधे के पीठ पर लदे एक थैले में किताबें भरी हुई थीं ।

चुंगशान के रास्ते में चलते चलते अनायास एक घायल हुआ भेड़िया भाग कर उस के सामने आ पहुंचा ।

भेड़िया ने श्रीमान तुंगक्वो से बिनति करते हुए कहाः श्रीमान जी , मेरा एक शिकारी पीछा कर रहा है , उस का तीर मेरे शरीर पर साध गया है , मेरी जान बाल बाल बची है , आप से बिनति करता हूं , मुझे बचाओ , मैं आप का एहसान कभी नहीं भूलता हूं ।

तुंग क्वो जरूर जानता था कि भेड़िया नर संहारी है , लेकिन सामने वाला इस घायल हुए भेड़िया पर उसे दया आयी , थोड़ा सोच कर उस ने कहाः तुम को बचाने पर शिकारी निश्चय ही मुझ से नाराज होगा , फिर भी तुम ने मुझ से जान बचाने का अनुरोध किया है , तो मैं तुझे अवश्य बचाऊंगा ।

कहने के बाद तुंगक्वो ने भेड़िया से चार पैरों को सिकोड़ कर मिलाने को कहा , फिर उस ने भेड़िया को रस्सी से बांधा और उस का शरीर जितना संभव हो छोटा कर थैले के भीतर घुसा दिया ।

थोड़ी देर में शिकारी आ पहुंचा , भेड़िया को गायब हुआ देख उस ने तुंगक्वो से पूछाः श्रीमान जी , क्या आप ने एक घायल भेड़िया देखा है , वह किधर भाग गया है ? तुंगक्वो ने जवाब में कहा कि मैं ने नहीं देखा , यहां कई रास्ते हैं , कहीं दूसरे रास्ते से वह भाग तो नहीं गया ।

तुंगक्वो की बातों पर शिकारी को विश्वास हुआ , वह दूसरी दिशा में भेड़िया का पीछा करने चला गया । थैले के भीतर छुपे भेड़िया ने जब शिकारी का आहट दूर दूर जा कर खत्म होता सुन कर तुंग क्वो से आग्रह किया कि वह तुरंत उसे बाहर निकाल ले , ताकि वह जल्दी खतरे से बचने भाग जाए ।

दयालु श्रीमान तुंगक्वो ने फिर भेड़िया की झूठी मिट्ठी बातों से धोखा खाया, उस ने भेड़िया को थैले से बाहर निकाल कर छोड़ा ।

लेकिन तुंगक्वो की कल्पना से बाहर था कि बाहर आये भेड़िया ने तब उस से कहाः श्रीमान जी , आप ने मेरी जान तो बचा ली है , पर मेरी भूख बहुत आयी है , आप दोबारा कल्याण करो , मुझे आप को पेट भरने खाने दे दो । कहते ही भेड़िया पंजा बढ़ा कर तुंगक्वो पर टूट पड़ा ।