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प्रिय दोस्तो , उत्तर पश्चिम चीन के शान शी प्रांत में स्थित हवा में झुलते मंदिर के दौरे पर हम आप के साथ गये थे , पर आज हम इस बेमिसाल झुलते मंदिर का दौरा करने जा रहे हैं ।
इस झूलते मंदिर के अनुसंधानकर्ता श्री सुन ई ने इस का परिचय देते हुए कहा कि वास्तव में ये सभी पतले खंभे इस झूलते हुए मंदिर का आधार नहीं हैं , इस पूरे झूलते मंदिर का भार मंदिर के नीचे खड़ी सीधी चट्टानों के भीतर लगाये गये 27 मोटे लकड़ी के खंभों पर है , यह इस झूलते मंदिर की सब से बड़ी विशेषता है । श्री सुन ई ने हमें बताया कि इस झूलते मंदिर के मुख्य भवन के नीचे बाहर खिंचने वाले लकड़ी के खंभे खड़ी चट्टानों के अंदर से बाहर निकलते हैं । इस मंदिर के सभी कमरों का भार इन सभी लकड़ी के खंभों पर टिका है । चीनी ऐतिहासिक व सांस्कृतिक अवशेष ब्यूरो के प्राचीन भवन निर्माण विशेषज्ञ श्री लो चह वन को इस झूलते हुए मंदिर पर अनुसंधान किये हुए बीसेक साल हो गये हैं । उन्हों ने कहा कि इस झूलते हुए मंदिर की विशेष वास्तु शैली घौंसला बनाने की तरकीब जैसी है । उन का कहना है कि सीधी खड़ी चट्टानों को खंभों या सेतुओं के माध्यम से बड़े अजीब ढंग से जोड़ा गया है , फिर उस पर जो बहुत सुंदर झूलती इमारत का निर्माण किया गया,वह कला निधि के रुप में विख्यात है ।
इस मंदिर को इस ऊंची चट्टान पर स्थापित किये जाने का जो विशेष कारण है वह है कि चीन का वू थाइ पर्वत हंगशान के दक्षिण में स्थित है और ताथूंग हंगशान के उत्तर में स्थित है। इन दो बौद्ध स्थलों तक पहुंचने के लिए लोगों को यहां से गुजरना पड़ता था। इसलिये बौद्ध अनुयायियों की सुविधा के लिए यह मंदिर यहां बनाया गया, ताकि वे रास्ते में बुद्ध की पूजा कर सकें। हंगशान की तलहटी से होकर जो हुन हो नदी बहती है, तब उस में अक्सर बाढ़ आ जाती थी सो बाढ़ से बचने के लिए उसे इस सीधी चट्टान पर स्थापित करना पड़ा।
हालांकि अपने ही ढंग का यह मंदिर बहुत बड़ा नहीं है, लेकिन यहां 80 से अधिक मूर्तियां हैं। तांबे, लोहे, पत्थर व मिट्टी से बनी ये मूर्तियां बड़ी सुंदर व सजीव हैं। उल्लेखनीय है कि इस मंदिर की सब से ऊपरी मंजिल पर शाक्यमुनि, लाउच और खूंगच की मूर्तियां एक ही भवन में रखी गयी हैं। चीन में यह बहुत कम देखने को मिलता है कि बौद्ध, ताउ और कनफ्यूशियस इन तीनों धर्मों के संस्थापकों की मूर्तियां एक ही कमरे में हों।
हंगशान से दक्षिण की ओर तीन घंटे का रास्ता तय करने के बाद आप वू थाइ शान पर्वत पहुंचते हैं। शायद आप जानते हों कि चीन में स्छवान प्रांत के अमे पर्वत, चच्यांग के फू थो पर्वत, आंहुई के च्यू ह्वा शान पर्वत और शानशी के वू थाइ शान को चार प्रसिद्ध बौद्ध तीर्थ स्थलों की मान्यता प्राप्त है। वू थाई शान समुद्र की सतह से तीन हजार मीटर से अधिक ऊंचाई पर स्थित है और पांच ऊंची चोटियों से घिरा है। इस पर्वत की छोटी-बड़ी सभी चोटियां व चट्टानें अजीबोगरीब ही नहीं हैं, इन पर बड़ी तादाद में देवदार पेड़ भी पाये जाते हैं। इस पर्वत पर अवतार मंदिर, स्तूप मंदिर, हजार बौद्ध सूत्र मंदिर समेत करीब 50 प्रसिद्ध मंदिर खड़े हैं। इन मंदिरों की सुंदर वास्तुशैली, सूक्ष्म नक्काशी की कला और ऐतिहासिकता व सांस्कृतिकता लोगों को एक रहस्यमय वातारण का आभास देती हैं।
वू थाइ शान उत्तरी चीन में स्थित है और समुद्र की सतह से बहुत ऊंचा भी है। अक्तूबर के बाद यहां का मौसम ठंडा रहता है और यहां अकसर बर्फ पड़ती है, इसलिये यहां गर्मियों में आना बेहतर है। वू थाइ शान पर्वत का शानदार मंदिर समूह और सघन धार्मिक वातावरण वाकई देखने लायक है।
दोस्तो , आप जानते ही हैं कि चीन के उत्तरी भाग में स्थित यह प्रांत चीन का बौद्ध व ताओ संस्कृति का महत्वपूर्ण विकास केंद्र भी है। यहां जगह-जगह बौद्ध भवन और विविध रूपों वाली नक्काशी, तराशी व चित्रकला देखने को मिलती है। शानशी चीनी बौद्ध धर्म के प्राचीन सांस्कृतिक अवशेषों व कलाओं की निधि भी है। यहां चीनी बौद्ध धर्म की बेशकीमती विरासत आज तक बहुत अच्छी तरह सुरक्षित है , जिस में हवा में झूलता हुआ मंदिर सब से उल्लेखनीय है ।
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