यह भागलपुर बिहार के इसराइल अंसारी और उन के साथियों का पत्र । उन्हों ने अपने पत्र में कहा कि नियमित रूप से आप के कार्यक्रम सुनना हम लोगों की आदत बन गयी है , जब कभी कोई कार्यक्रम काफी अच्छा एवं ज्ञानवर्धक लगता है , उस के बारे में पत्र लिखने से नहीं चूकता ।
जीवन और समाज में पेइचिंग में बढ़ते स्केटिंग खेल पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी गयी , जो काफी ज्ञानवर्धक एवं लाभदायक लगा तथा एक नए खेल की जानकारी प्राप्त हुई । आप के सांस्कृतिक जीवन में पाखान की पोप गायिका छाए छीन के गाए पोप गीत और उन की जिवनी भी सुनने को मिला , जो पोप गीत ने काफी मजा दिया तथा गीत बहुत अच्छा था । इतनी अच्छे कार्यक्रम सुनवाने के लिए राकेश वल्स जी को बहुत बहुत धन्यावाद । आप के सभी कार्यक्रम अच्छे थे , पर विशेष रूप से नायलुन कालीन तिब्बती फैक्ट्री के संबंध में दी गयी जानकारी काफी ज्ञानवर्धक लगी , ये जान कर काफी अच्छी लगी कि यहां की कालीन विश्व की नम्बर एक कालीन मानी जाती है तथा विश्व के अनेक देशों में इस का निर्यात होता है । अच्छे कार्यक्रम पेश करने केलिए आप लोगों को धन्यावाद ।
यह बालाघाट मध्य प्रदेश के डाक्टर प्रदीप मिश्रा का पत्र । वे हमारे नियमित और सक्रिय श्रोता हैं , जो अकसर हमें लिख कर भेजते हैं । इस बार उन्हों ने अपने पत्र में कहा कि आजकल कार्यक्रम चीन का भ्रमण के अन्तर्गत आज यह बताया गया है कि चीन की सब से लम्बी नदी छांगचांग नदी है । उस के पास खड़ा एक विशाल लुशान पर्वत है । पर्वत स्थल पर वसंत ऋतु यानी मार्च अप्रैल माह के समय देश विदेशों के पर्यटकों की काफी भीड़ रहती है । लुशान पर्वत पर हमेशा बादलों का सागर बना रहता है , जिस के कारण यहां ज्यादातर कोहरा यानी धुंध छाया रहता है । जिस के कारण इस पर्वत पर कभी वर्षा होती है , तो कभी धुंध कोहरा , तो कभी पूरा वातावरण साफ हो जाता है । इस पर्वत पर चाय का बगीचा भी है जिसे बादल कोहरा चाय कहते है । जो केवल चीन देश में पसंद किया जाता ही नहीं , बल्कि विदेशों तक निर्यात किया जाता है । इस पर्वत श्रृंखले में बहुत से बग –बगीचे हैं जिन में अनेकों बेमिसाल दुर्लभ वनस्पतियां मिलती हैं । वहां अनेकों फूल पौधे , जड़ी बूटियां , देवदार पेड़ भी हैं । लुशान पर्वत पर आजकल अनेक कलाकृतियों वाले बंगले भी बनने लगे । लुशान पर्वत पर मंदिर एवं विद्यालय भी हैं . इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम को प्रसारपित करने के लिए उद्घोषिका यानी चाओ हवा दीदी तथा चाइना रेडियो इंटरनेशनल हिन्दी प्रसारण विभाग को धन्यावाद ।

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