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(GMT+08:00) 2007-04-13 15:15:12    
कजाख जाति का मुक्केबाज हानीत

cri

पिछले साल दोहा में आयोजित एशियाई खेल समारोह में चीन के सिन्चांग के 22 वर्षीय खिलाड़ी हानीत ने 69 किलो वर्ग के मुक्केबाजी मैच में कांस्य पदक जीत कर चीन देश और उन की जन्म भूमि को शोभा दी ।

आज से दसेक साल पहले , उत्तरी सिन्चांग के अल्ताई क्षेत्र की हापाह काऊंटी में सुबह सुबह दो भाई कसरत करते हुए दिखाई देते थे , आगे आगे दौड़ते बड़े भाई के साथ छोटी कद वाला छोटा भाई था , वही बाद में विकसित हो कर आज मुक्केबाजी मंच पर एक शक्तिशाली खिलाड़ी बन गया ।

सिन्चांग के मुक्केबाजी खिलाड़ी हानीत के बड़े भाई येल्नान भी कभी एक मुक्केबाज थे , बड़े भाई के प्रभाव में आ कर श्री हानीत मुक्केबाजी का अभ्यास करने लगा था । अपने बड़े भाई के साथ मुक्केबाजी के अभ्यास के जीवन की याद करते हुए श्री हानीत ने कहाः

बड़े भाई रोज मुक्केबाजी का अभ्यास करते थे , सुबह की दौड़ के समय वे मुझे भी साथ लेना पसंद करते थे , उस समय मैं बहुत छोटा था और इस अभ्यास को सिर्फ एक खेल समझता था । सिन्चांग की सर्दियों में सुबह बहुत ठंडा होता है । फिर भी बड़े भाई के प्रोत्साहन से मैं मुक्केबाजी का अभ्यास करने पर कायम रहता था ।

11 साल की उम्र में हानीत को सिन्चांग के कलाबाजी स्कूल में दाखिला मिला और औपचारिक रूप से मुक्केबाजी का अभ्यास करने लगा । सिन्चांग की मुक्केबाजी टीम के जनरल कोच श्री अबुलीकम की नजर में यद्यपि हानीत उम्र में छोटा है , पर मुक्केबाजी के लिए उस में प्रतिभा उपलब्ध है । इस की याद में श्री अबुलीकम ने कहाः

मैं ने देखा था कि हानीत की तालमेल बिठाने की क्षमता अच्छी है और उस का दृढ़ संकल्प भी है । मैं ने जो सिखाया था , उस ने उसे साफ साफ समझने की पूरी कोशिश की और वह मुक्केबाजी का अभ्यास बड़ी लगन से करता था । इस से जाहिर है कि उसे सफलता मिलने की पूरी संभावना है ।

उस दौरान ,श्री अबुलीकम ने नाटे और चतुर हानीत के प्रशिक्षण पर बड़ा ध्यान लगाया और हानीत ने भी कोच की हरेक हिदायत का पालन किया और मुक्केबाजी की हरेक हरकत का मेहनत से अभ्यास किया , सरल से सरल करतूत पर भी सावधानी बरती और मुक्केबाजी के दांव पेंच पर हमेशा आक्रमण व प्रतिरक्षा की अच्छी स्थिति बनाए रखी । एक श्रेष्ठ मुक्केबाज बनने के लिए हानीत ने ढेर सारे पसीने बहाये थे।

हानीत के मुक्केबाजी साथी अब्दु रेहमान ने हानीत की चर्चा में कहाः 

वर्ष 1996 से हम दोनों एक साथ मुक्केबाजी का अभ्यास करने लगे । उस समय उस की उम्र छोटी थी , लेकिन अभ्यास करने में वह बहुत मेहनती और संलग्न था । उस की यह श्रेष्ठता अब तक बनी रही है । वह बड़े परिश्रम और जिम्मेदारी स्वभाव का खिलाड़ी है ।

कोच और खुद अपने के अथक प्रयासों के फलस्वरूप हानीत मुक्केबाजी में लगातार श्रेष्ठ निकले । उस की प्रगति पर कोच अबुलीकम बहुत खुश हुए और उसे प्रोत्साहन देते हुए कहा कि तुम अच्छी तरह अभ्यास करो , एक न एक दिन विजय का सेहरा तुम्हारे सिर पर पहनेगा।

वर्ष 2000 में हानीत ने राष्ट्रीय युवा मुक्केबाजी प्रतियोगिता में भाग लिया , यह राष्ट्रीय प्रतियोगिता में उस की प्रथम भागीदारी थी , प्रतियोगिता में उस ने बड़ी संजिदगी से काम लिया और आसानी से जीत ली , यह उस के लिए एक असाधारण प्रेरणा थी । दो साल बाद कोच के साथ वह जर्मनी में आयोजित एक अन्तरराष्ट्रीय मुक्केबाजी प्रतियोगिता में शामिल हुआ और उसे इस से अच्छा अनुभव प्राप्त हुआ । इस पर उस ने कहाः

उस बार की प्रतियोगिता में शरीक खिलाड़ी बहुत सशक्त थे , मुक्केबाजी खेल के शक्तिशाली देश क्यूबा और रूस के खिलाड़ियों ने कभी औलिंपिक और विश्व कप की चैम्पियनशिप जीती थी , ऐसे तगड़े खिलाड़ियों से प्रतिस्पर्धा करने में मुझे बड़ा प्रोत्साहन मिला था , वह मेरे लिए सीखने का अच्छा मौका था ।

वर्ष 2004 के मार्च माह में श्री हानीत ने एथेन्स औलिंपियाड के एशियाई इलाके की मुक्केबाजी योग्यता प्रतियोगिता में भाग लिया और अनेक श्रेष्ठ खिलाड़ियों को परास्त कर चैम्पियनशिप प्राप्त की , लेकिन ओलिंपियाड के ग्रुप मैच की दूसरी स्पर्धा में वह हार गया । इस असफलता से हानीत को काफी ग्लानि हुई और अपनी कमियों की तलाश करने की कोशिश की ।

अपनी मनोस्थिति को संभालने के बाद उस ने आगामी प्रतियोगिताओं के जरिए अपना स्तर उन्नत करने की ठान ली । कुछ समय के बाद सिन्चांग में अन्तरराष्ट्रीय मुक्केबाजी ओपन प्रतियोगिता हुई , एशिया के दस से ज्यादा देशों के मशहूर मुक्केबाजों ने हिस्सा लिया । हानीत ने अपनी अच्छी तैयारी और पक्के संकल्प का परिचय कर खिताब जीती । उसी साल के नवम्बर माह में उस ने राष्ट्रीय मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में 69 किलो वर्ग का चैम्पियनशिप कप अपने हाथ में ले लिया । वर्ष 2005 में वह दसवीं राष्ट्रीय खेल समारोह में चैम्पियन रहे ।

इस बीच , हानीत ने अनेक बड़ी बड़ी अन्तरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी हिस्सा लिया । क्यूबा , इटाली और रूस जैसे शक्तिशाली मुक्केबाजी देशों में उस ने खेल की स्पर्धा की , इन मौकों से लाभ उठा कर उस ने अनुभव जुटाए और स्तर उन्नत करने की कोशिश की ।

पिछले साल , हानीत चीनी टीम के सदस्य के रूप में दोहा गये , उस ने एशियाड में 69 किलो वर्ग का कांस्य पदक जीता । हालांकि सिर्फ कांस्य पदक पर कुछ खेद हुआ था , पर उस का कहना है कि उस ने विश्व के चोटी के तीन खिलाड़ियों से लोह लिया और बहुत से अच्छे अनुभव प्राप्त किया । उस का लक्ष्य पेइचिंग ओलिंपिक में अपना चैम्पियनशिप सपना को साकार करना है । उन्हों ने कहाः

मेरा लक्ष्य स्पष्ट है , इस के लिए कड़ा ट्रेनिंग करना चाहिए , मैं ओलिंपिक का स्वर्ण पदक जीतना चाहता हूं , सिन्चांग के किसी भी खिलाड़ी ने ओलिंपिक चैम्पियनशिप नहीं जीती है , यदि मेरा सपना पूरा हुआ , तो वह सिन्चांग के लिए एक असाधारण शोभा है । इस सपने के लिए मैं अवश्य गुनों प्रयास करूंगा ।

फिलहाल , सिन्चांग खेल ब्यूरो के समर्थन में हानीत कड़ी ट्रेनिंग में जुट गये है । प्रशिक्षण से अवकाश समय में वे घर लौट कर घर वालों से मिलने भी गए और मां बाप तथा बड़े भाइ बहन के साथ अपने मुक्केबाजी जीवन के आनंद का बंटवारा करता है । उन्हों ने कहाः

दोहा एशियाड से मैं कुछ खेल संबंधी सामग्री वापस लाया और घर वालों के साथ वहां की मेरी प्रतियोगिता के विडियो टेप का सह आनंद उठाता हूं । घर वाले इन टेपों को बहुत पसंद करते हैं । वे अच्छे दर्शक हैं और मेरी खामियों को साफ साफ उजागर करते हैं , इस से मैं बहुत ही प्रभावित हूं । मैं अवश्य अथक कोशिश करता रहूंगा ।

हानीत को अपनी सफलता पर पक्का विश्वास है , उस की सब से बड़ी अभिलाषा वर्ष 2008 में पेइचिंग ओलिंपियाड में मुक्केबाजी की चैम्पियनशिप जीतना है । यही उस के कोच अबुलिकम तथा उस के परिवारजनों की समान तमन्ना है ।