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(GMT+08:00) 2007-04-12 15:44:24    
मैत्री और सहयोग के लिए श्री वन चापाओ का बयान

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12 तारीख को जापान की यात्रा कर रहे चीनी प्रधान मंत्री वन चापाओ ने जापानी संसद के निचले सदन में जापानी संसद के दोनों सदनों के 400 से ज्यादा सदस्यों के समक्ष मैत्री व सहयोग के लिए शीर्षक भाषण दिया , जो पिछले 22 सालों में किसी चीनी नेता का जापानी संसद में दिया गया प्रथम बयान है ।

श्री वन चापाओ ने अपने भाषण में कहा कि मुझे बड़ी खुशी हुई है कि मुझे आज जापानी संसद में दोनों सदनों के सदस्यों से मिलने और भाषण देने का मौका मिला है । मैं इस अवसर पर उपस्थित सभी व्यक्तियों , समूची जापानी जनता का हार्दिक अभिवादन करता हूं और शुभकामना देता हूं । मैं लम्बे अरसे से चीन जापान मैत्री के लिए मूल्यवान योगदान किए सभी जापानी मित्रों को हार्दिक धन्यावाद देता हूं ।

श्री वन चापाओ ने अपने भाषण में कहा कि मैत्री व सहयोग के लिए चीन व जापान दोनों पक्षों को दोनों देशों के बीच मैत्री की लम्बी पुरानी परम्परा को विकसित करना चाहिए और दो हजार सालों की आवाजाही के दौरान दोनों राष्ट्रों ने एक दूसरे से सीखते हुए अपने अपने देश के विकास व प्रगति को बढ़ावा दिया है , यह दोनों के पास समान ऐतिहासिक परम्परा और सांस्कृतिक संपत्ति है , जिसे और मूल्यवान समझना चाहिए ।

श्री वन चापाओ ने कहा कि मैत्री व सहयोग के लिए बीते दुखदायी जमाने के ऐतिहासिक सबकों का सारांश निकालना और याद करना चाहिए। जापान ने चीन के खिलाफ जो युद्ध छेड़ा था , उस से चीनी जनता को घोर मुसिबतें पहुंची थीं और खुद जापानी जनता को भी भारी ठेस और नुकसान पहुंचा था ।

उन्हों ने कहा कि इतिहास से आइने के रूप में सबक लेने का मकसद बीती नफरत को याद करना नहीं है , बल्कि और सुनहरे भविष्य का विकास करना है । चीन और जापान के बीच राजनयिक संबंधों के सामान्यीकरण के बाद जापानी सरकार और नेताओं ने अनेक पर इतिहास सवाल पर अपना रूख स्पष्ट कर खुले तौर पर जापानी आक्रमण का तथ्य स्वीकार किया और आक्रमण के शिकार देशों के प्रति गहरी आत्मआलोचना और खेद प्रकट किया , इस का चीनी सरकार व जनता सकारात्मक आकलन करती है । चीन की हार्दिक आशा है कि जापान अपनी ठोस कार्यवाहियों से अपने वचन और वायदों का पालन करेगा । सहयोग चीन और जापान दोनों के लिए हितकारी तथा संग्राम दोनों के लिए हानिकारी सिद्ध होगा । दोनों देशों के बीच पीढियों से मैत्री बनाए रखना ऐतिहासिक धारा के अनुकूल है और दोनों की जनता की अभिलाषा के अनुरूप है और साथ ही एशिया व अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की गहरी उम्मीद।

श्री वन चापाओ ने कहा कि नयी ऐतिहासिक स्थिति में दोनों के सामने दिनोंदिन बढ़ते हुए समान लाभ मौजूद है और समान समाधान के अहम मुद्दे हैं । दोनों देशों के बीच आपसी लाभ वाले रणनीतिक संबंधों की स्थापना ऐतिहासिक धारा व जन अभिलाषा के अनुरूप है । चीन जापान संबंधों को नए ऐतिहासिक दौर में ले जाने , शांतिपूर्ण सहअस्थित्व , पीढियों की दोस्ती व आपसी लाभ वाले सहयोग व साझा विकास के लिए श्री वन चापापाओ ने पांच सिद्धांतों पर जोर दिया और आपसी विश्वास बढाने तथा वचनों का पालन करने पर प्राथमिकता दी । उन्हों ने चीन जापान संयुक्त वक्तव्य समेत तीन राजनीतिक दजस्तावेजों का कड़ाई से पालन करने पर बल दिया और जापान से अपने वचन के अनुसार थाईवान सवाल का सावधानी से निपटारा करने की मांग की ।

श्री वन चापाओ ने अपने बयान में शांति के साथ विकास के रास्ते पर कायम रहने का चीन का रूख दोहराया और कहाः

चीन शुरू से लड़ने के बजाए न्याय विकास, वफादारी व सुलह की श्रेष्ठ परम्परा रखता आया है । मैं जिम्मेदारी के साथ बता सकता हूं कि चीन शांति, सहयोग व विकास का झंडा ऊंचा फहराते हुए अविचल रूप से शांति के विकास के रास्ते पर आगे बढ़ेगा और सामंजस्यपूर्ण विश्व के निर्माण को गति देने के लिए चीन का संकल्प कभी नहीं बदलेगा।

उन्हों ने जोश भरे शब्दों में चीन जापान मैत्री बढ़ाने की अपनी इच्छा व्यक्त की और कहा कि चीन जापान संबंध आंधि तूफानों और टेढे मेढे रास्ते से गुजरा है , लेकिन चीनी व जापानी जनता की दोस्ती की नींव चीन के थाई पर्वत और जापान के फूजी पर्वत की भांति अटल अचल रहेगी ।

जापानी संसद के दोनों सदनों के अध्यक्ष योहाई कोनो और चिकागा ओजी ने भाषण देते हुए चीनी नेता द्वारा जापानी संसद में बयान देने का हार्दिक स्वागत किया । श्री योहाई कोनो ने कहाः

चीन के सुधार व खुलेपन की नीति लागू होने के बाद उस का विकास बहुत तेज है और जापान के साथ आर्थिक संबंध भी और घनिष्ठ हो गया , चीन का तेज विकास न केवल अपने के लिए हितकारी है , साथ ही समुद्र पार के जापान के लिए भी लाभदायक है । जापान की तहेदिल की आशा है कि प्रधान मंत्री वन चापोओ की बर्फ को पिघालने वाली मौजूदा यात्रा में शानदार उपलब्धियां प्राप्त होंगी ।