सीपाई चीन के सिन्चांग में बसी 13 अल्प संख्यक जातियों में से एक है । आज से दो सौ साल पहले दस हजार सीपाई लोग उत्तर पूर्व चीन से सिन्चांग के ईली क्षेत्र में सीमा रक्षा के लिए आ बसे , इस तरह सीपाई जाति वहां स्थाई रूप से रहने लगी । वर्ष 1955 में सिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश की स्थापना के साथ सिन्चांग के ईली क्षेत्र में छापुचाल सीपाई स्वायत्त काऊंटी कायम हुई । वर्तमान में छापुचाल काऊंटी में सुरक्षित सीपाई जाति की संस्कृति और परम्परागत प्रथाएं सब से बेहतर और अखंड रूप में रही हैं । सीपाई जाति की संस्कृति को संरक्षित करने के लिए स्थानीय सरकार ने बड़े प्रयास किए ।
सीपाई जाति की संस्कृति के संरक्षण के लिए सिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश की जन सरकार ने अनेक कदम उठाए , वर्ष 2006 में सौ सीपाई लोक गीतों और ऐतिहासिक नाटकों के रिकार्डिंग का काम जो शुरू किया है, वह इस प्रकार के संरक्षण काम का एक भाग है ।
सौ सीपाई लोक गीतों के रिकार्डिंग का काम सिन्चांग जन ब्रोडगास्टिंग स्टेशन , सिन्चांग संगीतकार संघ तथा सिन्चांग के ईली प्रिफेक्चर की छापुचाल काऊंटी द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है । अब तक इस का तमाम काम पूरा होने को है ।
सिन्चांग जन ब्रोडगास्टिंग स्टेशन के संगीत विभाग के मंगोल भाषा दल के नेता छेरन ने सीपाई लोक गीतों का संकलन करने का काम संभाला , उन्हों ने तीन बार छापुचाल काऊंटी में जा कर सीपाई लोक गीतों को संकलित किया । उन का कहना है कि इधर सालों में सीपाई संस्कृति का तेज विकास हुआ , नए नए सीपाई गीत संगीत बड़ी संख्या में आये , विभिन्न कारणों से उन के दल ने मात्र उन में से सौ श्रेष्ठ गीतों का रिकार्डिंग किया । अब वे सीपाई के लोक गीतों , नए युग के गीतों और बाल गीतों का संकलन करने की निरंतर कोशिश कर रहे हैं , ताकि ज्यादा से ज्यादा मूल्यवान सीपाई गीत संगीत संरक्षित किए जा सके । उन्हों ने कहाः
हम सीपाई जाति के लोक गीतों को टेप करने की अथक कोशिश करते हैं , क्योंकि हम चाहते हैं कि सीपाई जाति के इतिहास की समृत्ति के लिए कुछ सुरक्षित किये जाए और हमारे प्रयासों से देश की अन्य जातियों के लोग सीपाई जाति से अच्छी तरह परिचित हो जाएं और सीपाई लोक गीतों से प्रिय रहें , आने वाली पीढियों के लिए इतिहास को याद करने वाले रिकार्ड सुरक्षित रहें और सीपाई जाति की संस्कृति को दुनिया के अन्य स्थानों से अवगत कराये जाएं ।
श्री छेरन ने कहा कि सीपाई लोक गीतों के रिकार्डिंग के दौरान उन्हों ने 87 वर्षीय सीपाई बुजुर्ग लोक कलाकार ली मी से मदद ली । उन के पास दस से ज्यादा प्राचीन सीपाई लोक गीत सुरक्षित हैं । यदि वे कभी इस संसार से चल बसे , तो ये मूल्यवान सीपाई लोक गीत भी उन के साथ गायब हो सकते है ।
छापुचाल काऊंटी में हमारे संवाददाता की एक बुजुर्ग सीपाई की स्थानीय गायिका क्वो शुचन से मुलाकात हुई , उन्हों ने दो बैसाकियों के सहारे माइको फोन के सामने अपने गायक साथी इंत्येमी के साथ युगल गाना गाया । बुजुर्ग क्वो शुचन का मजबूत गायन कौशल , मानक सीपाई भाषा और पारिश्रमिक हाव भाव से मौके पर मौजूद सभी लोग बहुत प्रभावित हुए । क्वो शुचन ने कहा कि जिस दिन सीपाई लोक गीतों का रिकार्डिंग करने जा रहा है , तो उस दिन से कई रातों में वे नींद से नहीं सो पायी। उन्हों ने भी इस काम के लिए कुछ योगदान करने का निश्चय किया , वे अपनी पूरी जिन्दगी में सीपाई लोक गीत गाती है , संगीत उन के जीवन का एक अंश बन गया है।
हाल के एक महीने के अथक प्रयत्न के बाद अब सीपाई लोक गीतों के संकलन , चुनाव और रिकार्डिंग का काम अच्छी तरह पूरा हो गया है , जिन में राजकुमारी हाईलान , वसंती पौधा आदि सौ लोक गीतों को सफलता के साथ टेप में भर दिया गया । सौ गीतों में सीपाई जाति के उत्पादन व जीवन में गाये जाने वाले गीत , शादी ब्याह के गीत , लोरी और बाल गीत शामिल हैं । इस के अलावा इन मूल्यवान गीतों के एलबम बनाने की योजना भी बनायी गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग सीपाई लोक गीत सुनने के मौके पाएं ।
सौ सीपाई लोक गीतों के अलावा सिन्चांग जन ब्रोडगास्टिंग स्टेशन ने सीपाई जाति के उत्तर पूर्व चीन से पश्चिम चीन में स्थानांतरित होने तथा ईली में बसने के बाद विकसित होने के पिछले दौ सौ साल के इतिहास पर 16 अंगों का एक धारावाहिक रेडियो नाटक बनाने की योजना बनायी , जो पश्चिम में जाने का गीत ,छापुचाल का गीत और सीपाई से प्रेम तीन खंडों से गठित है । इस नाटक में सीपाई जाति के उत्तर पूर्व चीन के शनयांग से पश्चिमी चीन के छापुचाल व थुपाईथ में आने और छापुचाल नहर खोदने तथा अपनी जातीय संस्कृति के संरक्षण व विकास की पृष्ठभूमि में कई पीढियों के सीपाई लोगों में प्यार और द्वेष की कहानी दर्शायी जाएगी । इस नाटक के संपादक सुश्री ल्यो पैलिन ने कहाः
हरेक सीपाई लोग अपनी जाति की संस्कृति को संरक्षित करने पर बहुत ध्यान देता है , इस प्रकार की जातीय संस्कृति का संरक्षण करने की तीव्र भावना बहुत कम देखने को मिलती है । काऊंटी के नेतागण , संस्कृति ब्यूरो के अधिकारियों से ले कर कला मंडली के गायकों व गायिकाओं और लोक कलाकारों तक सभी ने इस संरक्षण काम में बड़ा उत्साह दिखाया , बहुत से लोग रिटायर हो गए , कुछों की उम्र सहत्तर अस्सी तक भी हो गयी , फिर भी वे सुबह से दूर ईनिन शहर से छापुचाल काऊंटी आते हैं और देर रात वापस लौटते हैं , कुछ लोग दर्जनों किलोमीटर दूर गांवों से रिकार्डिंग के लिए आते हैं । वे पारिश्रमिक का ख्याल नहीं करते हैं और केवल इस काम में योगदान करना चाहते हैं , उन की यह भावना बहुत सराहनीय है ।
सीपाई जाति के स्थानांतरण के नाटक को श्रेष्ठ बनाने के लिए सुश्री ल्यो पैलिन ने सीपाई लोगों के बीच जाकर सीपाई जाति की संस्कृति जानने की हर संभव कोशिश की और दुख वे सीपाई की समृद्ध संस्कृति से भी प्रेरित हुई । उन्हों ने कहा कि सीपाई का प्राचीन धर्म सामान धर्म था , उस के बारे में नृत्य गीत प्रचूर थे , किन्तु अब इस धर्म को मानने वाली देश की विभिन्न जातियों में से केवल सीपाई जाति में सामान लोक गीत पूर्ण रूप में सुरक्षित हुए । सुश्री क्वो पैलिन ने नाटक की सफलता के लिए सीपाई लोगों से मिलने , सामग्री जुटाने की असाधारण मेहनत की , उन के विचार में यह मेहनत बहुत योग्य है ।
वर्तमान में सीपाई जाति के पश्चिम में स्थानांतरण के नाटक के संगीत का रिकार्डिंग काम चल रहा है और उसे जल्द ही दर्शकों को दिखाने की कोशिश की जा रही है ।
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