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(GMT+08:00) 2007-04-05 09:24:56    
हो नान म्युजियम में प्राचीन चीनी संगीत का आनन्द

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प्रिय दोस्तो , चीन का भ्रमण कार्यक्रम के आरम्भ में हम आप के साथ एक दुर्लभ विशेष संगीत समारोह का आनन्द उठाने जाएंगे। इस संगीत समारोह को एक दुर्लभ विशेष संगीत समारोह क्यों कहा जाता है , क्योंकि इस संगीत समारोह में जितने भी वाद्य यंत्रों का प्रयोग किया जाता है , वे सब के सब हजारों वर्ष पुराने हैं । यह विशेष संगीत समारोह मध्य चीन स्थित हो नान प्रांत के हो नान म्युजियम में आयोजित किया जाता है । तो आइये , अब हम एक साथ इस हो नान म्युजियम में चलें ।

प्रिय दोस्तो , अभी हम आप को बता दें कि आज से कोई तीन हजार वर्ष पहले प्रचलित अतिथि की अगवानी में बजाई जाने वाली धुन सब से मनमोहक है। हो नान म्युजिमय में कदम रखते ही यह मधुर उत्साहवर्धक धुन सुनाई पड़ती है । यह धुन इस म्युजियम के ह्वा श्या पुरातन धुन बैंड द्वारा प्राचीन वाद्य यंत्रों के जरिये देशी-विदेशी पर्यटकों के सम्मान में बजायी जाती है । विशाल हो नान म्युजियम ऐतिहासिक व कलात्मक कृतियों के कारण जाना जाता है , उस का कुल क्षेत्रफल एक लाख वर्गमीटर से अधिक है । 1998 में इस के विधिवत रूप से खुलने के बाद हर वर्ष लगभग तीन लाख से अधिक देशी-विदेशी पर्यटकों का इसे देखने के लिए यहां आना होता है । हो नान म्युजियम में जो एक लाख तीस हजार दुर्लभ ऐतिहासिक व सांस्कृतिक कृतियां सुरक्षित हैं , वे चीनी म्युजियमों में संरक्षित सभी सांस्कृतिक विरासतों का एक बटा आठ भाग है। और तो और खुदाई में प्राप्त कुछ प्राचीन वाद्य यंत्रों ने आकार-प्रकार और गुणवत्ता के संदर्भ में ही अपनी विशेष पहचान नहीं बनाई,बल्कि उन की आवाज़ भी अत्यंत सामंजस्यपूर्ण है और वे पुरातन चीनी-संगीत के परिचायक भी हैं । मसलन पक्षी की हड्डी से तैयार बांसुरी अब तक खुदाई में प्राप्त सब से प्राचीन सुरवाला वाद्य माना जाता है । ह्वा श्या प्राचीन धुन बैंड की संगीत निर्देशक सुश्री वांग श्वे ने हमारे संवाददाता के साथ बातचीत में कहा कि हालांकि यह हड्डी की बांसुरी आज से कोई आठ हजार वर्ष पुरानी है , पर फिर भी उस से पूरे सातों सुर निकाले जा सकते हैं ।

शृंखलाबद्ध घंटे इस प्राचीन धुन बैंड का सब से बड़ा बाजा यंत्र है और वह हो नान प्रांत में खुदाई में प्राप्त प्राचीन शृंखलाबद्ध घंटों के आधार पर तैयार हुआ है । प्राचीन शृंखलाबद्ध घंटों का इतिहास आज से कोई दो हजार पांच सौ वर्ष से भी पुराना है , पूरे सेट में कुल 26 घंटे हैं । पता चला है यह बाजा यंत्र पुराने जमाने में विशेष तौर पर राज महल में बजाया जाता था । इसे बनाने की कला ही नहीं, इस की आवाज का दायरा भी बहुत विशाल है ।

ह्वा श्या प्राचीन धुन बैंड के प्राचीन वाद्य यंत्रों में कुछ का इतिहास कोई आठ हजार वर्ष पुराना है और अन्य कोई कोई दो हजार तीन सौ वर्ष भी पुराने हैं। कई हजार वर्ष पहले हमारे पूर्वजों द्वारा तैयार संगीत सुरीला तो है , पर आज सच्चे मायने में हू ब हू उन्हें बजाना कोई आसान काम नहीं है । ह्वा शा प्राचीन धुन बैंड की संगीतकार सुश्री छांग ई छिंग नामक बाजा यंत्र बजाने में कुशल हैं । उन्हों ने यह बाजा बजाने की तकनीक का परिचय देते हुए कहा कि बाजा छिंग बजाने की सब से मुख्य कड़ी है सही स्थान पर पीटने के लिए उचित शक्ति लगाना । यदि पीटने की उचित शक्ति नहीं लगायी जाए , तो उस से सही आवाज नहीं निकल सकती । संगीतकार छांग ई के साथ बातचीत हो रही थी कि अचानक कू छिन नामक तंतुवाद्य यंत्र की सुरीली आवाज सुनाई पड़ी । हम ने सिर मोड़कर देखा कि संगीतकार हाथ में लिये कू छिन तंतुवाद्य यंत्र बजाते हुए गा रहे थे ।