• हिन्दी सेवा• चाइना रेडियो इंटरनेशनल
China Radio International
चीन की खबरें
विश्व समाचार
  आर्थिक समाचार
  संस्कृति
  विज्ञान व तकनीक
  खेल
  समाज

कारोबार-व्यापार

खेल और खिलाडी

चीन की अल्पसंख्यक जाति

विज्ञान, शिक्षा व स्वास्थ्य

सांस्कृतिक जीवन
(GMT+08:00) 2007-04-02 09:10:06    
तिब्बत को कब शांतिपूर्ण मुक्ति, चीनी ड्रैगन का क्या महत्व

cri

आज के इस कार्यक्रम में बोका बिहार के कुमौद नारायण सिंह और फरीदपुर उत्तर प्रदेश के कफील अहमद अंसारी के प्रश्नों के उत्तर दिए जा रहे हैं.

बोका बिहार के कुमौद नारायण सिंह का सवाल है कि तिब्बत को कब शांतिपूर्ण मुक्ति मिली और तिब्बत में हाता क्या है ?

वर्ष 1949 में जब चीन लोक गणराज्य का जन्म हुआ तब भी तिब्बत में 10 लाख भूदास साम्राज्यवादी आक्रमण और भूदास-मालिक वर्ग का उत्पीड़न झेल रहे थे.जनवरी 1950 में चीन की केंद्रीय जन सरकार ने तिब्बत की तत्कालीन स्थानीय सरकार को सूचित किया कि वह तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के लिए अपनाए जाने वाले उपायों पर वार्ता के लिए अपने प्रतिनिधि पेइचिंग भेजे.

लेकिन तिब्बत के स्थानीय सत्ताधिकारियों ने वहां के व्यापक जनसमुदाय की इच्छा के विपरीत आचरण किया.साम्राज्यवादियों और विदेशी प्रतिक्रियावादियों के उकसावे में आकर उन्हों ने तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के केंद्रीय सत्ताधिकारियों के आह्वान को ठुकरा दिया.उन्हों ने जो प्रतिनिधि-मंडल समझौता-वार्ता के लिए भेजा,उस ने अपनी पेइचिंग-यात्रा में देरी कर दी और वह विदेशी मदद मांगने विदेश चला गया.उन्हों ने उत्तरी एवं पूर्वी तिब्बत के रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नागचुका और छमदो नामक नगरों में और उन के आसपास के इलाकों में भारी तादाद में सैनिक तैनात कर दिए,ताकि जन-मुक्ति सेना को तिब्बत में प्रवेश करने से रोका जा सके.

समझौता-वार्ता को तेजी से चलाने और तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति का समझौता य़थाशीघ्र कर लेने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने जुलाई 1950 में गेदा नामक एक जीवित बुद्ध को,जो तिब्बती जाति के एक देशभक्त थे और शीखांड क्षेत्र की जन सरकार के उपाध्यक्ष थे,सलाह करने के लिए तिब्बत भेजा.छमदो पहुंचते ही उन्हें कई बाधाओं का सामना करना पड़ा.उसी वर्ष अगस्त में एक साम्राज्यवादी एजेंट ने और अन्य देशों के लिए काम करने वाले तत्वों ने उन्हें जहर देकर मार डाला.अपने अपराध पर पर्दा डालने के लिए उन्हों ने उन के शव को जला दिया.इस के बाद केंद्रीय जन सरकार ने जन-मुक्ति सेना को आदेश दिया कि वह तिब्बत में प्रवेश करके अपने तिब्बती देशबंधुओं को मुक्त कराए.अक्तूबर 1950 में जन-मुक्ति सेना ने स्छ्वान प्रांत और तिब्बत प्रदेश को बांटने वाली चिनशा नदी पार की तथा छमदो की तरफ़ कूच किया.उसी वर्ष नवम्बर में जन मुक्ति सेना ने स्थानीय प्रतिक्रियावादी फौज़ों का भारी तादाद में सफ़ाया करने के बाद छमदो और उस के आसपास के विस्तृत क्षेत्र को मुक्त करा लिया.अप्रेल 1951 में तिब्बत के स्थानीय सत्ताधारियों द्वारा भेजा गया प्रतिनिधि मंडल आखिरकार समझौता-वार्ता के लिए पेइचिंग पहुंचा .23 मई 1951 को केंद्र जन सरकार और तिब्बत की स्थानीय सरकार के बीच तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के लिए उठाए जाने वाले कदमों के बारे में समझौता हुआ.इस के अनुसार चीनी जन मुक्ति सेना की युनिटों ने 26 अक्तूबर को तिब्बत में प्रवेश किया,तो उन के स्वागत में तिब्बत की सभी जातियों और सभी व्यवसायों के 20 हजार से अधिक लोगों की भागीदारी वाला एक भव्य समारोह आयोजित किया गया.10 अक्तूबर 1952 को ल्हासा में जन मुक्ति सेना की तिब्बती क्षेत्रीय सैनिक कमान की स्थापना की गयी.

हाता तिब्बती संस्कार और मर्यादा से संबंधित एक वस्तु है.तिब्बती लोग हाता को किसी मेहमान की गर्दन के इर्दगिर्द डाल कर उस के प्रति अपना सम्मान और शुभकामना व्यक्त करते हैं.हाता स्कार्फ़ जैसा लगता है,पर वह आम तौर पर रेशमी कपड़े से बना होता है और उस की लम्बाई 2 मीटर होती है.हाता कई रंगों का होता है.पर सफेद हाता का अधिक प्रयोग होता है.वह सब से ज्यादा पवित्र माना जाता है.तिब्बतियों की नजर में सफेद रंग सफेद बादल का प्रतीक है,नीला रंग आसमान का,हरा रंग नद-नदियों का,लाल रंग धर्मरक्षक देव का और पीला रंग धरती का प्रतीक है.

फरीदपुर उत्तर प्रदेश के कफील अहमद अंसारी का सवाल है कि चीन के इतिहास में ड्रैगन का क्या महत्व है?

दोस्तो,ड्रैगन चीन में एक काल्पनिक जन्तु है.प्राचीन काल में इस की खूब पूजा की जाती थी.लोगों का मानना था कि वह कभी प्रकट होता है तो कभी अदृश्य रहता है.आकाश में उड़ सकता है और सागर में तैर सकता है तथा मेघ एकत्र कर धरती पर पानी गिरा सकता है.यानी जादुई शक्ति से संपन्न है.असाधारण शक्ति सम्पन्न होने के कारण इसे प्राचीन काल के विभिन्न चीनी राजवंशों के सम्राट अपना प्रतीक मानते थे. बाद में वह चीनी राजतंत्र का प्रतीक माना गया.लेकिन आधुनिक युग में चीनी राष्ट्र का प्रतीक माना जाने लगा है.चीनी लोग अपने आप को ड्रैगन की संतान मानते हैं.इसलिए यहां इस काल्पनिक जन्तु से लोगों को विशेष लगाव है.