इस लेख का सवाल है:छिङहाए-तिब्बत रेल सेवा कब शुरू हुई?
छिङहाए-तिब्बत रेल सेवा शुरू होने से पहले तिब्बत चीन में एक ऐसा एकमात्र प्रदेश था, जहां रेल मार्ग का नामोनिशान तक नहीं था, जिस से तिब्बत बाहरी दुनिया से संपर्क में गंभीर रूप से बौधिक रहा। हालांकि तिब्बत में हवाई सेवा व छिङहाए-तिब्बत राजमार्ग उपलब्ध हैं, लेकिन तेजी से विकास हो रहे समाज के लिये ये पर्याप्त नहीं है। वर्ष 2006 के जुलाई की एक तारीख को छिङहाए-तिब्बत रेल सेवा की शुरूआत औपचारिक रूप से की गयी। इस रेल मार्ग की स्थापना ने छिङहाए व तिब्बत के आर्थिक विकास को बढ़ाने, स्थानीय लोगों की जीवन स्तर को उन्नत करने, उन में एकता को मजबूत करने, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।
सब से पहले हम देखें कि छिङहाए-तिब्बत रेल-मार्ग पर चलने वाली गाड़ियों में कौन सी विशेष सेवाएं हैं।
सेवा की गुणवत्ता को उन्नत करने के लिये छिङहाए-तिब्बत रेग मार्ग कंपनी ने रेल गाड़ी में तिब्बती व अंग्रेज़ी बोल सकने वाले व्यावसायिक कंडक्टर तैनात किया है।इन कंडक्टरों को रेल सेवा शुरू होने से पहले कंपनी द्वारा सख्त मापडंद से चुनकर तिब्बती व अंग्रेज़ी का प्रशिक्षण दिया गया।अब वे चीनी, तिब्बती व अंग्रेज़ी तीनों भाषाओं में यात्रियों की सेवा कर सकते हैं।"आप लोगों के इस रेलगाड़ी पर सवार होने का स्वागत। मैं कंडक्टर हूं। यात्रा में मैं आप लोगों की सेवा करूंगी। आशा है आप लोग खुश और स्वस्थ रहे।"
रेग गाड़ी में प्रसारित सभी रेडियो कार्यक्रम भी चीनी, अंग्रेज़ी व तिब्बती में हैं। तिब्बत के सुन्दर दृश्यों के परिचय व मधुर तिब्बती गीतों के प्रसारण के अलावा अन्य कुछ विशेष रेडियो-कार्यक्रम भी सुनाए जाते हैं, जैसे:"आप के साथ पर्यावरण संरक्षण करना"तथा"बर्फ़ीले देश की देवी तिब्बती नीलगाय"आदि। ये रेडियो कार्यक्रम यात्रियों को तिब्बत में जंगली जानवरों व पर्यावरण संरक्षण की स्थिति अवगत कराने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण की अवधारणाओं एवं ज्ञान का प्रसार-प्रचार भी करते हैं।रेल गाड़ी की रेडिया उदघोषिका सुश्री मू चूआन ने कहा,
हमारे कार्यक्रम मुख्य तौर पर छिङहाए-तिब्बत रेल मार्ग के निर्माण-कार्य व रेल-मार्ग के दोनों किनारे सुन्दर दृश्यों का परिचय देते हैं और साथ ही यात्रियों को सुरक्षा व स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ जानकारियां भी देते हैं। क्योंकि छिङहाए तिब्बत पठार बहुत ऊंचा है, इसलिये बहुत से लोग यहां के जलवायु से अनुकूल नहीं हैं और तबीयत भी ठीक नहीं हो सकती है।हमारे कार्यक्रम उन की समस्याओं के समाधान में मदद दे सकते हैं।
छिङहाए तिब्बत रेग मार्ग के दोनों किनारे दृश्य बहुत सुन्दर हैं। उन में प्रसिद्ध खुङलुंङ पहाड़ की यू चू चोटी, छोना झील, चीन का सब से बड़ा मानवरहित क्षेत्र कोकोशीली, थांगकूला पहाड़ व उत्तरी तिब्बत का घास मैदान आदि शामिल हैं। इसलिये छिङहाए तिब्बत रेग गाड़ी पर सवार यात्री उन सुन्दर दृश्यों को देख सकते हैं। चीनी चित्रकार संघ के 63 वर्षीय सदस्य, हपे प्रांत के चित्रकार संघ के निदेशक श्री ली वेइ शी को तिब्बत जाने का मौका मिला। उन्होंने सच्चे दिल से हमें बताया :
"मैं ने सात, आठ वर्षों तक तिब्बत जाने का सपना देखा। अब रेल-सेवा शुरु हो गयी। इसलिये मेरा यह सपना मूर्त रूप में बदल गया है। हमारे चित्रकारों के लिये तिब्बत नही जाना,चीनी जनता के पेइचिंग नहीं जाने जैसे बड़ी अफसोस की बात है। कल रात को रेल गाड़ी में रोशनी बन्द की जाने के बाद भी मैं ने खिड़की से बाहर के सुंदर दृश्य देखने की कोशिश की।मैं और मेरे साथी सुन्दर प्राकृतिक दृश्यों से बहुत प्रभावित हुए और अपने को लगातार फ़ोटो खिंचने से नहीं रोक सके। घर वापस जाने के बाद हम ज़रूर इन फोटो के आधार पर चित्र बनाएंगे।"
छिङहाए-तिब्बत रेल मार्ग के निर्माण के दौरान पर्यावरण संरक्षण को भारी महत्व दिया गया। उदाहरण के लिये कोकोशीली प्राकृति संरक्षण क्षेत्र में तिब्बती नीलगाय और अन्य दुर्लभ जंगली जानवरों के आने-जाने के लिये दो विशेष बड़े रेल-पुलों की स्थापना की गयी। जब रेल गाड़ी इस क्षेत्र से गुजरती है, तो यात्री देख सकते हैं कि रेल मार्ग की दोनों ओर तिब्बती नीलगाय व जंगली गधा बिना किसी प्रभाव के आराम से घास खाने का मजा ले रहे हैं।किसी जंगली जानवर को देखते ही यात्री हर्षोलास से चीखते हैं और फ़ोटो खिंचते हैं।
छिङहाए-तिब्बत रेग मार्ग के निर्माण से तिब्बती बंधुओं को कौन सा लाभ मिलेगा?इस प्रश्न को लेकर हम ने इस रेल गाड़ी पर सवार तिब्बती जाति की एक मां व उन की बेटी से इन्टरव्यू लिया। उन का घर तिब्बत के छांगतू में है। इस बार माता जी सुश्री ला मू योंग शी विशेष तौर पर इस रेल-गाड़ी से अपनी बेटी को घर वापस लेने के लिए सवार रही हैं। बेटी डंग चू चो मा को चनचओ रेल मार्ग विश्वविद्यालय से स्नातक होकर तिब्बत में अभी नौकरी मिली है। विश्वविद्यालय में पढ़ने के तीन सालों के दौरान तिब्बत के छांगतू और चनचओ के बीच आने-जाने के अपने अनुभवों की याद करते हुए उन्होंने कहा :
"उसी समय रेल मार्ग नहीं था। मैं और माता जी केवल हवाई जहाज से छांगतू से सीछूआन जाती थीं।फिर सीछूआन से बस द्वारा चनचओ तक पहुंचती थीं।रास्ते पर तीन हजार से ज्यादा य्वान का खर्च होता था। लेकिन अब मैं सीधे रेल-गाड़ी से चनचओ पहुंच सकती हूं। न सिर्फ़ समय में बल्कि खर्च में भी बड़ी किफ़ायत हुई है। छिङहाए तिब्बत रेल मार्ग ने सचमुच हमें बहुत सी सुविधाएं दी हैं।"
माता जी सुश्री ला मू योंग शी ने कहा है:"जब मेरी बेटी ने टी.वी. पर यह देखा कि छिङहाए-तिब्बत रेल सेवा जुलाई की एक तारीख को शुरू हुई, तो बेहद प्रभावित होकर उन की आंखें डबडबा गईं। क्योंकि छिङहाए-तिब्बत रेल मार्ग ने तिब्बत के बाहरी दुनिया से कटने का इतिहास समाप्त हुआ है। अब इस रेल मार्ग से देश के दूसरे क्षेत्रों के माल तिब्बत आ सकते हैं।इस तरह हमें तिब्बत में भी ताज़ा व सस्ती सब्ज़ियां व फल खाने को मिल सकते हैं। मेरी मां इस वर्ष 82 उम्र की हैं। उन्होंने रेल-गाड़ी को पहले कभी नहीं देखा और रेल-गाड़ी से यात्रा करना उन के लिए तो दूर की बात थी। भविषय में मैं उन्हें लेकर रेल-गाड़ी से अन्य क्षेत्रों की यात्रा करूंगी।"
बेटी डंग चू चो मा ने भावविभोर होकर हमारे लिये छिङहाए-तिब्बत रेल मार्ग से संबंधित एक गीत गाया। गीत का नाम हैं स्वर्गीय राह।
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