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(GMT+08:00) 2007-03-30 15:10:10    
किरगिज जातीय लोक गीतों के अध्ययन में लगे त्वानछ्यांग की कहानी

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चीन के सिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश के गजलेसू किरगिज स्वायत्त प्रिफेक्चर में मुख्यतः किरगिज जाति के लोग रहते हैं , वे हजारों साल से इस भूमि में चरवाही का जीवन बिताते आए हैं और कालांतर में उन में अपने विशेष लोकगीतों की संस्कृति संपन्न हुई है । लेकिन आधुनिक युग में किरगिज जाति के ये कीमती लोकगीत धीरे धीरे लिप्त होते जा रहे हैं । किरगिज जाति के लोकगीतों को बचाने के लिए सिन्चांग के मशहूर कलाकार श्री त्वान छ्यांग ने असाधारण काम किया ।

इस साल ,73 वर्षीय कलाकार श्री त्वान छ्यांग चीन में किरगिज जाति के लोकगीतों पर गहन अध्ययन के लिए मशहूर हैं । उन्हों ने जितने किरगिज लोक गीतों का संग्रहण व संकलन किया है , उतने किसी दूसरे ने नहीं किया था । श्री त्वान छ्यांग का जन्म कला साहित्य को प्यार करने वाले परिवार में हुआ , बचपन से ही उन्हें प्राचीन कविता और संगीत की शिक्षा मिली । वर्ष 1949 में वे चीनी जन मुक्ति सेना के साथ सिन्चांग आए और 1950 में उन्हें केन्द्रीय संगीत कालेज में दाखिला मिला । स्नातक होने के बाद उन्हों ने दक्षिण सिन्चांग के काश्गर क्षेत्र में काम करने का निश्चय किया और अल्पसंख्यक जातियों के लोकगीतों का संग्रहण करने में लग गए । उन्हों ने कहाः

वर्ष 1950 से मैं ने सिन्चांग के जातीय गीतों के तूलनात्मक अध्ययन की योजना बनायी और अल्पसंख्यक जातियों के लोक गीतों के संग्रहण व संकलन के काम में पूरी शक्ति लगायी ।

अल्प संख्यक जातियों की भाषा नहीं जानने के कारण वे उन के गीतों के मतलब नहीं समझते थे , इस कमी को दूर करने के लिए उन्हों ने अल्पसंख्यक जातियों की भाषाएं सीखने का निश्चय किया । कड़ी मेहनत से उन्हों ने कुछ अल्प संख्यक जातियों के बोलचाल पर अधिकार किया और उन के ऐतिहासिक विकास के संदर्भ में विस्तृत जानकारी भी हासिल की , जिस से उन के दिल में सिन्चांग के लोकगीतों में गहरी रूचि बनी। इसकी चर्चा में श्री त्वान छ्यांग ने कहाः

भाषा जानने के बाद जब मैं अल्प संख्यक जातियों के लोगों के बीच गया , तो दुभाषिया की कोई जरूरत नहीं हुई । मैं उन की बातचीत और गीतों के बोल अच्छी तरह समझ सकता हूं । इस के बाद मैं ने जो संगीत पुस्तकें प्रकाशित की हैं , उन में शामिल लोकगीतों का अनुवाद खुद मैं ने किया है । मैं ने वेवूर भाषा में गीत लिखना भी शुरू किया । वेवूर भाषा के अलावा मैं ने फारसी और अरबी भाषा का भी अध्ययन किया।

पिछली शताब्दी के नब्बे वाले दशक की शुरूआत में हुई एक घटना ने श्री त्वान छ्यांग के मनोभाव को काफी चुभो दिया । उस समय , सिन्चांग टीवी स्टेशन किरगिज जाति के रीति रिवाजों पर एक टीवी कार्यक्रम बनाना चाहता था, जिस में विभिन्न प्रकार के समारोह रस्मों में प्रयुक्त किरगिज जाति के गीत शामिल हो । इस के लिए बहुत से किरगिज लोग बुलाए गए , लेकिन उन में से किसी को भी किरगिज लोक गीतों की पूरी जानकारी नहीं थी और सटीक गायन में गीत गाने में समर्थ नहीं थे । अंत में त्वान छ्यांग की मदद से यह टीवी कार्यक्रम संपन्न हो पाया । इस घटना से त्वान छ्यांग को एहसास हुआ कि किरगिज लोक गीत तेजी से गायब होने जा रहे हैं । उन्हें बड़ी दुख हुई और उन्हों ने इस स्थिति को दुरूस्त करने का संकल्प लिया ।

किरगिज लोकगीतों को बचाने के लिए श्री त्वान छ्यांग ने कड़ाके की सर्दियों में भी पामीर पठार पर बसे किरगिज लोगों के बीच जाकर संग्रहण का काम किया । इस पर उन्हों ने कहाः

किरगिज लोक गीतों को इकट्ठे करने के लिए मैं पामीर पठार पर गया , अप्रैल के महीने में मैं वहां के पहाड़ी क्षेत्र में प्रवेश कर गया और नवम्बर के महीने में बाहर निकला । किरगिज जाति में प्रचलित सभी लोक गीतों को मैं ने टेप में उतार दिया । अब पुराने किरगिज लोक गीत गायक जरूर नहीं मिल पाते हैं । चरवाही का जीवन बिताने वाली जातियों के लोक गीत उन के सामाजिक जीवन में मिश्रित हैं , मसलन् उन के शादी व जन्म रस्म में गीत गाना अवश्यक है । लेकिन आधुनिक जीवन से प्रभावित हो कर उन के जीवन , संस्कृति और सामाजिक गतिविधियों में भारी परिवर्तन आये , इसलिए परम्परागत जातीय संगीत का भी खात्मा हो रहा है ।

लोक गीतों को संकलित करने का काम बहुत परिश्रमव्यय है , लेकिन त्वान छ्यांग को इस से बड़ा आनंद मिलता है ,वे एकदम किरगिज जनता में घुल मिल गए हैं । उन का कहना है कि जब वे टेपरिकार्टर ले कर गांव गए , तो गांव वासी उन का संगीतकार के रूप में हार्दिक स्वागत करते हैं और कुछ गीत गा कर सुनाते हैं । ऐसी घड़ी में त्वान छ्यांग को हमेशा अत्यन्त बड़ा प्रोत्साहन प्राप्त हुआ और टेप करने और बोल नोट करने में व्यस्त हो जाते थे ।

इन सालों में सिन्चांग के विभिन्न चरगाहों , पहाड़ी क्षेत्रों और देहाती इलाकों में अकसर एक बुजुर्ज व्यक्ति पीठे पर दर्जनों किलो वजनी रिकार्टिंग उपकरण लादे आते जाते दिखाई देते हैं , वे ही श्री त्वान छ्यांग हैं , उन्हों ने सिन्चांग में घर घर जा कर अल्पसंख्यक जातियों के लोक गीतों को संगृहित करने की अथक कोशिश की , उन के पदचिंह करीब पूरे सिन्चांग की भूमि पर छोड़े गए ।

दो साल पहले , 70 वर्षीय त्वान छ्यांग ने वर्षों से संकलित किए गए 700 से अधिक मूल परम्परागत किरगिज गीतों का एक संग्रह निःशुल्क गजलेसू किरगिज प्रिफेक्चर को भेंट किया , ये लोक गीत बहुधा लिप्त होने वाले हैं । त्वान छ्यांग की कड़ी मेहनत के परिणामसूवरूप अब ये किरगिज जाति के एक मूल्यवान खजाने के रूप में स्थानीय सरकार द्वारा सुरक्षित किए गए ।

वर्षों से सिन्चांग के लोक गीतों , खास कर किरगिज लोक गीतों के संग्रहण व संकलन के आधार पर श्री त्वान छ्यांग ने अपना संगीत सिद्धांत प्रतिपादित किया । इधर के सालों में उन्हों ने चीनी वाचन संगीत का सिन्चांग ग्रंथ और चीनी वाचन संगीत इतिहास का सिन्चांग अंक संपादित करने की जिम्मेदारी उठायी । उन्हों ने रचनात्मक रूप से लोक गीतों की वर्गीकरण विधा और संगीत के लिए भौगोल की भूमिका संबंधी सिद्धांत भी प्रवर्तित किये , जिस का देश विदेश के विशेषज्ञों ने स्वागत किया । श्री त्वान छ्यांग ने कहाः

मेरी जिन्दगी का एक तिहाई भाग पुस्तकों के अध्ययन और कामकाज में गुजरा और अन्य एक तिहाई भाग लोक गीतों के संकलन में बीता । मैं समझता हूं कि मेरी जिन्दगी कामयाब सिद्ध हुई है । मैं ने अपना संगीत सिद्धांत प्रतिपादित किया है , जिस में सिन्चांग के सभी श्रेष्ठ संगीतों को सम्मिलित किया गया है । आइंदे , अगर समय मिला हो , तो मैं अन्य पांच पुस्तक लिखना चाहता हूं ।