इधर के सालों में ग्रीन हाउस गैस से उत्पन्न विश्व मौसम के गर्म होने की घटनाओँ पर विभिन्न देशों ने अधिकाधिक चिन्ता प्रकट की है। वर्ष 2005 में प्रभाव में डाली गयी क्योडो प्रोटोकोल में स्पष्ट रूप से निर्धारित किया गया है कि विकसित देशों को कदम ब कदम ग्रीन हाउस गैस की निकासी को कम करना चाहिए, अब तक विकासशील देशों से इस संबंध पर कोई मांग नहीं की गयी है। इस स्थिति के अन्तर्गत , क्लीन डिवेलोपमेंट मेकनीजम यानी सी डी एम की ग्रीन हाउस निकासी अधिकार व्यापार ने जन्म लिया, यह विश्व मौसम के गर्म होने के सवाल को हल करने का एक लाभदायक कारगर तरीका है। इस कार्यक्रम में हम आप को चीन के अन्तरराष्ट्रीय ग्रीन हाउस गैस विकास अधिकार व्यापार में भाग लेने की स्थिति पर कुछ जानकारी देगें।
पिछले साल के सितम्बर में इटली के कार्बन कोष ने विश्व बैंक के जरिए चीन के च्यांगसू प्रांत के नानचिंग लौह-इस्पात शेयर लिमेटड के साथ कार्बन डाइओक्साइड की निकासी अधिकार व्यापार समझौता संपन्न किया। नानचिंग लौह-इस्पात लिमेटड कम्पनी को इस से कोयला भटटी से निकली गैस को वापस लेने की परियोजना की समुन्नत तकनीक व पूंजी हासिल हुई। नानचिंग लौह-इस्पात लिमेटड कम्पनी के विकास विभाग के निदेशक ल्यू ये च्येन ने हमारे संवाददाता को बताया कि इस परियोजना के तहत लौहा उत्पादन के दौर में उत्पन्न कोयले गैस को वापस लिया जा सकता है और फिर इस गैस को बिजली उत्पादन में इस्तेमाल किया जा सकता है, यह पर्यावरण संरक्षण व उर्जा किफायत दोहरा फायदा ला सकती है। उन्होने कहा इस से हमारे उद्योगों को 3 करोड़ 20 लाख य्वान का मुनाफा मिल सकता है। उदाहरण के लिए यदि दो लौहा उत्पादन भटटिओं के रूपांतरण का हिसाब किया जाए तो इस से निकली कोयला गैस से हम हर साल 15 करोड़ किलोवाट बिजली उत्पादन कर सकते हैं, यह एक आदर्श मिसाल है जो हमारे उद्योगों के लिए बहुत ही लाभदायक होगा ।
यह क्योडो प्रोटोकोल के क्लीन डिवेलापमेंट मैकनीजम के तहत चीन दवारा पारित पहला उद्योग उर्जा किफायत मुददा है। क्योडो प्रोटोकोल के धारओं के अनुसार, वर्ष 2008 से 2012 तक , 35 विकसित देशों के कार्बन डाइओक्साइड व मैथेन आदि ग्रीन हाउस गैस की निकासी मात्रा में वर्ष 1990 की तुलना में 5.2 प्रतिशत की कटौती की जाएगी, यदि निकासी मात्रा निर्धारित मापदंड से अधिक रही तो उसपर भारी जुरमाना लगाया जा सकता है। हालांकि ग्रीन हाउस गैस एक प्रवाहित गैस है और विकसित देशों के इस गैस की कटौती में उंची खपत पर ध्यान देते हुए, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय ने एक लचीलेपन उपायों से यानी क्लीन डिवेलापमेंट मैकनीजम का निर्माण कर विकसित देशों व विकासशील देशों के बीच ग्रीन हाउस गैस की निकासी अधिकार व्यापार को अनुमति प्रदान की है।
इस किस्म के व्यापार में विकसित देश विकासशील देशों को पूंजी व संबंधित तकनीकी सहायता देगें और ग्रीन हाउस गैस की कटौती के कारगर परियोजना के विकास को समर्थन देने के साथ उस से उत्पन्न गैस कटौती का कोटा खरीद सकते हैं, जबकि विकासशील देश इस परियोजना के तहत अपना अनवरत विकास बरकरार रख सकते हैं। इसे सरलता से कहा जाए तो विकसित देश , विकासशील देशों को अपनी ग्रीन हाउस गैस में कटौती करने के लिए पैसा देगा और इस के बदले में गैस कटौती की कुछ मात्रा का कोटा हासिल कर सकता है।
चीन सरकार ने वर्ष 2010 में सकल घरेलु उत्पादन की अपनी मात्रा में उर्जा खपत को वर्ष 2005 की तुलना में 25 प्रतिशत कम करने के लक्ष्य को पूरा करने की पेशकश की है। चीनी राष्ट्रीय विकास व सुधार आयोग दवारा प्रस्तुत आंकड़ो के अनुसार, वर्तमान चीन के पास 120 से अधिक क्लीन डिवेलपमेंट मैकेनीजम परियोजनाए हैं, इस में गैस निकासी कटौती मात्रा 60 करोड़ टन है, और व्यापार राशि करीब 3 अरब 50 करोड़ अमरीकी डालर रहेगी।
चीनी विज्ञान तकनीक मंत्रालय के विश्व पर्यावरण कार्यालय के उप निदेशक ल्वी श्वे तू का मानना है कि चीन विश्व में सबसे नीहित शक्ति प्राप्त बाजारों में से एक है। उन्होने कहा हम इस मैकनीजम के तहत उर्जा किफायत क्षेत्र, पुनरूत्पादित उर्जा क्षेत्र व कोयला गैस व मैथेन गैस के वापस लाने के क्षेत्र में चीन में बहुत से व्यापारिक अवसर पा सकते हैं।
अन्तरराष्ट्रीय निर्धारित नियमों के अनुसार, ग्रीन हाउस गैस मात्रा की कटौती मात्रा सहयोग परियोजना में हरेक टन कार्बन डाइओक्साइड की निकासी को कम करने के लिए, विकसित देश के उद्योग विकासशील देशों के उद्योगों को 10 अमरीकी डालर की पूंजी प्रदान करेगा । संबंधित विशेषज्ञों के अनुमान के अनुसार, चीन में ग्रीन हाउस गैस निकासी मात्रा में कम से कम 10 अरब अमरीकी डालर से अधिक का बाजार अंतराल है। इस के अलावा, विश्व बैंक के एक आंकड़ो से पता चला है कि गत सितम्बर तक ग्रीन हाउस गैस निकासी मात्रा अधिकार व्यापारिक राशि का 84 प्रतिशत एशियाई देशों के हक में रहा है , चीन इस व्यापारिक बाजार के हिस्से में प्राथमिक स्थान पर खड़ा है, जो इन सभी मुददों की व्यापारिक राशि का 60 प्रतिशत बनता है।
यदि इस व्यापार में भाग ले रहे चीनी उद्योग इस व्यापार की पूरी प्रक्रिया व मांग से अच्छी तरह वाकिफ न हो पाए, तो वे अन्तरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करने की कठिनाईयों में फंस सकते हैं। सी छ्वान क्लीन डिवेलपमंट मैकेनीजम केन्द्र के उप निदेशक सुन काओ फंग ने कहा कि चीनी उद्योगों को इस व्यापार के नियमों की जानकारी देना सचमुच बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। उन्होने हमें बताया वर्तमान बहुत से मध्यस्थ संस्थाओं व कुछ विशेषज्ञों को इस परियोजना में भाग लेने की जरूरत है, क्योंकि चीन में क्लीन डिवेलपमंट मैकनीजम परियोजना के विकास के आगे एक बड़ी बाधा खड़ी हुई है।
वर्तमान चीन के सी छवान, सानतुंग व च्यांगसू आदि प्रांतो ने ग्रीन हाउस गैस निकासी कटौती की एक विशेष परियोजना केन्द्र की स्थापना कर ली है। इन प्रांतो ने विश्व बैंक आदि अन्तरराष्ट्रीय संगठनों के साथ मिलकर संबंधित परियोजना में भाग लेने वाले उद्योगों के लिए पूंजी सहायता व तकनीक आदि सहायता पाने का आवेदन पत्र प्रदान किया है।
वर्ष 2012 से विकासशील देश ग्रीन हाउस गैस निकासी अधिकार व्यापार को लागू कर सकेगें या नहीं, यह क्योडो प्रोटोकोल के दूसरे चरण की वार्ता पर निर्भर रखता है। चीनी राष्ट्रीय विकास व सुधार आयोग की राष्ट्रीय मौसम परिवर्तन नीति के समन्वय दल कार्यालय के उप निदेशक काओ क्वांग ने कहा कि चाहे परिणाम कुछ भी हो, चीन निरंतर अनवरत विकास के मार्ग पर चलता रहेगा और विश्व मौसम के परिवर्तन से निपटने पर अपना प्रयास जारी रखेगा।
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