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(GMT+08:00) 2007-03-27 14:01:28    
तिब्बती लोगों की जुबान पर《तिब्बत की पूरानी कहानी》

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हाल में पेइचिंग में चीनी केंद्रीय न्यूज डाक्यूमेंट्री स्टुडियो ने《तिब्बत की पूरानी कहानी》नामक डाक्यूमेंट्री फिल्म रिलीज की, जिस में भूदासों और भिखारियों का वास्तविक जीवन दर्शकों के सामने दर्शाए गए है । वर्ष1959 में तिब्बत में लोकतांत्रिक सुधार के बाद उन के जीवन में भारी परिवर्तन आया । तिब्बत में भूदास व्यवस्था रद्द की गई और हर व्यक्ति समान रूप से लोकतांत्रिक अधिकारों का उपभोग करता है , इन में शिक्षा पाने का अधिकार भी शामिल है, यह अधिकार पुराने तिब्बत में अधिकांश जनता के लिए सरासर एक दिवास्वप्न था।

वर्ष1955 में जन्मे श्री शेरब न्यिमा चीनी केंद्रीय जातीय विश्विद्यालय के उप कुलपति हैं, वे आधुनिक तिब्बती इतिहास व कानून सवाल के विशेषज्ञ भी हैं । तिब्बती भाषा में शेरब का मतलब है बुद्धि, और न्यिमा का मतलब सुर्य । उन के माता-पिता की आशा है कि उन का बेटा सुर्य की तरह एक बुद्धिमान व्यक्ति बनेगा । तिब्बत में लोकतांत्रिक सुधार किए जाने के बाद भूदास की संतान शेरब न्यिमा को भी स्कूल पढ़ने का मौका मिला और वे विश्वविद्याल में भी दाखिल हुए । डाक्यूमेंट्री फिल्म《तिब्बत की पूरानी कहानी》 देखने के बाद उन्होंने भावविभोर होकर कहा कि शिक्षा लेने से उन का जीवन पूरी तरह परिवर्तित हुआ । अब तिब्बत के बाल बच्चे उन से भी ज्यादा सुनहरे मौका प्राप्त कर सकते हैं । उन्होंने कहाः

"पुराने तिब्बत में कोई आधुनिक स्कूल नहीं था । लेकिन आज तिब्बत में प्राइमरी स्कूल, मिडिल स्कूल और विश्वविद्यालय सभी उपलब्ध हैं । अब तिब्बत में अनेक विश्विद्यालय खुले हैं । गत शताब्दी के 50 वाले दशक में हमारे चीनी केंद्रीय जातीय विश्वविद्यालय ने अपनी स्थापना के तुरंत बाद तिब्बती विद्यार्थियों को दाखिला कराना शुरू किया। ये विद्यार्थी तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के विभिन्न स्थानों तथा अन्य तिब्बती बहुल क्षेत्रों से आते हैं । बहुत से लोग ग्रामीण क्षेत्रों व पशु पालन क्षेत्रों से आते हैं और वे बहुत मेहनत से पढ़ते हैं । वर्तमान में तिब्बती विद्यार्थी पी.ए. डिग्री प्राप्त करने के बाद एम.ए. व डाक्टर डिग्री भी प्राप्त कर सकते हैं ।"

तिब्बती विशेषज्ञों का कहना है कि कोई भी व्यक्ति लोकतांत्रिक सुधार से तिब्बत में लाए भारी परिवर्तन को नकार नहीं कर सकते । तिब्बती बौद्ध धर्म के विकास के अनुसंधानकर्ता श्री ता तेंजिन ने कहा कि वर्तमान तिब्बत में लागू राजनीतिक व्यवस्था से तिब्बत में रहने वाले सभी लोगों को समानता का अधिकार प्राप्त होता है, जिन में राजनीतिक अधिकार व धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता का अधिकार शामिल हैं । उन का कहना है

"वर्तमान में तिब्बत में धार्मिक विश्वास बिलकुल स्वतंत्र है । अधिकांश तिब्बती लोग तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं, इस तरह तिब्बत के सभी धर्मिक स्थल नागरिकों के लिए खोले गए हैं । विशेष कर हमारे प्रमुख धार्मिक स्थल यानी ल्हासा का जोखाङ मठ, शिकाज़े का जाशिलंबु मठ और अन्य मठ तिब्बती जनता के लिए खुले होते हैं । इस तरह तिब्बती लोग हर दिन बौद्ध सूत्र पढ़ सकते हैं, धार्मिक गतिविधि चला सकते हैं और मठ को दान कर सकते हैं । यह सब का सब पूरी तरह स्वतंत्र है ।"

श्री ता तेंजिन ने कहा कि पचास साल पहले वाले पुराने तिब्बत में जीवन बिताने वाले लोगों को तो इस डाक्यूमेंट्री फिल्म《तिब्बत की पूरानी कहानी》ने पुराने दुखमय जीवन की याद दिलायी है । जबकि तिब्बत की वर्तमान स्थिति की जानकारी चाहने वालों लोगों के लिए इस डाक्यूमेंट्री फिल्म ने यह साबित कर दिखाया है कि चीन सरकार ने तिब्बत में जातीय समानता और जनता के सुखमय जीवन के लिए जो कोशिशें की हैं , उन में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल हुई हैं ।