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(GMT+08:00) 2007-03-26 16:55:19    
चीन में डाक-घर,मकाओ द्वीप की जनसंख्या

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आज के इस कार्यक्रम में कोआथ बिहार के राकेश रौशन औऱ उन के साथी, सीतामढ़ी बिहार के मोहम्मद जहांगीर,बिलासपुर छत्तीसगढ के चुन्नीलाल कैवर्त और बोका बिहार के कुमौद नारायण सिंह के पत्र शामिल हैं।

कोआथ बिहार के राकेश रौशन का सवाल है कि चीन में इस समय कुल कितने डाक-घर हैं?

भैय्या,आप को हमारे कार्यक्रमों में यह जानकारी मिली होगी कि कई साल पहले यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन की वार्षिक महासभा पेइचिंग में हुई थी। उस दौरान डाक सेवा चर्चा का विषय था। डाक सेवा के क्षेत्र में चीन की उपलब्धियों की ओर लोगों का ध्यान स्वभावत:आकृष्ट हुआ।

नवीनतम आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में चीन भर में कोई 84 हजार 4 सौ डाक-घर हैं,जिन में हर रोज 8 करोड़ से अधिक डाक निपटाई जाती है। और डाक-मार्गों की लम्बाई लगभग 28 लाख पचास किलोमीटर है।

कोआथ बिहार के राकेश रौशन, शेख जफर हसन, हरद्वार प्रसाद केशरी,राजू कुमार भार्गव,मुन्ना प्रसाद गुप्ता,किशोर कुमार केशरी,दोपमाला रानी,पिन्दू केशरी,टिन्कू केशरी और सीतामढ़ी बिहार के मोहम्मद जहांगीर ने पूछा है कि मकाओ द्वीप की जनसंख्या कितनी है और यहां के निवासियों का मुख्य पेशा और रहन-सहन कैसा हैं?

मित्रो,चीन के मकाओ विशेष स्वशासन क्षेत्र की स्थाई आबादी लगभग 4 लाख 30 हजार 500 है.इस समय उस में 24 हजार विदेशी प्रवासी और दूसरे क्षेत्रों से आए 32 हजार मजदूर भी है.जुआ,पर्यटन,निर्यात वाली वस्तुओं के प्रसंस्करण और बंदरगाह-व्यापार उस के मुख्य उद्योग व व्यवसाय हैं.

मकाओ 1999 के अंत में चीन की गोद में वापस लौटा.चीन-मकाओ संयुक्त घोषणा-पत्र में स्पष्ट रूप में कलमबद्ध है कि मकाओ की सामाजिक व आर्थिक व्यवस्था,रहन-सहन और कानून जैसे के तैसे बने रहेंगे.तब से मकान पर प्रभुसत्ता संपन्न चीनी केंद्र सरकार और स्वशासन करने वाली स्थानीय सरकार इस घोषणा-पत्र का गंभीरता से पालन कर रही है.आज भी मकाओ की सरकारी संस्थाएं,विभिन्न क्षेत्रों की व्यवस्थाएं,मूल्यों के प्रति लोगों का दृष्टिकोण और रहन-सहन वैसा ही है जैसे चीन में लौटने से पहले था.

मकाओवासियों का रहन-सहन लगभग दक्षिण चीन के क्वांगतुंगवासियों व फूच्यानवासियों के जैसा है.पर पुर्तगाल का उपनिवेश रहने के कारण उस पर पुर्तगालियों के रहन-सहन का प्रभाव भी पडा है.

बिलासपुर छत्तीसगढ के चुन्नीलाल कैवर्त ने एक दिलचस्प प्रश्न पूछा है कि भारत में जीजा-साली देवर-भाभी जैसे हास परिहास वाले रिश्ते होते हैं, क्या चीनी समाज में इस प्रकार के पारिवारिक रिश्ते होते हैं?

भैय्या,चीन में इस प्रकार के पारिवारिक रिश्ते बहुत कम देखने को मिलते हैं।आम तौर पर संयुक्त परिवारों में बुजुर्ग लोगों को जीजा-साली देवर-भाभी के बीच ज्यादा हास परिहास बुरा लगता है।सांमती विचारों से पूरी तरह प्रभावित होकर वे समझते हैं कि यह हास-परिहास अशिष्ट है।वैसे भी आज चीन में अधिकांश लोग मां-बाव या रिश्तेदारों से अलग रहकर अपने घर बसाते हैं।

बोका बिहार के कुमौद नारायण सिंह ने पूछा है कि 2008 में होने वाले पेइचिंग ऑलंपियाड के लिए किस भारतीय संगीतकार को चुना गया है?

भैय्या,2003 में चीनी मीडिया ने यह खबर दी थी कि चीनी ऑलंपिक समिति के संबंधित कार्यदल ने कई विश्वप्रसिद्ध संगीतकारों से 2008 में चीन की राजधानी पेइचिंग में होने वाले ऑलंपिक खेल-समारोह का विषयसंगीत रचने को आमंत्रित किया है,जिन में भारत के मशहूर संगीतकार श्री ए.आर.रहमान भी शामिल हैं.भारतीय मीडिया ने भी श्री रहमान के आमंत्रण स्वीकार करने और संगीत रचने की पूरी कोशिश शुरू करने के बार में रिपोर्टें दी हैं.जैसा कि आप जानते हैं कि श्री रहमान भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के अन्य देशों में भी नामी हैं.उन का संगीत एकदम स्वत: स्फूर्त है.उस में एक खास तरह की ताजगी और अंतर्राष्ट्रीयता है.हां,संगीत आत्म की भाषा है,वह सांस्कृतिक,सामाजिक व धार्मिक सीमाओं से परे होना चाहिए.श्री रहमान इस सर्वमान्यता पर खरे उतरे हैं.

क्या आप जानते हैं कि चीनी प्रसिद्ध फिल्म निदेशक ह-फिंग द्वारा वर्ष 2003 में बनाए गई " हीरो"नामक फिल्म का विषयसंगीत श्री रहमान ने रचा है.इस फिल्म की मुख्य अभिनेत्री चीनी और मुख्य अभिनेता जापानी व दक्षिण कोरियाई हैं.फिल्म के सुन्दर दृश्यों और हृदयस्पर्शी संगीत ने दर्शकों पर गहरी छाप छोडी हैं.संगीत फिल्म का एक मजबूत पक्ष है.सो इस फिल्म की सफलता के कम से कम 50 प्रतिशत का श्रेय श्री रहमान को जाना चाहिए.आशा है कि वर्ष 2008 में पेइचिगं में होने वाले ऑलंपिक खेल समारोह में वे अपनी नयी संगीत रचना से विश्व भर के दर्शकों के आकर्षण का केंद बनेगें।

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