चीन की 55 अल्पसंख्यक जातियों में से एक, किरगिज जाति के लोग मुख्यतः उत्तर पश्चिमी चीन के सिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश के गजलेसू किरगिज स्वायत्त प्रिफेक्चर में रहते हैं । किरगिज का अर्थ पहाड़ी चरवाह है । घूमंतू जीवन के चलते नए चीन की स्थापना तक 80 से 90 प्रतिशत तक के किरगिज लोग अपढ़ थे । नए चीन की स्थापना के बाद पिछली आधी शताब्दी के निरंतर प्रयासों से आज किरगिज जाति आधुनिक काल में प्रवेश कर गयी , जिस का एक अहम कारण उन के शिक्षा स्तर की बहुत उन्नति होना है ।
अब्दुल.कादीर दंपति सिन्चांग के गजलेसू किरगिज स्वायत्त प्रिफेक्चर के अथुश शहर में रहते हैं । यह एक आम किरगिज परिवार है , लेकिन इस परिवार की कहानी से आप को यह महसूस हो सकेगा कि किरगिज लोग किस कदर तक शिक्षा पर महत्व देते हैं ।
अब्दुल .कादीर दंपति के चार पुत्र पुत्री हैं , पहली बेटी अलीमा सिन्चांग विश्वविद्यालय के अंग्रेजी भाषा विभाग की स्नातकोत्तर छात्रा है , दूसरी बेटी शाविया ऊहान के मध्य चीन नार्मल विश्वविद्यालय के चार वर्ष की छात्रा, तीसरी बेटी गुलिमिर्य सिन्चांग विश्वविद्यालय के सूचना इंजिनियरिंग विभाग की छात्रा और छोटा बेटा रीसपेक भी सिन्चांग के शहची विश्वविद्यालय के मेडिकल कालेज का छात्र है । एक साधारण किरगिज परिवार की सभी चार संतान विश्वविद्यालय छात्र बने , जो असाधारण बात नहीं मानी जाती है । अपने बेटे बेटियों के अच्छे शिक्षा स्तर की चर्चा करते हुए परिवार के स्वामी श्री अब्दुल कादीर ने कहाः
किरगिज जाति एक घूमंतू चरवाही जाति है , अतीत में खराब प्राकृतिक स्थिति औ र गरीबी के कारण बहुत कम किरगिज लोग स्कूल जा पाते थे । मेरा दादा जी अपढ़ थे , उन्हें निरक्षरता का कटु अनुभव हुआ था। इसलिए उन्हों ने विभिन्न कठिनाइयों को दूर कर मेरे बाप को स्कूल भेजा । उस जमाने में किरगिज स्वायत्त प्रदेश में मोटर सड़क नहीं थी , बाप रोज अस्सी नब्बे किलोमीटर पैदल चल कर स्कूल के लिए काश्गर जाते थे । उन के अनुभवों से मुझे शिक्षा का महत्व गहन रूप से मालूम हुआ।
अब्दुल के पिता ने भी हर कठिनाई को दूर कर उसे नार्मल स्कूल तक शिक्षा दिलाया । अतः अब्दुल एक शिक्षक बन गया । परिवार की इस परम्परा से अब्दुल कादीर भी गहन रूप से प्रभावित हुआ ।
परिवार की मालिकन भी शिक्षा पर महत्व देने वाले घर में पली बढ़ी , उन के जमाने में लड़की को स्कूल बहुत कम भेजा जाता था , लेकिन उन के परिवार ने उसे एक स्कूली अध्यापिका के रूप में प्रशिक्षित कराया।
दंपति के शिक्षा संबंधी अनुभवों के कारण उन का परिवार जरूर शिक्षा पर खास महत्व देता है और दोनों ने अपने बेटे बेटियों को शिक्षा दिलाने की अच्छी योजना बनायी ।
अब्दुल कादीर ने कहा कि किसी भी जाति या राष्ट्र के लिए शिक्षा अत्यन्त अहम है , शिक्षा कार्य का विकास नहीं हुआ , तो वह गरीबी से पिंड नहीं छुड़ा सकता । इसी विचारधारा से अब्दुल कादीर ने अपनी संतान को उच्च शिक्षा पाने देने के लिए अथक प्रयास किए ।
घर के चार विश्वविद्यालय छात्र निकले , यह एक बड़ा गौरव बात है , लेकिन चार छात्रों का खर्च भी कम नहीं है , जो केवल शिक्षक के वेतन से आय पाने वाले इस परिवार के लिए बहुत भारी लगता है । इस कठिनाई को दूर करने के लिए श्री अब्दुल ने पारिवारिक शिक्षा कोष कायम किया । उन्हों ने कहाः
वर्ष 1982 में मेरी बड़ी बेटी का जन्म हुआ , उस समय मेरा मासिक वेतन 58 य्वान था । मैं ने पत्नी की सहमति पर हर माह तीस य्वान को पारिवारिक शिक्षा कोष के लिए बैंक में जमा किया , जीवन कितना भी मुश्किल क्यों न पड़ा , हम अवश्य ही समय पर यह राशि जमा करते रहे । अब मेरा मासिक वेतन 2400 य्वान पहुंचा , हम हर माह में शिक्षा कोष के लिए 150 य्यान जमा करते हैं ।
घर की मालिकन ने भी पति का समर्थन करते हुए कहाः
मेरे चार बच्चे पढ़ते हैं , इस के दौरान बहुत सी कठिनाइयां पैदा हुईं , हालत कभी इस कदर तक पहुंची कि बैंक से कर्ज लेना पड़ा । फिर भी हम ने बच्चों को ऊंचे से ऊंचे स्तर तक पढ़वाने का निश्चय लिया । किरगिज जाति की यह परम्परा रही है कि लड़की घर का कामकाज और कसीदारी का काम ज्यादा करती है। लेकिन मैं अपनी बेटियों को घर का ऐसा काम बहुत कम करने देती हूं , ताकि वे स्कूल से घर आने के बाद भी लगन से होम वर्क कर सकें ।
इस पारिवारिक परम्परा को दंपति की बेटी ने भी विरासत में ग्रहण कर लिया । उन की बड़ी बेटी अलीमा का पुत्र पिछले साल में पैदा हुआ , अलीमा दंपति ने भी इस नवजात बच्चे के लिए शिक्षा कोष के रूप में पैसा जमा करना शुरू किया , वे हर महीने बैंक में इस के खाते में तीन सौ य्वान जमा करने लगे ।
अब्दुल कादीर दंपति के परिश्रम का रंग आया , उन के सभी चार बेटे बेटियों ने विश्वविद्यालय का दाखिला पाया और उन की पढाई के विषय भी बहुत उपयोगी माने गए । इस पर अब्दुल ने बड़ी खुशी से कहा कि उन के बेटे बेटियों ने किरगिज जाति और देश की आवश्यक्ता को ध्यान में रख कर पढ़ाई के विषय चुने हैं । उन्हों ने उन पर बड़ी आशा भी बांधी हैः
बड़ी बेटी अंग्रेजी पढ़ती है , जिस से विश्व को ज्यादा जानने समझने में मदद मिलेगी , दूसरी बेटी शिक्षक बनेगी , क्योंकि हम दंपति भी शिक्षक हैं और घर से एक नया शिक्षक निकलना भी चाहते हैं । तीसरी बेटी सूचना इंजिनियरिंग के छात्र है , जो आधुनिक विज्ञान तकनीक क्षेत्र में बहुत मांगे जाते है । बेटा मेडिकल छात्र है , जो जीवन बचाने का काम करेगा , यह भी समाज में बहुत मांगने वाला काम है ।
अब्दुल ने अपने बच्चों से अधिक मांगें भी पेश कीं । उन्हों ने कहा कि बड़ी बेटी अब स्नातकोत्तर शोध छात्रा हो गयी , मेरी आशा है कि अन्य बेटी बेटा भी इस स्तर तर पहुंच सकेंगी और डाक्टर डिग्री के लिए भी कोशिश करेंगे , हम हर समय उन का समर्थन करते रहेंगे । मेरी यह आशा भी है कि स्नातक होने के बाद वे किरगिज स्वायत्त प्रिफेक्चर लौटेंगे और अपनी जन्म भूमि के लोगों की सेवा करेंगे । हमारे प्रिफेक्चर में पांच लाख 80 हजार लोगों में से एक लाख 40 हजार किरगिज हैं । उन के लिए शिक्षा का विकास बहुत जरूरी है । एक प्रतिभाशाली लोग बढ़ने से सफलता की एक ज्यादा उम्मीद बढेगी । मेरे परिवार के चार प्रतिभाएं हैं , वे जरूर किरगिज जाति , किरगिज प्रिफेक्चर और वहां के अन्य सभी लोगों के विकास के लिए योगदान कर सकेंगे । उन्हों ने यह आशा भी बांधी कि उन की संतान विदेश में भी पढ़ने जाएंगे और विश्व की समुन्न्त तकनीक सीखेंगे और किरगिज प्रिफेक्चर , सिन्चांग और पूरे देश के विकास के लिए अपनी शक्ति अर्पित करेंगे ।
मां बाप की उम्मीद समझते हुए बड़ी बेटी अलीमा ने कहाः
स्नातकोत्तर शिक्षा के बाद मेरे लिए बड़े शहर में नौकरी पाना कठिन नहीं है । लेकिन मैं बड़े शहर में नहीं रहना चाहती , मेरी जन्म भूमि के लोगों का अंग्रेजी स्तर ऊंचा नहीं है , मैं लौट कर उन्हें विदेशी भाषा सीखने में मदद दूंगी और उन्हें विश्व की अधिक जानकारी दिलाऊंगी और अपनी जाति को विश्व की जनता से अवगत कराऊंगा । यह मेरी सब से बड़ी उम्मीद है ।
अब्दुल कादीर परिवार की यह कहानी किरगिज जाति का एक उदाहरण है । उन की परिवार की भांति किरगिज जाति के अन्य लोग भी एक घूमंतू चरवाही जाति से विकसित हो कर चीनी राष्ट्र के महा परिवार का एक आधुनिक सदस्य बन गयी । पिछले 50 सालों के शिक्षा विकास ने किरगिज जाति का काया पलट दिया है , अब चीन के पश्चिमी भाग के कृषि व चरवाही क्षेत्रों में बोर्डिंग स्कूलों की निर्माण परियोजना शुरू हो गयी है , जिस से किरगिज जाति के लोगों को शिक्षा के और अच्छे मौके मिलेंगे ।
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