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(GMT+08:00) 2007-03-22 15:33:53    
भारत में चीन के राजदूत रह चुके छन रे शन के साथ साक्षात्कार

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शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के पांच सिद्धांत यानी पंचशील चीन, भारत व म्येनमार द्वारा वर्ष 1954 के जून माह में प्रवर्तित किये गये। श्री छन रे शन ने बताया, वर्ष 1954 में तत्कालीन चीनी प्रधानमंत्री जो अन लेन ने भारत व म्येनमार की यात्रा की । इन यात्राओं के दौरान, श्री जो अन लेन ने भारत व म्येनमार के नेताओं के साथ मिलकर पंचशील का प्रवर्तन किया। इस के बाद पंचशील वांडुंग में आयोजित एशिया-अफ्रीका सम्मेलन द्वारा जारी दस सिद्धांतों में भी शामिल किया गया। बेलग्रेड में आयोजित निर्गुट देशों के सम्मेलन में भी पंचशील को निर्गुट आंदोलन के निर्देशक सिद्धांतों में दर्ज किया गया। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के पांच सिद्धांतों को अंतरराष्ट्रीय संबंधों का निर्देशक सिद्धांत माना। पंचशील ने अंतरराष्ट्रीय संबंधों की सैद्धांतिक व यथार्थ कार्यवाइयों में रचनात्मक योगदान किया है। भारत स्थित भूतपूर्व चीनी राजदूत श्री छन रे शन ने कहा कि पंचशील काफी समय से देशों के संबंधों के निपटारे का निर्देशक मापदंड रहा, आज भी एक शांतिपूर्ण विश्व व्यवस्था का आधार है और भविष्य में इस का महत्वपूर्ण अर्थ रहेगा। श्री छन रे शन भारत में चीनी राजदूत रहे। भारत के अपने अनुभव बताते हुए उन्हों ने कहा ,चीन की तरह भारत विश्व की चार पुरानी सभ्यताओं में से एक है। भारत के पास प्राचीन सभ्यता व उज्ज्वल संस्कृति है। भारत के कोने-कोने में प्राचीन समय के महान भवन व मंदिर देखने को मिलते हैं। भारत का ताजमहल विश्व के सात आश्चर्यों में से एक माना जाता है। फिर भारत एक बहुजातीय देश है। भारत ने स्वतंत्रता पाने के बाद आर्थिक व सांस्कृतिक क्षेत्र में भारी उपलब्धियां प्राप्त कीं। स्वतंत्रता पाने के बाद भारत सरकार ने देश में श्वेत व हरित आंदोलन चलाया। इन दो आंदोलनों से भारत में आत्मनिर्भरता हासिल कर सका। आज का भारत एशिया के तेज गति से विकसित होने वाले देशों में शामिल है। श्री छन रे शन के अनुसार, भारत के अनेक अनुभव चीन के लिए सीखने योग्य हैं। सूचना तकनीक व सॉफ्ट वेयर में भारत विश्व की अग्रिम पंक्त्ति में है। इधर चीन व भारत के बीच आवाजाही बढ़ने के साथ अनेक भारतीय आई टी इंजीनियर भी चीन की सिलिकन घाटी माने जाने वाले राजधानी पेइचिंग के जुंग क्वेन छ्वन में पढ़ाई करने आने लगे हैं। आम भारतीय लोगों के अंग्रेजी के स्तर की भारत में रह चुके श्री छन रे शन पर गहरी छाप अब तक कायम है। श्री छन रे शन ने कहा कि अंग्रेजी भारतीय समाज में खासी प्रचलित है। भारतीय बच्चे प्राइमरी स्कूल से ही अंग्रेज़ी पढ़ना शुरू कर देते हैं । भारत के विश्विद्यालयों में अध्यापन भी अंग्रेजी में होता है। फलस्वरूप, भारतीय लोगों का अंग्रेजी का स्तर चीनी लोगों से ऊंचा है। इस नजर से चीन की तुलना में भारत के विश्विद्यालय अच्छे हैं। इतना ही नहीं, भारत के हर दस हजार छात्रों में विश्विद्यालय छात्रों की संख्या भी चीन से अधिक हैं। श्री छन रे शन ने हमें एक दिलचस्पी बात बतायी। उन्होंने कहा, स्वर्गीय भारतीय प्रधान मंत्री श्री नेहरु की चार वर्षीय बेटी इंदिरा गांधी अपने पिता को अंग्रेजी में पत्र लिखती थी। नन्ही इंदिरा का एक पत्र अब भी नेहरु संग्रहालय में रखा हुआ है। भारतीय लोगों के अंग्रेजी के ऊंचे स्तर ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय समुदाय में शामिल होने में मदद दी। शायद इसी वजह से दुनिया की अनेक बड़ी कंपनियां चीन नहीं आयीं, और उन्होंन् भारत में अपनी शाखाएं खोलीं। श्री छन रे शन का विचार है कि चीनी लोगों के लिए अंग्रेजी सीखना इसलिए भी बहुत जरुरी है कि वर्ष 2008 में चीन औलिम्पियाड का आयोजन करने जा रहा है। आज चीन व भारत में यह कथन प्रचलित हो उठा है कि भारत एक महान हाथी है, जबकि चीन एक महान ड्रैगन। श्री छन रे शन ने बताया,वर्ष 1994 में जब मैं भारत में राजदूत के पद पर था, तत्कालीन चीनी वाणिज्य मंत्री सुश्री वू ई ने भारत की यात्रा की। इस दौरान, भारतीय उद्योग संघ ने सुश्री वू ई के स्वागत में एक शानदार रात्रिभोज आयोजित किया। इस मौके पर सुश्री वू ई ने कहा कि भारत व चीन हाथी और ड्रैगन हैं। दोनों ऐसे महान देश हैं, जो पराजित नहीं किये जा सकते। सुश्री वू ई के इस बयान को भारतीय उद्योगपतियों की बड़ी वाहवाही मिली। इस समय चीन व भारत अपने-अपने शांतिपूर्ण विकास में लगे हैं। 21वीं शताब्दी के चीन व भारत प्रतिद्वंदी हैं और मित्र भी। अनेक क्षेत्रों में दोनों देश एक-दूसरे से सीख सकते हैं। उदाहरण के लिए, चीन ऑलिम्पियाड में विश्व की एक बड़ी शक्ति है। खेल कूद के क्षेत्र में चीन के उसके पास अनेक अनुभव हैं, जबकि सॉफ्ट वेयर के क्षेत्र में भारत के अनुभल कहीं परिपक्व हैं। इस तरह चीन व भारत एक दूसरे से सीख ही सकते हैं। हालांकि इधर चीन व भारत के संबंधों में भारी सुधार हुआ है, तो भी दोनों के संबंधों में कुछ अनसुलझी समस्याएं मौजूद हैं। चीन व भारत के बीच सब से बड़ी समस्या सीमा विवाद है। इस के समाधान के लिए चीन व भारत के बीच दोबार सीमा वार्ता हो चुकी है। भारत की नयी सरकार ने भी सीमा वार्ता को आगे जारी रखने का दृढ़ संकल्प प्रकट किया है। यों दोनों देश सीमा समस्या को एक तरफ रखकर आर्थिक व व्यापारिक आदान-प्रदान करते रहे हैं। पिछले वर्ष , चीन व भारत के बीच हुए व्यापार की कुल रकम 7 अरब, 50 करोड़ अमरीकी डॉलर से ज्यादा थी। इस वर्ष इसके और बढ़ने की संभावना है। श्री छन रे शन ने बताया कि पहले भारतीय लोगों को इस बात का संदेह था कि चीन व भारत के बीच 1960 के दशक जैसी सीमा मुठभेड़ हो सकती है। लेकिन, चीन के विकास ने भारतीय लोगों को दिखा दिया कि वह किसी भी देश के लिए खतरा नहीं है। भारत के अधिकाधिक सरकारी व गैरसरकारी लोग यह समझने लगे हैं कि चीन शांतिपूर्ण निर्माण में लगा है। गत वर्ष पूर्व भारतीय रक्षामंत्री फर्नांडीज ने चीन की यात्रा की। यात्रा के बाद उन्होंने कहा कि चीनी लोग बहुत मैत्रीपूर्ण हैं। दोनों देशों के नेताओं के बीच आदान-प्रदान उनमें मौजूद संदेहों को मिटाने का सब से अच्छा तरीका सिद्ध हो सकता है। चीन व भारत के बीच सरकारी , गैरसरकारी व सैनिक आदान-प्रदान जारी है। चीन-भारत संबंधों के भविष्य को लेकर श्री छन रे शन बड़े विश्वस्त हैं। उन्होंने कहा,समय गुजरने के साथ दोनों देशों के बीच मौजूद विभिन्न अनसुलझी समस्याओं व संदेहों को भी मिटा लिया जाएगा।