चीन के युननान प्रान्त में बहुत-सी अल्पसंख्यक जातियां निवास करती हैं। थाङ राजवंशकाल में अड़हाए झील के आसपास के इलाकों में रहने वाली जातियों को सामूहिक रूप से "छै चाओ" का नाम दिया गया था, जिस में छै अलग-थलग जाति-समुह शामिल थे।
वास्तव में ये जाति-समुह आज की ई और पाए जातियों के पूर्वज थे। इन छै समूहों में नानचाओ समूह सबसे शक्तिशाली था, इसने थाङ सरकार के प्रति अपनी निष्ठा का वचन दिया। बाद में जब नानचाओ जाति के मुखिया फील्वोके ने अन्य पांच समूहों को अपने काबू में कर लिया, तो थाङ सम्राट श्वेनचुङ ने उसे"युननान के राजा" की उपाधि से सम्मानित किया।
नानचाओ शासन की स्थापना से युननान प्रदेश के विकास में बहुत मदद मिली और वहां रहने वाली विभिन्न जातियों के परस्पर सम्पर्क में वृद्धि हुई।
थूफ़ान जाति के लोग वर्तमान तिब्बती जाति के पूर्वज थे। सातवीं शताब्दी के शुरू में सुङत्सान कानपो नामक शक्तिशाली मुखिया ने छिङहाए-तिब्बती पठार पर बसने वाले तमाम कबीलों को एक किया था। उसने थाङ राजवंश की एक राजकुमारी से विवाह की इच्छा प्रकट की और थाङ सम्राट थाएचुङ ने उसका यह अनुरोध स्वीकार करते हुए राजकुमारी वनछङ का विवाह उससे कर दिया।
जब राजकुमारी वनछङ अपने विवाह के बाद तिब्बत गई, तो अनेक प्रकार की सब्जियों के बीज, दस्तकारी की वस्तुएं तथा चिकित्साविज्ञान व तकनालाजी से संबंधित पुस्तकें भी वहां ले गई।
तथा से शराब तेयार करने, कागज बनाने, धातु गलाने और कताई-बुनाई करने वाले हान कारीगरों के तिब्बत जाने का सिलसिला शुरु हुआ, और तिब्बत से स्वर्णपात्र, सुलेमानी पत्थर की वस्तुएं, कस्तूरी, घोड़े तथा अन्य वस्तुएं थाङ सम्राट चुड़चुड़ के शासनकाल में चिनछङ नामक एक अन्य थाङ राजकुमारी का विवाह थूफ़ान जाति के मुखिया चीतेचुगतान से कर दिया गया। राजकुमारी वनछङ के तिब्बत पहुंचने के समय से हान और तिब्बती जातियों के बीच आर्थिक व सांस्कृतिक संबंध घनिष्ठ से घनिष्ठतर होते गए।
थाङ राजवंश ने विशाल साम्राज्य पर अपना नियंत्रण सुदृढ़ करने के लिए शुरु से ही सीमावर्ती क्षेत्रों व रणनीतिक महत्व के भीतरी इलाकों में फौजी गवर्नर-जनरल नियुक्त करने की व्यवस्था अपनाई थी। धीरे-धीरे इन गवर्नर-जनरलों के अधिकार बढ़कर इतने ज्यादा हो गए कि वे अपने क्षेत्र में न केवल फौजी मामलों बल्कि वित्तीय व प्रशासनिक मामलों के भी इंचार्ज बन गए।
755 में फिङलू (वर्तमान ल्याओनिङ प्रान्त का दक्षिणपश्चिमी भाग और वर्तमान हपेइ प्रान्त का उत्तरपूर्वी भाग), फ़ानयाङ (वर्तमान पेइचिंग के आसपास का क्षेत्र) और हतुङ (वर्तमान शानशी प्रान्त के थाएय्वान के आसपास का क्षेत्र) के गवर्नर-जनरल आन लूशान ने अपने सर्वोच्च सहायक अधिकारी शि सिमिङ के साथ मिलकर थाङ शासन के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। यह इतिहास में आन-शि विद्रोह के नाम से प्रसिद्ध है।
दोनों विद्रोही नेता एक लाख पचास हजार सेनिकों के साथ चीछङ नामक स्थान से रवाना हुए और हपेइ व शानशी से होकर हनान पर हमला करने के लिए आगे बढ़े। आन लूशान ने ल्वोयाङ में खुद को सम्राट घोषित कर दिया और तत्पश्चात छाङआन पर हमला करके कब्जा कर लिया।
|