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(GMT+08:00) 2007-03-15 14:37:49    
चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन के सांस्कृतिक सदस्यों की कोशिश

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चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन की राष्ट्रीय कमेटी का वार्षिक पूर्णाधिवेशन 15 तारीख को पेइचिंग में संपन्न हो गया।इस अधिवेशन में सांस्कृतिक जगत के 150 से अधिक कलाकारों,लेखकों और विद्वानों ने भाग लिया और देश के विभिन्न कार्यों में सुधार के लिए केंद्र सरकार को अपनी-अपनी दृष्टि से सुझाव दिए। इस से जाहिर है कि उन में राजनीतिक मामलों पर विचार करने और संबंधिक कार्यों में भाग लेने का बहुत उत्साह है।

सुश्री ली कू-ई चीन में एक काफी लोकप्रिय गायिका हैं। हर साल चीन में सब से बड़े परंपरागत त्योहार-वसंतोत्सव की पूर्वसंध्या पर चीनी केंद्रीय टीवी स्टेशन या सीसीटीवी द्वारा आयोजित होने वाले भव्य मिलन-समारोह में वह जरूर एक विशेष कलाकार के रूप में गाना गाने के लिए आंमत्रित की जाती हैं। उल्लेखनीय है कि सुश्री ली कू-ई सन् 1983 से ही चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन की राष्ट्रीय कमेटी की सदस्या हैं।

जैसा कि आप जानते हैं चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व वाली बहुदलीय सहयोग और राजनीतिक सलाह-मशविरे की व्यवस्था चीन की एक बुनियादी राजनीतिक व्यवस्था है।

जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन के सदस्य देश के विभिन्न क्षेत्रों से चुने गए श्रेष्ठ सफल

व्यक्ति हैं। वे व्यावहारिक परीक्षण और जांच-पड़ताल के जरिए प्रस्ताव या सुझाव पेश कर सरकार को जनमत से अवगत कराते हैं। सुश्री ली कू-ई चीनी जन राजनीति सलाहकार सम्मेलन की सदस्या बन कर गौरव महसूस करती हैं।उन्हों ने कहाः

"मुझे कोई 30 साल की उम्र में ही एक राष्ट्रीय जन राजनीतिक सलाहकार चुन लिया गया था। यह मेरे लिए एक बहुत गौरव की बात है।पिछले 20 साल से अधिक की अवधि में मैंने देश के अनेक क्षेत्रों के कामों में सुधार के लिए प्रस्ताव व सुझाव पेश किए हैं। "

ली कू-ई ने कहा कि राष्ट्रीय जन राजनीतिक सलाहकार बनने के बाद के पहले दो सालों में उन्हों ने एक भी प्रस्ताव या सुझाव प्रस्तुत नहीं किया था।ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हों ने सोचा था कि वह जवान हैं और अधिक अनुभवी नहीं है। ऐसे में ज्यादा देखना और ज्यादा सुनना ही उन के लिए महत्वूपूर्ण है। बाद में उन्हों ने जो देखा,सुना और सोचा,उसे प्रस्ताव या सुझाव में बदलने की कोशिश की। बीते 25 वर्षों में उन्हों ने कम से कम 40 प्रस्ताव या सुझाव पेश किए हैं, जो यातायात,चिकित्सा और स्वास्थ्य आदि क्षेत्रों से जुड़े हैं।चीन की राजधानी पेइचिंग के केंद्र—थ्यनआनमन चौक के पश्चिमी भाग में जो निर्माणाधीन ध्यानाकर्षक बृहद राजकीय थिएटर है,वह ली कू-ई के सुझाव के अनुसार बनाया जा रहा है। अभी समाप्त हुए राष्ट्रीय जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन के पूर्णाधिवेशन में भी उन्हों ने पर्यावरण के संरक्षण और संसाधनों की किफायत संबंधी 6 नए सुझाव पेश किए हैं।इन दोनों क्षेत्रों में चीनी प्रधान मंत्री वन चा-पाओ ने भी अपनी सरकारी कार्य रिपोर्ट में ज्यादा जोर डालने की बात कही है।ली कू-ई ने कहा कि अर्थतंत्र के तेज विकास के चलते लोग ठाठ-बाट के जीवन का पीछा करने से बाज नहीं आते हैं। उपभोक्ता वस्तुओं की बाहरी सजावट की भी ज्यादा चमक-दमक होने लगी है। इस तरह संसाधनों के फिजूलखर्च औऱ पर्यावरण के प्रदूषण जैसी नुकसानदेह स्थिति उभरकर सामने आई है। इस स्थिति को दूर करने के लिए उन्हों ने सुझाव पेश किए औऱ अपने विचारों की सत्यता की पुष्टि के लिए विदेशों की यात्रा के दौरान देखे अनेक उत्तम उदाहरण पेश किए। ली कू-ई के अनुसार राष्ट्रीय जन राजनीतिक सलाहकार बनने के बाद वह समाज के विभिन्न जगतों के करीब हो गई हैं।लोग उन्हें समाज में मौजूद तरह-तरह के सवालों पर अपने विचार बताना पसन्द करते हैं।उन का कहना हैः

"मेरा ख्याल है कि जन राजनीतिक सलाहकारों को संविधान में निर्धारित नियमों का पालन करते हुए अपना दायित्व निभाना चाहिए और अपने पद का फायदा उठाकर सरकार की मदद करनी चाहिए। हम बुनियादी निकाय से आते हैं और सरकार से ज्यादा जन-साधारण के विचारों से वाकिफ़ रहते हैं।जन-साधारण की नजर पैनी है।वे आम तौर पर मामलों की मूल सूरत देख सकते हैं। उन के विचार एक हद तक सरकार के लिए सहायक हो सकते हैं।"

ली कू-ई की ही तरह ऊ-चांग भी एक राष्ट्रीय जन राजनीतिक सलाहकार हैं।वह चीनी पेइचिंग ऑपेरा थिएटर के महानिदेशक हैं।उंचे पद पर बैठने के कारण सरकार ने उन्हें एक विशेष कार की सुविधा मुहैय्या करवाई है। लेकिन वह इस का बहुत कम प्रयोग करते हैं।वह सार्वजनिक बस से दफ्तर जाना-आना पसंद करते हैं। उन्हों ने कहा कि इस तरह वह समाज की असलियत और साधारण लोगों के मत अच्छी तरह जान सकते हैं। उन के अनुसार राष्ट्रीय जन राजनीतिक सलाहकारों को अपने कर्तव्यों को महत्व देना चाहिए। मेरे विचार में आज के जो मौजूं सामाजिक सवाल हैं,उन पर हमें नहीं,सरकार को ही विचार करना चाहिए और मुझे विश्वास है कि सरकार पहले से ही ऐसा करती रही है। हमें अपनी निगाह को कुछ रणनीतिक सवालों और उभरने वाले सवालों पर टिकाना चाहिए,पूर्व विचार करना चाहिए और सरकार को भविष्यवाणी स्वरूप सुझाव देने चाहिए।सरकार के पास केवल वर्तमान सवालों पर विचार करने का वक्त है। भावी सवालों का अंदाजा करना हमारा काम है।राष्ट्रीय जन राजनीतिक सलाहकारों में विशेषज्ञों की बहुतायत है।वे विभिन्न क्षेत्रों में अपनी-अपनी विशेषज्ञता के दम पर सरकार को पूर्वानुमानित स्थिति से अवगत करा सकते हैं।

श्री ऊ-च्यांग की अगवाई वाला चीनी पेइचिंग ऑपेरा थिएटर चीन में पेइचिंग ऑपेरा के सर्वोच्च स्तर का प्रतिनिधित्व करता है।अभी संपन्न हुए राष्ट्रीय जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन के वार्षिक पूर्णाधिवेशन में उन्हों ने पेइचिंग ऑपेरा के अभिनय संबंधी सिद्धांतों के गहरे अनुसंधान के बारे में एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया। उन का मानना है कि पेइचिंग ऑपेरा की अभिनय कला में कुछ परंपराएं तेज आर्थिक विकास के कारण लुप्त हो रहीं हैं।उन्हें बचाने के लिए उन के सिद्धांतों का गहराई से अनुसंधान किया जाना चाहिए ।जबकि इस कठिन अनुसंधान-कार्य की सफलता भारी धनराशि पर निर्भर करती है। इस के लिए सरकार से वित्तीय मदद लेनी आवश्यक है।

चीन के प्रसिद्ध लेखक चांग श्यान-ल्यांग भी राष्ट्रीय जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन के एक सदस्य हैं।उन्हों ने कहा कि उन्हें सन् 1983 में यह सदस्यता प्राप्त हुई। तब से वह देश के राजनीतिक कार्य में सक्रिय रहे हैं और ईमानदारी से अपने लोकतांत्रिक निगरानी-कर्तव्य निभाते हुए समाज के विभिन्न क्षेत्रों में व्यावहारिक जांच-कार्य करते रहे हैं।उन्हों ने हमारे संवाददाता से कहाः

"इस बार मैं ने एक भ्रष्टाचार विरोधी प्रस्ताव प्रस्तुत किया। मेरा ख्याल है कि देश के सरकारी सेवक-कानून में यह धारा जोड़ी जानी चाहिए कि निश्चित दर्जे के सरकारी सेवक नियमित समय पर घरेलू संपत्ति और सालाना आय की रिपोर्ट दें। यह भ्रष्टाचार के खिलाफ़ स्वच्छ प्रशासन के निर्माण में एक अहम कदम हो सकता है। " 

ह्लांग-हुंग चीन का एक मशहूर कॉमेडी-अभिनेता है। राष्ट्रीय जन राजनीतिक सलाहकार के रूप में उन्हों ने इस बार किसान-श्रमिकों से जुडा एक प्रस्ताव पेश किया,जिस में किसान-

श्रमिकों के वेतन में बढोत्तरी,उन की कल्याणकारी प्रतिभूति और उन पर आधारित संस्कृति के निर्माण जैसे विषयों की विस्तृत चर्चा की गई है।उन्हों ने कहा कि उन द्वारा रचित और प्रस्तुत लगभग सभी सांस्कृतिक कार्यक्रम किसान-श्रमिकों से संबंधित हैं।इन कृतियों के सृजन के लिए वह उन लोगों के काफी करीब पहुंचे। इसलिए उन्हें इन लोगों के जीवन की कठिनाइयों का गहरा एहसास हो सकता है।उन का कहना हैः

" पहले मैं ने सिर्फ किसान-श्रमिकों के जीवन को अपनी कृतियों में अभिव्यक्त करने की पूरी कोशिश की। लेकिन राष्ट्रीय जन राजनीतिक सलाहकार बनने के बाद मुझे अपनी जिम्मेदारी ज्यादा महसूस होने लगी। मैं किसान-श्रमिकों के घर गया और उन से बातचीत की। मैं उन के बीच एक माह तक रहा भी,ताकि उन की असली जिन्दगी जान सकूं। "