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चीन की अल्पसंख्यक जाति

विज्ञान, शिक्षा व स्वास्थ्य

सांस्कृतिक जीवन
(GMT+08:00) 2007-03-13 13:50:35    
चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन के तिब्बती सदस्य अल्प संख्यक जातियों की मूल कला विधियों के संरक्षण में सक्रिय

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चीन में प्रमुख हान जाति के अलावा अन्य 55 अल्पसंख्यक जातियां हैं, जो देश की कुल जन संख्या का आठ प्रतिशत भाग बनती हैं । चीनी अल्पसंख्यक जातियां नाचगान से अपने जीवन का गुणगान करने के निपुण हैं और हज़ारों वर्षों के कालांतर में उन की अपनी विशेषता वाली कला विधि संपन्न हो चुकी है, जिसे मूल परम्परागत कला मानी जाती है । बड़ी संख्या में विदेशी श्रोताओं में चीनी अल्पसंख्यक जातियों की मूल परम्परागत कला के बारे में गहरी रूचि है और उन का ध्यान भी इस किस्म की कला संस्कृति के संरक्षण व विकास पर केंद्रित है ।

विश्व के अन्य देशों की अल्पसंख्यक जातीय कला की तरह चीनी अल्पसंख्यक जातीय कला भी आधुनिक सभ्यता व आधुनिक कला विधि के धक्के के शिकार हो गयी, जिस से वह कमज़ोर होती चली गयी और यहां तक कि उसे गायब होने के खतरे का भी सामना करना पड़ा । इस तरह चीन सरकार सक्रिय रूप से कदम उठाकर मूल्यवान अल्पसंख्यक जातीय मूलभूत सांस्कृतिक धरोहरों को बचाने की कोशश करती है । पेइचिंग में आयोजित होने वाले चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन की दसवीं राष्ट्रीय कमेटी के पांचवें पूर्णाधिवेशन में अनेक अल्पसंख्यक जातीय सदस्यों ने अपनी जाति की मूलभूत कला विधियों के संरक्षण के लिए अलग-अलग तौर पर रायें व सुझाव पेश किये ।

गीत--- मेली बर्फीले पहाड़ की बेटी

अब आप सुन रहे हैं तिब्बती गायिका जोंगयोंग चोमा द्वारा गाया गया तिब्बत की मूल शैली में रचित《मेली बर्फीले पहाड़ की बेटी 》नामक गीत । दक्षिण चीन के युन्नान प्रांत के दी छिंग तिब्बती जातीय स्वायत्त प्रिफैक्चर से आई जोगयोंग चोमा मशहूर परम्परागत तिब्बती जातीय शैली के गीत गाने वाली गायिका हैं, चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन की राष्ट्रीय कमेटी के सदस्या के रूप में उन्होंने वार्षिक सममेलन के दौरान कहा कि उन्हें बड़ी खुशी हुई कि अल्पसंख्यक जातियों की मूलभूत कलाओं को सरकार द्वारा बड़ा महत्व दिया गया है और समाज के व्यापक समर्थन से अपने विकास का सुअवसर मिला है । मसलन् अल्पसंख्यक जातियों की मूल परम्परागत मूल शैली के गीत-संगीत चीन में बड़े पैमाने वाले कला प्रदर्शन समारोहों में महत्वपूर्ण कार्यक्रम के रूप में मंचित किये जाते है, अल्पसंख्यक जातीय मूल कला विधियों के कैसेट और सी.डी. भी दुकानों में बेहतर बिकते है । सुश्री जोंगयोंग चोमा ने कहाः

"मुझे लगता है कि वर्तमान में हमारा देश अल्पसंख्यक जातियों की मूल कला विधि पर बहुत महत्व देता है। वर्तमान में गीतों की प्रतियोगिताओं में मूल परम्परागत शैली के गीतों को यूरोपीय शैली के गीतों , पोप गीतों, व जातीय गीतों के साथ बराबर स्थान दिया जाता है । अल्पसंख्य जातीय कला को उन्नत करने वाली कलाकार के रूप में मैं इस पर बहुत खुश हूं । चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन की राष्ट्रीय कमेटी की सदस्या के रूप में मैं बराबर अल्पसंख्यक जातियों की मूलभूत कला विधि का संरक्षण करने की अपील करती हूँ । मुझे लगता है कि अल्पसंख्यक जातियों की मूलभूत शैली की कला विधियों का संरक्षण करना निहायत जरूरी है ।"

सुश्री जोंगयोंग चोमा के विचार में अल्पसंख्यक जातियों की मूलभूत कला विधियों के संरक्षण को बढ़ावा देने के साथ-साथ उस की गुणवत्ता भी उन्नत की जानी चाहिए । उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक जातियों की मूल शैली के गीत गाने वाले गायकों गायिकाओं को वैज्ञानिक प्रशिक्षण देना चाहिए, इस तरह उन का कला जीवन लम्बा हो जाएगा और अल्पसंख्य जातियों की मूल शैली की कला पीढ़ी दर पीढ़ी विकसित हो सकेगी। नहीं तो अल्पसंख्यक जातियों की मूलभूत शैली की कला की दीर्घ जीवन-शक्ति नहीं हो सकती । सुश्री जोंगयोंग चोमा ने कहाः

"मुझे लगता है कि अल्पसंख्यक जातियों की मूल परम्परा की कला के संरक्षण व विकास के आधार पर साहस के साथ उस की गुणवत्ता को उन्नत किया जाना चाहिए और उसे आधुनिक काल के साथ जोड़ कर आगे विकसित किया जाना चाहिए। मसलन् हम जैसे संगीत का काम करने वाले लोगों को वैज्ञानिक उच्चारण तरीके से हमारी जाति के मूल गीत गाना चाहिए, इस तरह हमारी कला जीवन शक्ति दीर्घकालिक होगी । इस के साथ ही हमें वैज्ञानिक तरीके से अपने गायन का अभ्यास करना चाहिए और विश्व में इस की मान्यता पाने के लिए कोशिश करनी चाहिए, इस तरह दुनिया भर के लोगों को चीनी अल्पसंख्य जातियों की मूलभूत शैली के गीत पसंद आ सकेंगे ।"

सुश्री जोंगयोंग चोमा ने कहा कि उन्हें स्वयं गायन में वैज्ञानिक तरीका अपनाने से लाभ मिला है। उन्होंने दक्षिण चीन के शांगहाई संगीत कॉलेज में संगीत का गहन रूप से अध्ययन किया । वैज्ञानिक तरीके से अभ्यास करने के बाद उन की आवाज़ और मीठी हो गई और गीतों की जातीय विशेषता भी बड़ी चटक हो गयी है । चीन में अनेकों लोग उन से गायन की कला सीखने लगे । सुश्री जोंगयोंग चोमा ने कहाः

"मैं दक्षिण पश्चिमी चीन के युन्नान प्रांत में एक जातीय गीत संगीत कक्षा खोलना चाहती हूँ , जिस के विद्यार्थी युन्नान प्रांत की 26 जातियों में चुने जाएंगे। मुझे लगता है कि अगर मैं हर जाति के लिए एक व्यक्ति को प्रशिक्षित करूंगी, तो उन्हें परम्परागत कला विधि पढ़ाऊंगी, तो वह एक बहुत फायदामंद काम होगा ।"

आवाज़---राजा कैसर का अंश

अब आप सुन रहे हैं मशहूर तिब्बती महाकाव्य राजा कैसर का एक अंश । राजा कैसर तिब्बती जाति द्वारा रचा गया विश्व में सब से लम्बा वीर गाथा है , जिस में तिब्बती जाति के वीर राजा कैसर के जीवन भर के महान योगदान का वर्णन किया गया, इस महाकाव्य को विश्व के महाकाव्य के बादशाह के नाम से मशहूर है और वह सदियों से तिब्बती बहुल क्षेत्रों में प्रचलित रहा है । महाकाव्य राजा कैसर न केवल साहित्य व कला के क्षेत्रों में उच्च मूल्य रखता है, बल्कि इतिहास, भूगोल, रीति रिवाज़ तथा पुरातत्व आदि क्षेत्रों में भी बहुत से मूल्यवान विषय सुरक्षित करता है । इस लिए इसे तिब्बती जाति की रीति रिवाज़ व परम्परा का विश्व शब्दकोष माना जाता है ।

उत्तर पश्चिमी चीन के छिंगहाई प्रांत तिब्बती बहुल प्रांत है , जो प्राचीन समय में राजा कैसर का प्रमुख कार्यवाही स्थान था । महाकाव्य राजा कैसर गाना जानने वाले अनेक बुढ़े कलाकार इसी प्रांत में रहते हैं । लेकिन इन बुढ़े कलाकारों के उत्तराधिकारी नहीं है, और उन के देहांत के बाद महाकावय राजा कैसर गाने की कला लिप्त होने का खतरा सामने आएगा ।

तिब्बती जाति की मूल्यवान लोक कला के संरक्षण के लिए छिंगहाई प्रांत के क्वोलो तिब्बती जातीय स्वायत्त प्रिफैक्चर ने गैर भौतिक सांस्कृतिक अवशेष अनुसंधान अड्डे की स्थापना की, जिस का मुख्य कार्य छिंग हाई में सुरक्षित तिब्बती जातीय लोक संस्कृति का संकलन व संग्रहण करना है । चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन की राष्ट्रीय कमेटी के सदस्य श्री तुंगनो अर्दे छिंगहाई प्रांत से आए हैं, राजा कैसर कला अनुसंधान केंद्र के निदेशक के रूप में वे तिब्बती महाकाव्य राजा कैसर के संग्रहण, संकलन व संरक्षण के काम में जुटे हैं । श्री तुंगनो अर्दे ने जानकारी देते हुए कहाः

"हमें राजा कैसर से संबंधित 50 से ज्यादा बुढ़े लोक कलाकारों का पता चला , जिन में इस महाकाव्य के गायन में मशहूर कलाकारों की संख्या तीस है । हम ने उन की मौखिक रचनाओं का ही नहीं, उन के द्वारा संकलित विभिन्न किस्मों की लिपिबद्ध रचनाओं का भी बचाव किया । इस के साथ ही हम ने राजा कैसर के विभिन्न संस्करणों का संग्रहण व संकलन किया।"

तिब्बती महाकावय राजा कैसर के संरक्षण में उपलब्धि प्राप्त हो गई । इस की चर्चा में चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन की राष्ट्रीय कमेटी के तिब्बती सदस्य श्री तुंगनो अर्दे ने कहाः

"हमारा देश जातीय संस्कृति के संरक्षण, बचाव, संग्रहण , संकलन तथा विकास को भारी महत्व देता है और सरकार ने इसी क्षेत्र में भारी धन राशि का अनुदान किया । अब महाकावय राजा कैसर को देश की गैर भौतिक सांस्कृतिक अवशेषों की नामसूची में शामिल किया गया । ऐसी स्थिति में हम ने देश से राजा कैसर को विश्व गैर भौतिक सांस्कृतिक अवशेषों की नामसूची में शामिल कराने की मांग की ।"

हज़ारों वर्षों में विशाल छिंगहाई तिब्बत पठार पर तिब्बती जातीय कलाकार गायन वाचन के जरिए तिब्बती राजा कैसर की वीरता व महानता का गुणगान करते आए हैं, जिस से उन के अपनी जाति और अपनी जन्मभूमि के प्रति गहरा प्यार अभिव्यक्त किया जाता है ।