इस डाक-सभा में आजमगढ़ उत्तर प्रदेश के मसूद अहमद आजमी,फैयाज अन्सारी और मऊनाथ भंजन उत्तर प्रदेश के शमश अनवर और उन के साथियों के पत्र शामिल हैं।
आजमगढ़ उत्तर प्रदेश के मसूद अहमद आजमी का सवाल है कि चीनी लोग अधिकतर अपनी छुट्टी बिताने कहां जाते हैं?विदेश में या चीन के अन्दर ही ?
आजमी जी,चीन में आर्थिक विकास के चलते पर्यटन में लोगों की रूचि बढी है। जो लोग पहले घरों में रहकर छुट्टी बिताना पसन्द करते थे, वे भी अब छु्ट्टियों का लाभ उठाकर पर्यटन करने लगे हैं। चीनी लोग अपनी दिलचस्पी और आर्थिक शक्ति के अनुसार पर्यटन के स्थल तय करते हैं। आम तौर पर वे जापान,कोरिया गणराज्य,भारत आदि एशियाई देश,अमरीका,ऑस्ट्रेलिया,यूरोपीय देश और लातिन अमरीकी देश जाते हैं।हां,हांगकांग और मकाओ की ओर भी उन का आकर्षण रहता है।
चीन के भीतर बहुत पर्यटन-स्थल हैं। आम तौर पर जहां समुद्री व पहाडी दृश्य होते हैं,वहां छुट्टी बिताने वाले लोगों की संख्या भी ज्यादा रहती है।
आजमगढ उत्तर प्रदेश के फैयाज अन्सारी पूछते हैं कि आफंदी कौन था?
भैय्या,आफंदी किसी व्यक्ति का असली नाम नहीं है।वह एक संज्ञा है,जो चीन की वेवुर जाति के एक प्राचीन शब्द "Efcndi" से आई है। प्राचीन काल में वेवुर लोग बुद्धिजीवियों को इस संज्ञा से पुकारते थे।
आज वेवुर साहित्य में चर्चित आफंदी ने एक व्यक्ति के नाम का रूप ले लिया है।वास्तव में इस व्यक्ति का असली नाम Nasreddin नसरुद्दीन है,जिन्हें वेवुर बहुलक्षेत्र- सिंगच्याग में एक बुद्धिमान विभूति माना जाता है। उस के नाम पर वेवुर जाति में अनेक लोककथाएं प्रचलित हैं। इन कथाओं में वह बुद्धि,न्याय,हिम्मत,परिश्रम और हास्य के अवतार के रूप में चित्रित है।
फैयाज अन्सारी का एक सवाल यह भी है कि चीन में कागज़ की खोज कैसे हुई ?और कागज पर छपाई का ढंग प्रारंभ में कैसा था?
भैय्या,कागज बारुद,कुतुबनुमा और छपाई-तकनीक चीन के चार महान आविष्कार माने जाते हैं।कागज का आविष्कारक छाई-लुन था।उन के जन्म के वर्ष का ठीक पता नहीं चल पाया,पर उनके निधन का वर्ष तो अवश्य मालूम है। वे ईस्वी सन् 121 में स्वर्गवासी हो गए थे। वे एक दरबारी थे।
वास्तव में छाई-लुन से भी बहुत पहले चीन में पटसन के रेशे से कागज बनाया जाने लगा था।कच्चे माल के अभाव के कारण कागज बहुत मंहगा था। छाई-लुन ने पुरानी तकनीक को सुधारकर आसानी से मिल सकने वाले पेड़ के छिलके,चीथड़े,जाल के टुकड़े और पटसन के छोटे रेशों से कागज बनाने का प्रयोग शुरू किया। इस्वी सन् 105 में उन्हों ने सम्राट को रिपोर्ट दी कि वे नई तकनीक से कागज़ बनाने में सफल हो गए हैं। उन के योगदान से कागज़ सस्ते में मिलने लगा था।
कागज पर छपाई के ढंग का मुद्रण कला से संबंध है। चीन में मुद्रण कला का विकास ईस्वी सन् 618 से 907 तक के थांग राजवंशकाल में हुआ था। तब लोग नाशपाती के पेड़ की लकड़ी से बने तख्ते पर चीनी अक्षरों की रेखाएं या चित्र खोदते थे,फिर स्याही लगाकर कागज़ पर छपाई करते थे। यह दुनिया में सर्वप्रथम छपाई तकनीक थी। बाद में यह तकनीक कोरिया,जापान और ईरान आदि में और फिर दुनिया के अन्य स्थानों में पहुंची। ईसा की 11 वीं शताब्दी के बाद चीन में छपाई तकनीक में भारी सुधार हुए। इस में सब से बड़ा योगदान किया था पी-शंग नाम के एक कारीगर ने। उन्हों ने ईस्वी सन् 1041 से 1048 तक भगीरथ प्रयासों के बाद मुद्राओं से पुस्तक छापने में सफलता प्राप्त की। उन्हों ने चिकनी मिट्टी से बने ठप्पों पर अक्षर खोदे,फिर आग पर टप्पों को पकाकर मजबूत किया,एक-एक ठप्पे को लोहे के फ्रेम में क्रमबद्ध रूप से लगाया,मोम आदि से इन ठप्पों को स्थिर किया औऱ अंत में छपाई शुरू की। ठप्पे दुबारा इस्तेमाल किए जा सकते थे।यह नयी तकनीक मुद्रणकला में एक क्रांति थी।
मऊनाथ भंजन उत्तर प्रदेश के शमश अनवर और उन के साथी जानना चाहते हैं कि चीन में सांसदों की संख्या कितनी है ?महिला सांसद कितनी है? सांसद का चुनाव कितने वर्ष बाद होता है? एक सांसद का वेतन कितना होता है?
चीन में संसद या विधान सभा के स्थान पर जन-प्रतिनिधि सभा काम करती है। चीन की राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा सर्वोच्च सत्ताधारी संस्था है। उस के 2980 सदस्य हैं,जिन में 650 महिलाएं हैं। राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा का पूर्ण अधिवेशन हर मार्च में आयोजित होता है और राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा का चुनाव हर पांचवें साल में कराया जाता है।
चीन में सभी जन प्रतिनिधि या सांसद समाज की विभिन्न संस्थाओं से आते हैं और वे अपनी-अपनी संस्था से वेतन प्राप्त करते हैं। सो उन के वेतन के स्तर भिन्न-भिन्न हैं।

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