छाङआन देश का यातायात केन्द्र था, जहां से सभी मुख्य राजमार्ग शुरू होते थे। पूर्व की ओर जाने वाले राजमार्ग का जाल शानतुङ प्रायद्वीप तक फैला हुआ था;पश्चिमी राजमार्ग का छीचओ (वर्तमान शेनशी प्रान्त का फ़ङश्याङ) से होता हुआ सछ्वान में प्रवेश करता था और छङतू तक जाता था; दक्षिणी राजमार्ग हूपेइ, हूनान व क्वाङशी से गुजरता हुआ क्वाङचओ में समाप्त होता था; और उत्तर की ओर जाने वाले राजमार्ग का फैलाव थाएय्वान से होकर फ़ानयाङ (वर्तमान पेइचिङ) तक व उत्तरपूर्वी चीन में ल्याओहो नदी के पूर्व तक था।
जल-परिवहन के क्षेत्र में, बड़ी नहर उत्तर और दक्षिण के बीच की मुख्य परिवहन धमनी की भूमिका अदा करती थी। छाङच्याङ नदी दक्षिणी चीन का सबसे महत्वपूर्ण जलमार्ग थी। चीनी जहाज याङचओ व क्वाङचओ से विदेशों को जाया करते थे।
विशाल थाङ साम्राज्य की सीमाओं के अन्तर्गत रहने वाली विभिन्न जातियों के आपसी संबंध अत्यन्त घनिष्ठ थे। तुर्क जाति के लोग आलथाए पर्वतशृंखला के इलाके में बहुत पहले से रहते आ रहे थे। छठी शताब्दी के मध्यकाल तक उन्होंने अपनी शक्ति बहुत बढ़ा ली थी तथा पूर्व में हिङकान पर्वतशृंखला तक तथा पश्चिम में कैस्पियन सागर तक फैले इलाके पर नियंत्रण कायम कर लिया था।
स्वेइ राजवंशकाल में वे पूर्वी और पश्चिमी इन दो समुदायों में विभाजित हो गए थे। थाङ राजवंश के प्रारम्भिक काल में, पूर्वी तुर्क अभिजातवर्गीय समुदाय के लोग अक्सर दक्षिण की ओर आकर सीमावर्ती क्षेत्रों में उपद्रव करने लगते थे। उक्त दोनों तुर्क समुदायों को दबाकर रखने के लिए सम्राट थाएचुङ को उन के इलाके में बार-बार अपनी फौजें भेजनी पड़ती थीं।
बाद में, थाङ सरकार ने छ्यूची (वर्तमान शिनच्याङ का खूछा) और थिङचओ (वर्तमाम शिनच्याङ का चिमसार के उत्तर में स्थित) में क्रमशः आनशी और पेइथिङ गैरिजन कमानों की स्थापना की और उन्हें थ्येनशान पर्वतशृंखला के उत्तर व दक्षिण के विशाल इलाके का प्रशासन सौंप दिया। तब से इन सीमावर्ती क्षेत्रों और देश के भीतरी इलाकों के बीच आर्थिक व सांस्कृतिक आदान-प्रदान उत्तरोत्तर बढ़ता गया।
मोहे जाति सूशन जाति की एक प्रशाखा और वर्तमान मानच जाति की पूर्वज थी। इस जाति के लोग हेइलुङ, सुङह्वा और ऊसूली नदियों की घाटियों में तथा साखालिन द्वीप में रहा करते थे।
इस जाति की दर्जनों उपजातियां थीं, जिन में हेइश्वेइ और सूमो सबसे शक्तिशाली थीं। थाङ सरकार ने हेइश्वेइ उपजाति, जो हेइलुङ नदीघाटी के निम्नवर्ती क्षेत्र में प्राचीन काल से रहती आ रही थी, के मुखिया को नवस्थापित हेइश्वेइ गैरिजन कमान के शासनाधिकारी के पद पर नियुक्त कर दिया तथा हेइलुङ नदीघाटी के समूचे इलाके में एक अपेक्षाकृत सर्वांगीण प्रशासन व्यवस्था की शुरुआत हुई तथा इस क्षेत्र और देश के भीतरी इलाके के बीच घनिष्ठ सम्बन्ध भी कायम हुआ।
सातवीं शताबदी के अन्तिम काल में, ऊसूली नदीघाटी में रहने वाली सूमो उपजाति के मुखिया ने अपने निकटवर्ती कबीलों को एकताबद्ध कर एक नया शासन कायम किया, तथा थाङ सरकार ने उसे हूहान प्रान्त (वर्तमान चीलिन प्रान्त के तुनह्वा के आसपास का क्षेत्र) की गेरिजन कमान का प्रधान नियुक्त कर पोहाए प्रिफेक्चर के राजा की उपाधि प्रदान की।
सूमो उपजाति के प्रतिभाशील विद्यार्थी विद्याध्ययन के लिए छाङआन आते रहते थे और वहां से लौटते समय हान भाषा की अनेक पुस्तकें अपने साथ ले जाते थे। वे अपने इलाकों से चीन के भीतरी इलकों में सेबल का फर व "रनशन" जड़ी जैसी वस्तुएं भी लाए।
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