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(GMT+08:00) 2007-03-06 09:29:29    
पाथांग नामक तंतुवादन पर तिब्बती नृत्य

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एक किस्म के सामुहिक नृत्य-गान के रूप में श्वानज़ी नृत्य तिब्बती बहुल क्षेत्र सछ्वान, तिब्बती स्वायत्त प्रदेश और यूननान आदि में बहुत लोकप्रिय है । नाचने वाले लोगों की संख्या कई हज़ार तक पहुंच सकती है । पाथांग कांउटी के केंद्र में एक स्वर्ण श्वानज़ी नामक चौक है। हर रात को इस कांउटी के लोग ,चाहे पुरूष हो, या महिला, बूढ़े हो या नन्हा बच्चा, सब स्वर्ण श्वानज़ी चौक पर इकट्ठे होकर नाचते हैं । अगर शानदार समारोह हो, तो हज़ार से अधिक लोग साथ-साथ नाचते हैं । पाथांग कांउटी में छुट्टियों व त्योहारों के दिन तथा शादी की रस्म में पाथांग लोग एक साथ मिलकर खूब गाते नाचते हैं । दृश्य बहुत भव्य नजर आता है । तिब्बती जाति के त्योहार यानि यांग ल त्योहार को पाथांग में श्वानज़ी नृत्य का स्वर्ण मौका माना जाता है ।

पाथांग श्वानज़ी का धुन---

वर्तमान में श्वानज़ी नृत्य-गान पाथांग लोगों के लिए कामकाज से अवकाश समय में एक किस्म का मनोरंजन बन गया, इस से पाथांग तिब्बती जाति की जातीय भावना उजागर होती है । सामुहिक नाच-गान वाले पाथांग श्वानज़ी में प्रार्थना का गीत, मिलन का गीत, रीतिरिवाज़ का गीत, शादी का गीत, प्रेम का गीत, दुख का गीत और आशीर्वादी गीत आदि शामिल हैं । पाथांग श्वानज़ी के कलाकार द्वारा प्रस्तुत मशहूर पाथांग श्वानज़ी की धुन"सिप्लेमो"अपनी विशेषता होती है । यह पाथांग श्वानज़ी की एक खुशगवार धुन है ।

पाथांग क्षेत्र का सैर करने आए पर्यटक चांग आ फेई को यह नृत्य धुन बहुत पसंद हुई। उन्होंने कहाः

"तिब्बती भाषा में सिप्लेमो का मतलब है सुखमय । इस धुन में कहा जाता है कि लोगों का जीवन बहुत सुखमय है और आओ , आनंद के साथ नाचो गाओ । यह एक तेज़ तर्रा व सुखद धुन है । सिप्लेमो, हिहि, सिप्लेमो......इस श्वानज़ी धुन के बोल लोगों को बहुत प्रभावित करते है, इस तरह यह पाथांग क्षेत्र और तिब्बती क्षेत्र की जनता की पसंदीदा धुन बन गया । "

पाथांग क्षेत्र में हरे भरे पड़ाह है और नदी का स्वच्छ पानी कलकल बहता है । सुन्दर चित्र जैसे पाथांग प्राकृतिक दृश्य में श्वानज़ी नृत्य देखते हुए हम जीवन का एक सुनहरा क्षण गुज़ारते हैं ।श्री चांग आ फेई ने जानकारी देते हुए कहा कि एक हज़ार वर्ष पूर्व से लेकर अब तक पाथांग एक सांस्कृतिक आदान प्रदान का क्षेत्र रहा है । स्थानीय नृत्य रबा नृत्य और क्वो च्वांग नृत्य बाह्य नृत्यों के मिश्रित होने से पाथांग श्वानज़ी नृत्य पैदा हुआ, और यह नृत्य पाथांग क्षेत्र में पीढ़ी दर पीढ़ी आगे विकसित होता जा रहा है । कहा जा सकता है कि श्वानज़ी वाली संस्कृति पाथांग लोग के जीवन की हर पहलु में पैठ गयी है और हर पाथांग वासी के जीवन व मनोभाव पर इस का प्रभाव पड़ा है ।

पांच साल पूर्व ,चीनी सांस्कृतिक मंत्रालय ने पाथांग कांउटी को"चीनी जातीय कला श्वानज़ी का जन्म स्थल"घोषित किया । वर्ष 2006 में पाथांग श्वानज़ी नृत्य-गान को चीनी गैर भौतिक सांस्कृतिक विरासतों की नामसूची में शानिल किया गया । पाथांग क्षेत्र में श्वानज़ी नृत्य-गान के बोल व धुन करीब दस हज़ार है । पाथांग श्वानज़ी सच्चे माइने में इसी क्षेत्र के एक हज़ार वर्षों के राजनीति, अर्थतंत्र, कृषि उत्पादन और रीति रिवाज़ आदि के विकास की स्थिति प्रतिबिंबित कर सकता है । तिब्बती संगीतकार श्री त्से डो ने कहा कि पाथांग श्वानज़ी स्थानीय जनता के सुखमय नृत्य गान ही नहीं, चीनी राष्ट्र की जातीय कला का एक मूल्यवान भाग भी है । पाथांग श्वानज़ी नृत्य-गान के बोल व धुन से तिब्बती मौखिक संस्कृति ज्यादा विविध व प्रचूर हो गयी है । इस की मधुर धुन संगीत कलाकारों के कला सृजन का मूल्यवान स्रोत बन गई । तिब्बती संगीतकार श्री त्से डो ने कहा

"पाथांग श्वानज़ी की हर धुन से पाथांग वासियों के प्रकृति व अपनी भूमि के प्रति असीम प्यार अभिव्यक्त होता है । पाथांग श्वानज़ी मेहनती व साहसी तिब्बती जाति तथा उन की मानसिक भावना जाहिर करता है । इस लिए उस की धुन बहुत सुरीली ही नहीं, और लोगों को मदहोश भी करता है।"

पाथांग श्वानज़ी नृत्य गान का प्रसार प्रचार आम तौर पर मौखिक रूप से किया जाता है , इस तरह अनेक श्रेष्ठ श्वानज़ी धुनें, नृत्य के तकनीकें और तंतुवाद्य हुछिन बजाने का कौशल आदि सुव्यवस्थित रूप से सुरक्षित नहीं हुए । इस के अलावा श्वानज़ी नृत्य-गान की संबंधित जानकारी पूर्ण रूप से हासिल करने वाले कलाकारों की संख्या भी कम हो रही है । इस तरह चीन के संबंधित विभाग ने इस प्राचीन कला के संरक्षण के लिए पाथांग कांउटी को श्वानज़ी का जन्मस्थल घोषित किया । हमारी उम्मीद है कि ज्यादा से ज्यादा लोग पाथांग का श्वानज़ी नृत्य-गान जानेंगे और इसे पसंद करेंगे ।