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(GMT+08:00) 2007-02-27 09:00:50    
सुखमय जीवन दर्शाने वाला नृत्य

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चीन की 56 जातियें में हान जाति को छोड़ कर अन्य सभी पचपन अल्पसंख्यक जाति हैं । चीनी अल्पसंख्यक जातियों के लोग गाने नाचने के शौकीन हैं । वे उत्पादन करने और जीवन बिताने के दौरान विविध नृत्य गान रचते हैं । अभी आप ने जो धुन सुनी, वह तिब्बती जाति में लोकप्रिय एक नृत्य की धुन है , जिस का नाम है श्वानजी। चीनी भाषा में श्वानज़ी का मतलब है तंतुवादन पर पेश नृत्य । तो आज के इस कार्यक्रम में हम आप को प्रस्तुत करेंगे श्वानज़ी नृत्य के बारे में एक रिपोर्ट । आइए, अब आप हमारे साथ इस नृत्य का जन्मस्थल----पश्चिमी चीन के सछ्वान प्रांत की पाथांग कांउटी का दौरा करें और मदहोश देने वाले तिब्बती लोक नृत्य गान---पाथांग श्वानज़ी का मज़ा लें ।

पाथांग श्वानज़ी का धुन---

पाथांग दक्षिण पश्चिमी चीन के सछ्वान प्रांत के पश्चिमी भाग में स्थित एक कांउटी है, जहां दसियों हज़ार तिब्बती लोग रहते हैं । यह कांउटी छोटी होने के बावजूद अपने नृत्य-गान से देश भर में मशहूर है । पाथांग कांउटी आने के बाद आप को सड़कों के दोनों किनारों की दुकानों में और आम नागरिकों के घरों में से श्वानज़ी नृत्य-गान की धुन सुनायी देती है । कहा जाता है कि हरेक पाथांग निवासी श्वानज़ी नृत्य नाच सकता है, यहां तक कि कुछ परिवारों में यह नृत्य वंशीगत पेशा बन गया है, उसे श्वानज़ी खानदान कहा जाता है ।

पचास वर्षीय जाशी अपने परिवार के चौथी पीढ़ी वाले श्वानज़ी नृतक हैं । वे श्वानज़ी की अनेक शैलियों में निपुर्ण है, और श्वानज़ी नृत्य के श्रेष्ठ नृतक हैं । जाशी बकरी के चमड़े से हुछिन नामक तंतुवाद्य बना सकते हैं और इसे अच्छी तरह बजा सकते है । अपने परिवार की श्वानज़ी नृत्य परम्परा की चर्चा छिड़ते श्री जाशी के चेहरे पर बड़ा गर्व झलका । उन्होंने कहाः

"मेरे दादा जी का नाम है चिन छाओ । वे पाथांग क्षेत्र में सब से मशहूर श्वानज़ी नृत्य-गान के कलाकार हैं । हमारे यहां के लोग उन्हें श्वानज़ी नृत्य-गान के गुरू समझते हैं । मेरी दादी जी का नाम है चिनछाओ दावा। उन्हें बचपन से ही श्वानज़ी नृत्य पसंद आया है, यहां तक कि एक दिन भी नहीं नाचती है, तो शकुन नहीं मिलता । अस्सी वर्ष की उम्र में भी वे जहां श्वानज़ी नृत्य की प्रस्तुति होगी, वहां उपस्थित होने जाती हैं । मेरी माता जी भी इस नृत्य की माहिर हैं । वे सछ्वान प्रांत की राजधानी छङ तु और दक्षिण चीन के यूननान प्रांत की राजधानी खुनमिन आदि स्थान जा जाकर श्वानज़ी नृत्य पेश कर चुकी थी । मैं आठ वर्ष की उम्र से ही अपनी दादी जी और माता जी से श्वानज़ी नृत्य-गान सीखने लगा ।"

पाथांग श्वानज़ी नृत्य का इतिहास कोई एक हज़ार से ज्यादा वर्ष पुराना है । यह नृत्य मुख्यतया हुछिन आदि तंतुवाद्यों की धुन पर नाचा जाता है । सारे नृत्य की धुन और ताल हुछिन वादक से संचालित किया जाता है । तंतुवाद्य हुछिन की मधुर धुन के साथ-साथ तिब्बती लोग एक गोल बनाकर नाचते हैं । इसी दौरान वे गीतों व मधुर धुनों के साथ नृत्य की शैली बदलते हैं । श्वानज़ी नृत्य की धुन कभी तेज़ तीखी होती है, कभी धीमी हल्की । इस नृत्य में तिब्बती जाति की प्राचीन नृत्य शैली भी प्रतिबिंबित होती है और नृत्य के ढंग भी विविध होते हैं ।

एक किस्म के सामुहिक नृत्य-गान के रूप में श्वानज़ी नृत्य तिब्बती बहुल क्षेत्र सछ्वान, तिब्बती स्वायत्त प्रदेश और यूननान आदि में बहुत लोकप्रिय है । नाचने वाले लोगों की संख्या कई हज़ार तक पहुंच सकती है । पाथांग कांउटी के केंद्र में एक स्वर्ण श्वानज़ी नामक चौक है। हर रात को इस कांउटी के लोग ,चाहे पुरूष हो, या महिला, बूढ़े हो या नन्हा बच्चा, सब स्वर्ण श्वानज़ी चौक पर इकट्ठे होकर नाचते हैं । अगर शानदार समारोह हो, तो हज़ार से अधिक लोग साथ-साथ नाचते हैं । पाथांग कांउटी में छुट्टियों व त्योहारों के दिन तथा शादी की रस्म में पाथांग लोग एक साथ मिलकर खूब गाते नाचते हैं । दृश्य बहुत भव्य नजर आता है । तिब्बती जाति के त्योहार यानि यांग ल त्योहार को पाथांग में श्वानज़ी नृत्य का स्वर्ण मौका माना जाता है । इस त्योहार की खुशियां मनाने वाली रस्म में भाग लेने वाले पर्यटक श्री चांग आ फेइ ने जानकारी देते हुए कहा

 "शरत की ऋतु में पाथांग लोग एक साथ मिलकर लोंगवांगथांग यानि ड्रैगन बांध नामक मैदान में त्योहार की खुशियां मनाते हैं । इस गतिविधि को हमारे भीतरी इलाके में पिकनिक कहा जाता है । पाथांग लोग इस मैदान में शिविर लगाकर सात दिन तक रहते हैं । सुना है कि यह परम्परागत त्योहार का इतिहास दो सौ से ज्यादा वर्ष पुराना है ।"

चीनी हान भाषा में यांग ल का मतलब है गर्मी को बिदाई देना। यांग ल त्योहार पाथांग क्षेत्र में गर्मियों से विदा लेकर शरत के आगमन का स्वागत करने और शानदार फ़सल की खुशी मनाने वाला परम्परागत उत्सव है , जो सात दिन के लिए मनाया जाता है । उत्सव के दौरान पाथांग क्षेत्र के हर परिवार अपने परिजनों के साथ खाद्य पदार्थ लिए उपनगर आकर शिविर लगाते हैं, इस के बाद वे सात दिन में नाचते गाते हैं और खूब मज़ा लेते हैं । दिन में वे तिब्बती ऑपेरा मंडली द्वारा प्रस्तुत परम्परागत तिब्बती ऑपेरा देखते हैं, घुड़दौड़ प्रतियोगिता चलाते हैं और वस्त्रों का शो करते हैं । रात को सब लोग एक-एक गोल बनाकर श्वानज़ी नृत्य नाचते हैं । इसी दौरान परिवार के सदस्य झूमते कदमों से मधुर धुन के साथ-साथ नाचते हैं और गाते हैं । नृतक और दर्शक दोनों इस में मस्त जाते हैं ।