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(GMT+08:00) 2007-02-26 09:09:01    
चीन में कागज-कटाई कला

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चीन में सब से बड़े परंपरागत वसंतोत्सव के दौरान विभिन्न डिज़ाइनों वाली कागज़-कटाइयों से घरों को सुशोभित करने की परंपरा रही है। लोग कागज़-कटाइयों को या तो खिड़कियों के शीशों पर या द्वारों पर या फिर विशेष फर्नीचर पर लगाते हैं। सजावट के रूप में ये कागज़-कटाइयां त्योहार के माहौल की खुशियां बढाती हैं।

कागज़-कटाई चीन में सर्वाधिक प्रचलित लोककलाओं में से एक है। पर इस कला की शुरूआत कब हुई ? इस का पता नहीं लग पाया है। कुछ लोग कहते हैं कि प्राचीन काल में धर्म व कुर्बानी से संबंधित रस्मों से इस की शुरूआत हुई। उस समय लोग कागज़ से विभिन्न आकृतियों वाले मानव व पशु बनाते थे और उन्हें मृतकों के साथ दफनाते थे या अंत्येष्टि में कुर्बानी के रूप में उन्हें जलाते थे,ताकि वे मृतकों को अन्य दुनिया में गुजारा करने में मदद दे सकें।

लेकिन कोई एक हजार साल पहले कागज़-कटाइयों का सजावट और डिजाइन-कला में प्रयोग शुरू हुआ । ऐतिहासिक ग्रंथों के अनुसार 7वीं और 8वीँ शताब्दियों के बीच थांग राजवंश काल में महिलाएं कागज़-कटाइयों का केशों को सुन्दर बनाने में इस्तेमाल करने लगी थीं और वे वसंत ऋतु के स्वागत के लिए तितलियों के रूप में कागज़-कटाई बनाती थीं।12वीं सदी के सुंग राजवंश काल में लोग कागज़-कटाइयों को उपहार-डिब्बों,द्वारों,खिड़कियों के शीशों,दीवारों,लालटेनों और आइनों पर लगाने लगे थे।यहां तक कि कागज़-कटाई बनाने के पेशावर कलाकार भी पैदा हो गए थे।

कागज़-कटाई हाथों से बनाई जाती है। बनाने में सिर्फ एक कैंची और एक कागज़ की जरूरत होती है। साधारण लोगों के लिए यह कला सीखना कठिन नहीं है। लेकिन इस में महारत हासिल करना आसान नहीं। पेशावर कलाकार नाना प्रकार की छोटी-बड़ी कैंचियों औऱ चाकुओं से विभिन्न प्रकार की सुन्दर व जटिल डिजाइनों वाली कागज़-कटाइयां बनाते हैं। एक बार एक या इस से अधिक कागज़-कटाइयां बनाई जा सकती हैं। सरल डिजाइनों वाली कागज़-कटाई कैंची से सीधे बनाई जाती है और जटिल डिजाइनों वाली को कागज़ पर चित्र छापने के बाद उस आकृति के अनुसार चाकू से बारीकी से काट कर बनाया जाता है।जटिल डिजाइनों वाली कागज़-कटाई बनाने में अत्यंत सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। जरा भी गलती हुई,तो सारा काम बेकार।

कागज़-कटाई के विषय बहुत समृद्ध हैं । उन में फूल-पौधे,परिंदे,लघु आकार वाले पशु,

लोककथाओं व प्राचीन साहित्यक रचनाओं में वर्णित लोगों की छवियां औऱ परंपरागत पेइचिंग ऑपेरा के अभिनय में प्रयुक्त मुखौटे आदि शामिल हैं। चीन के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की जीवन-आदतें और सौंदर्य-बौध अलग-अलग हैं, इसलिए विभिन्न क्षेत्रों में प्रचलित कागज़-कटाई कला की विशेषताएं भी भिन्न-भिन्न हैं। मौटे तौर पर कहा जाए,तो उत्तरी चीन के लोग प्राचीन दुर्गों,प्राचीन काल के किसी राजा के किसी स्थान की यात्रा करने की झांकी और प्राचीन काल के वीरों को कागज़-कटाइयों में उभारना पसन्द करते हैं। जबकि दक्षिणी चीन के लोग मुख्यतः फूल-पौधों,परिंदों और गाय चराने वाले बच्चों तथा जल व पहाड़ के सुन्दर दृश्यों को कागज़-कटाई का विषय बनाना पसंद करते हैं। चाहे विषय जो भी हो,उस पर बनने वाली कागज़-कटाई बहुत सूक्ष्म व सजीव दिखती है।

पुराने जमाने में चीन के गांवों में हर साल फसल काटने के बाद लम्बे अवकाश के दौरान महिलाएं एक दूसरे के घर जाकर गपशप करने के साथ-साथ कागज़-कटाई बनाती थी। कागज़-कटाई-कला में माहिर महिलाओं को बड़ा समादर मिलता था। दुल्हन चुनने में इस कला पर महारत कम से कम संबंधित ज्ञान की उपलब्धता एक मापदंड मानी जाती थी।जो लड़की अच्छी तरह से कागज़-कटाई बना सकती थी,उसे सुशील व कोमल माना जाता था।

सामाजिक विकास के चलते लोगों के विचार में कागज़-कटाई बनाने का महत्व कम होता गया है और यह कला सीखने वाले लोगों की संख्या में भी भारी कमी आई है। लेकिन एक पेशे के रूप में यह कला आज भी सक्रिय और जिंदा है। इस समय चीन में कागज़-कटाई वर्कशाप औऱ राष्ट्रीय कागज़-कटाई कला संघ भी परंपरागत चीनी संस्कृति के विकास में अपनी अहम भूमिका अदा कर रहे हैं। ये संस्थाएं नियमित तौर पर प्रदर्शनियां व सबंधित तकनीकों पर संगोष्ठियां आयोजित करती हैं और कागज़-कटाई संग्रहों का प्रकाशन करती हैं।

कागज़-कटाई सरल सजावट के रूप में एक विशेष कला बन गई है औऱ उस की रचनाओं के विषयों में भी जमाने के विकास के चलते विविधता आई हैं। उल्लेखनीय है कि अन्य किस्मों की कलाओं में कागज़-कटाई के तरीके का इस्तेमाल किया जाने लगा है। आज फिल्मों,कार्टूनों,टी.वी कार्यक्रमों,मंचीय सज्जा और पुस्तकों के कवरों के डिजाइनों में कागज़-कटाई की विशेषता झलकती है।