चीन के नव निर्मित लड़ाकू विमान च्यैन-10 ने लोगों के सामने आते ही विश्व का ध्यान आकर्षित कर लिया है । यह उन्नतशील विमान तकनीकी दृष्टि से अमेरिका के एफ-16 तथा रूस के सू-27 जैसे विमानों के बराबर है । अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों का कहना है कि च्यैन-10 के विकास से न सिर्फ चीनी वायु सेना की शक्ति बढ़ी है , बल्कि विश्व वायु सेना का ढ़ांचा भी बदल गया है।
कुछ समय पूर्व चीन के एक फौजी अभ्यास में दो च्यैन-10 विमानों ने दुश्मन के चार विमानों को पूरी तरह परास्त कर दिया । च्यैन-10 विमान चीन की शतप्रतिशत आत्मनिर्भरता का परिणाम है । चीन को च्यैन-10 विमान का पूरा संपदाधिकार प्राप्त है । इस विमान के जनरल डिजाइनर श्री सूंग वन छूंग ने बताया कि चीन ने पिछली शताब्दी के 1980 के दशक से च्यैन-10 लड़ाकू विमान का अनुसंधान शुरू किया था । च्यैन-10 विमान की सफलता से चीनी वायु सेना की शक्ति बहुत उन्नत हुई है । उन्हों ने कहा , उन्नतशील विमान का सफलतापूर्ण विकास करने का बहुत महत्व है । चीन को अब विश्व में सब से उन्नतशील विमान प्राप्त हो चुका है । इस की कुंजी यह रही है कि अनुसंधान शुरु करने से पहले ही विश्व में सब से उन्नत लक्ष्य पर निशाना बांधा गया था।
च्यैन-10 विमान की एक और दो सीटों वाली दो किस्में हैं । इस विमान की डिजाइनिंग में बहुत सी उन्नतशील तकनीकों का प्रयोग किया गया है । च्यैन-10 विमान के पंख विमान के मुख्य भाग के साथ संप्रवाहित रुप से ऐसे जुड़े हुए हैं जिस से गैस बाक्स का भंडारण बढ़ा है । इस के सिवा च्यैन-10 विमान की नियंत्रित व्यवस्था भी विश्व स्तर की है । श्री सूंग का कहना है कि ऐसे डिजाइन के जरिये चालक की सभी गतिविधियां विमान पर लैस कंप्यूटर में भरी जाती हैं और कंप्यूटर चालक के आदेश से विमान के विभिन्न भागों का नियंत्रण करता है ।
पता चला है कि च्यैन-10 विमान को चीनी वायु सेना में शामिल कर लिया गया है । मशहूर चीनी छंगतु विमान उत्पादन ग्रुप इस का उत्पादन कर रहा है । इस कंपनी के महानिदेशक श्री लो रूंह्वाई ने कहा कि च्यैन-10 विमान की सफलता से न केवल चीनी वायु उद्योग की प्रगति हुई है , बल्कि चीन के तमाम उद्योगों का स्तर भी उन्नत हुआ है ।
उन्हों ने कहा , च्यैन-10 की सफलता से यह जाहिर है कि चीनी उड्डयन उद्योग में आत्मनिर्भरता वाली अनुसंधान करने की व्यवस्था कायम हो चुकी है । यह बहुत महत्वपूर्ण है , क्योंकि इस का महत्व हमारे देश के उड्डयन उद्योग के लिए उन्नतशील विमानों के अनुसंधान से भी अधिक है । विमान के अनुसंधान में हुई प्रगति से चीनी उड्डयन उद्योग तथा रक्षा तकनीक में भारी प्रगति हासिल हुई है ।
चीनी उड्डयन उद्योग प्रथम ग्रुप च्यैन-10 विमान के अनुंसधान में जिम्मेदार रहा है। इस ग्रुप के तकनीशियनों का मानना है कि च्यैन-10 विमान की सफलता से यह जाहिर है कि चीन का लड़ाकू विमान द्वितीय पीढ़ी से तीसरी पीढ़ी तक विकसित हो चुका है । इसमें यह भी चर्चित है कि थाइहांग इंजिन के सफलतापूर्ण उत्पादन से यह भी जाहिर है कि चीन निर्मित विमान उपयोगी इंजिन भी तीसरी पीढ़ी तक जा पहुंचा है । च्यैन-10 विमान पर सब से उन्नतशील मिसाइलों का विन्यास भी लगा है , जिससे यह जाहिर है कि चीन की वायु-से-वायु में मिसाइल की तकनीकी क्षमता चौथी पीढ़ी के स्तर पर जा पहुंची है । चीनी उड्डयन उद्योग प्रथम ग्रुप के सहायक महानिदेशक श्री कंग रू क्वांग ने कहा ,च्यैन-10 विमान से जुड़ी सिलसिलेवार तकनीकी प्रगति से यह जाहिर है कि चीन विश्व में चौथा ऐसा देश बन गया है कि जो आत्मनिर्भरता से उन्नतशील लड़ाकू विमान , इंजिन और मिसाइल का अनुसंधान व उत्पादन करने में समर्थ है । चीन और विकसित देशों के बीच फर्क इस तरह कम हो गया है । च्यैन-10 विमान के अनुसंधान से चीन को बहुत कुंजीभूत तकनीकें हासिल हो चुकी हैं । और चीन ने ऐसे उन्नतशील विमान के अनुसंधान के जरिये अपने कुछ महत्वपूर्ण प्रतिष्ठान तथा तकनीकी व्यवस्थाएं कायम की हैं ।
च्यैन-10 लड़ाकू विमान चीनी उड्डयन उद्योग की अनेक प्रगतियों में से एक है । चीन ने नागरिक विमानों के अनुसंधान और उत्पादन में भी उल्लेखनीय प्रगति हासिल की है । चीनी उड्डयन उद्योग प्रथम ग्रुप द्वारा विकसित यात्री विमान ऐ आर जे 21 भी कुछ समय पूर्व अमल में लाया गया है । ग्रुप के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि ऐ आर जे 21 मध्यम दूरी तक उड़ने वाला यात्री या परिवहन विमान है । सरल हवाई अड्डे पर उतरने की क्षमता रखने वाला यह विमान काफी बढ़िया है । वर्ष 2009 में ऐसे विमान को ग्राहकों तक हस्तांतरित किया जा सकेगा , और अभी तक इस की दर्जनों बुकिंग की जा चुकी हैं ।
इस से जुड़े दूसरे चीन निर्मित यात्री विमान सिनचाओ-60 का ग्रुप में निर्यात शुरू हो गया है । यह भी चीन का स्वयं बौद्धिक संपदाधिकार प्राप्त यात्री विमान है । वर्ष 2006 में सिनचाओ-60 विमान का एशिया, अफ्रीका , लातीन अमेरिका के अनेक देशों जैसे लाओस , जांबिया , नेपाल , इंडोनेशिया , क्यूबा और फिजी आदि में निर्यात किया गया । अब चीन ने फौजी और नागरिक विमानों के विकास में अपनी संपूर्ण व्यवस्था कायम कर ली है ,जो देश के आर्थिक निर्माण व रक्षा के लिए बहुत अर्थवान है ।
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