सम्राट थाएचुङ के शासनकाल में थाङ सरकार ने इतिहास के सबक को ध्यान में रखते हुए स्वेइ राजवंश के ह्रास व पतन की परिस्थितियों व कारणों का अध्ययन किया और अपने सामन्ती शासन को सुदृढ़ करने के उपाय खोजे।
सम्राट थाएचुङ दूसरों की बात बड़े ध्यान से सुनता था और उनकी सलाह का स्वागत करता था। वह अपने मंत्रियों को राजनीतिक समस्याओं पर भिन्न-भिन्न राय प्रकट करने के लिए प्रोत्साहित करता रहता था।
इस सबका उद्देश्य यह था कि जब भी कोई नीति लागू की जाए, तो उसके अच्छे से अच्छे नतीजे हासिल किए जा सकें।
राजनीतिक दृष्टि से सम्राट थाएचुङ के सफ़ल होने का एक अन्य कारण यह भी था कि वह प्रतिभाशील व्यक्तियों को भर्ती में सरकार, अपेक्षाकृत रूप से, सत्ता के दुरुपयोग व भ्रष्टाचार से मुक्त रही और देश सुदृढ़ बना रहा।
सम्राट थाएचुङ के बाद उसका बेटा ली चि गद्दी पर बैठा और इतिहास में सम्राट काओचुङ के नाम से मशहूर हुआ। किन्तु इसके जीवनकाल में शासनसत्ता उसकी महारानी ऊ चथ्येन ने धीरे-धीरे अपने हाथ में ले ली।
690 में उसने थाङ राजवंश का नाम बदलकर चओ राजवंश कर दिया तथा स्वयं सम्राज्ञी की राजसी उपाधि धारण कर ली।
705 ई. में ऊ चथ्येन की मृत्यु के बाद ही यह राजवंश अपना पहले का नाम थाङ पुनः अपना सका।
सम्राज्ञी ऊ चथ्येन के राज्यकाल में थाङ राजवंश की राजनीतिक व्यवस्था, जिसे सम्राट थाएचुङ ने स्थापित किया था, स्वस्थ बनी रही और सामाजिक अर्थ-व्यवस्था की प्रगति जारी रही।
थाङ राजवंश के पूर्वार्ध में देश का राजनीतिक एकीकरण सुदृढ़ हुआ, सामाजिक स्थायित्व कायम हुआ और मेहनतकश जनता में उत्साह पैदा हुआ, जिस से आर्थिक प्रगति के लिए एक अनुकूल लातावण तैयार हो गया।
कृषि के क्षेत्र में, थाङ जनता ने उन्नत किस्म के "टेढ़े हल" का आविष्कार किया, जिससे किसान वांछित गहराई तक जमीन की जुताई कर सकते थे।
निश्चय ही, हस प्रकार के हल का प्रयोग अच्छी व ज्यादा फसल उगाने में सहायक सिद्ध हुआ।
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