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प्रिय मित्रो , पहले हम इसी कार्यक्रम में आप के साथ अनेक चीनी अल्पसंख्यक जातीय क्षेत्रों का दौरा कर चुके हैं और कुछ अल्पसंख्यक जातियों के बारे में कुछ न कुछ विशेषताओं से भी परिचित हो गये हैं । पर आज के चीन के भ्रमण कार्यक्रम में हम जिस जातीय क्षेत्र का दौरा करने जा रहे हैं , उस जाति के बारे में हम पहले बता चुके हैं । तो आज , हम एक साथ फिर इस अल्पसंख्यक जाति से मिलने चलते हैं ।
हमें पता है कि माओ नान जाति की शोचनीय स्थिति को सुधारने के लिये चीन सरकार ने गत सदी के 80 वाले दशक के अंत से योजनाबद्ध रूप से माओ नान जाति के स्थानांतरण के लिये पर्वतों के बाहर मैदानी क्षेत्रों में पक्के मकान बनवाये हैं और आम स्थानीय लोगों के दैनिक जीवन का स्तर काफी उन्नत भी किया है ।
यह सच है , पर्वतों से खुले मैदानी क्षेत्रों में स्थानांतरण करने के बाद माओ नान जातीय लोगों के जीवन में बड़ा परिवर्तन आया ही नहीं , उन के विचार भी मुक्त हो गये हैं । अब वे रंगीन बाहरी दुनिया से क्रमशः परिचित होकर मुग्ध हुए हैं । उन में से कुछ लोग नौकरी मिलने के लिये दक्षिण पूर्वी चीन के विकसित क्षेत्र भी गये हैं । श्री लु च्यांग पेह का बेटा भी उन में से एक है । 1990 में 20 वर्ष से कम उम्र वाला लू ह्वाई खांग बाहरी दुनिया पर मोहित होकर दक्षिण पूर्वी चीन के शन चन विशेष आर्थिक क्षेत्र गया । शुरू शुरू में लू ह्वाई खांग को कोई स्थिर काम नहीं मिला , वहां पर वह कभी कारखाने में मजदूर का काम करता था , कभी होटल में रसोइये का । अंत में उस ने पैसे जुटाकर ट्रक चलाने की तकनीक सीखी । कई सालों के बाद उस ने घर लौटकर परिवहन का काम करना शुरू कर दिया ।
मैं एक परिवहन कम्पनी स्थापित करना चाहता हूं , मेरा छोटा भाई अभी शन चन में नौकरी कर रहा है , मैं उसे वापल बुलाकर एक साथ परिवहन का काम करना चाहता हूं । मेरा बहनाई वाहनों की मरम्मत का काम करता है , हमारा पूरा परिवार वाहन व्यवसाय से जुड़ा हुआ है , मुझे आशा है कि हम इस व्यवसाय में सफल होंगे ।
ह्वान च्यांग कांऊटी में लू खांग जैसे लोग कम नहीं हैं , वे बाहर जाकर काम करने में पैसे जुटाकर आधुनिक तकनीक सीखी , फिर घर लौटकर प्राइवे धंधे लगाये । आंकड़ों के अनुसार ह्वान च्यांग माओ नान स्वायत्त काऊंटी में 60 प्रतिशत से अधिक कारोबार ऐसे लोगों ने स्थापित किये हैं ।
लू परिवार के पिता व बेटे के साथ बातचीत कर रहे थे कि एक मध्यम कद वाला युवा हमारे सामने आ पहंचा । लू च्यांग पेह ने बड़े गर्व के साथ हमें बताया कि वह उन के घर का प्रथम विश्वविद्यालय छात्र ही नहीं , उन की ह्वान च्यांग कांऊटी का प्रथम विश्वविद्यालय छात्र भी है । इस युवा का नाम लू चेह है और वह लू च्यांग पेह का भतिजा है । अब कांऊटी सरकार में कार्यरत है । उन्हों ने तुरंत ही हमारे साथ बातचीत करते हुए विश्वविद्यायल दाखिले पत्र की प्राप्ति की चर्चा में कहा कि उस समय जब विश्वविद्यालय का दाखिला पत्र मिला , तो मेरे मां बाप इतने प्रसन्न हो उठे कि उन्हों ने रिश्तेदारों , पडोसियों और दोस्तों को दावत पर बुला लिया । क्योंकि इस से मेरा भाग्य बदला जायेगा , स्नातक होने के बाद मैं पहाड़ों को छोड़कर शहर में रह सकता हूं ।
लेकिन यह देख कर हमें समझ में नहीं आ सकता है कि वह शांगहाई शहर में पढ़ने तो गया , पर स्नातक होने के बाद क्यों अपनी कांऊटी में वापस लौट आया । हम यह सवाल पूछने ही वाले हैं कि श्री लू च्ये ने कहा कि क्यों कि मुझे मालूम है कि हमारी जन्मभूमि अब बहुत पिछड़ी है , मैं यहां पर पला बढा हूं , विश्वविद्यालय में पढ़ने के लिये बाहर गया , पर ज्ञान प्राप्त करने के बाद अपनी जन्मभूमि की पिछड़ी सूरत बदलने में अपनी शक्ति अर्पित करना मेरा फर्ज है , केवल मैं ही नहीं , पेइचिंग , थ्येनचिन जैसे बड़े बड़े शहरों में स्नातक होने के बाद जन्मभूमि के विकास करने वापस लौटने वाले छात्र बहुत हैं ।
वास्तव में प्राचीन काल से ही माओ नान जाति के लोग सुयोग्य व्यक्तियों के प्रशिक्षण पर काफी जोर देते आये हैं । 2001 से लेकर अब तक ह्वानच्यांग कांऊटी में कोई चार पांच सौ छात्रों को उच्च प्रतिष्ठानों में दाखिला मिल गया है , उन में से कुछ लोगों को चीन के प्रसिद्ध पेइचिंग विश्वविद्यालय व छिंग ह्वा विश्वविद्यालय में भरती करायी गयी है । लू च्ये की तरह बहुत से छात्र स्नातक होने के बाद वापस लौट कर जन्मभूमि के विकास की कोशिश करने में संलग्न हैं ।
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